वैज्ञानिकों को अहम कामयाबी:शरीर में कोरोना वायरस को बढ़ने से रोकने वाली दवा मिली, एब्सेलेन नाम की यह मेडिसिन सेफ, इसमें तीन दूसरी खूबियां भी

शिकागो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक, दवा से ऐसे एंजाइम्स को कंट्रोल किया जाएगा को शरीर में कोरोना वायरस को बढ़ाता है एब्सेलेन नाम का ड्रग इंसानों के लिए सुरक्षित, इसमें एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेट्री औरी एंटी-ऑक्सीडेटिव जैसी खूबियां

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अमेरिकी रिसर्चर्स ने ऐसी का पता लगाया है जो संक्रमण के बाद शरीर में कोरोना वायरस की संख्या बढ़ने (रेप्लिकेट) से रोकेगी। यह दवा पहले से मौजूद है। अब इसे कोरोना के इलाज में इस्तेमाल किया जाएगा। दवा का नाम एब्सेलेन है। इसका इस्तेमाल बायपोलर डिसऑर्डर और सुनने की क्षमता घटने (हियरिंग डिसऑर्डर) के इलाज में किया जाता है।

इस दवा पर नया रिसर्च अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी ने किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक- दवा से ऐसे एंजाइम्स को कंट्रोल किया जाएगा जो शरीर में कोरोना की संख्या को बढ़ाते हैं।

मरीज की हालत नाजुक होने से रोका जा सकेगा
साइंस एडवांसेस जर्नल में पब्लिश रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक- एम-प्रो नाम का एंजाइम कोरोनावायरस को रिप्लीकेट (वायरस की संख्या बढ़ना) होने से रोकने में बेहद मददगार है। यही RNA कोरोना का स्पाइक प्रोटीन बनाता है। एम-प्रो एंजाइम की मदद से कोरोना शरीर में संख्या बढ़ाता है। लिहाजा, मरीज की हालत नाजुक हो जाती है। अब वैज्ञानिक इसी एंजाइम को कंट्रोल करके इलाज करेंगे।

कोरोना के खिलाफ हथियार की तरह होगी दवा
शोधकर्ता जुआन डी-पैब्लो के मुताबिक- जो दवा टीम ने पता की है वो कोरोना के एंजाइम एम-प्रो के खिलाफ हथियार की तरह काम करेगी। इसे कंट्रोल करने में एब्सेलेन नाम के रसायन का प्रयोग होगा। इसमें एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटी-ऑक्सीडेटिव जैसी खूबियां हैं। इससे कोशिकाओं को नष्ट होने से रोका जा सकेगा। इसका इस्तेमाल पहले ही बायपोलर और हियरिंग लॉस जैसी बीमारियों में किया जा रहा है। इन बीमारियों के इलाज में यह दवा काफी कारगर साबित हुई है।

कोरोना के मामले में दो तरह से काम करती है दवा
शोधकर्ताओं के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल में साबित हो चुका है कि एब्सेलेन इंसानों के लिए सुरक्षित है। अब इसका इस्तेमाल कोरोना के इलाज में किया जा सकेगा।

और दवाएं चिन्हित करने की कोशिश जारी
रिसर्चर्स के मुताबिक, फिलहाल वे कोरोना के उन प्रोटीन्स का पता लगा रहे हैं जो संक्रमित की हालत नाजुक कर देते हैं। इससे वायरस के नए खतरों का पता लगाकर उनका इलाज खोजा जाएगा।

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