बठिंडा में माइक्रो कंटेनमैंट जोन में सड़कों के किनारे खड़े होकर सेहत विभाग की टीम कर रही रैपिड एंटीजन टेस्टिंग

बिना किसी टेबल व सुरक्षा के खुले में लिए गए लोगों के कोरोना सैंपल, लोगों में दहश्त, सेहत विभाग ने कंटेनमैंट व माइक्रो कंटेनमैंट जोन में रहने वाले सभी लोगों के लिए लाजिमी किया यह टेस्ट

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बठिंडा. सेहत विभाग के कर्मचारी व डाक्टर जहां कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दिन रात एक कर अपनी जान पर खेल रहे हैं वही उन्हें प्रशासकीय व स्थानीय स्तर पर किसी तरह की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसका नतीजा यह हो रहा कि जहां फिल्ड में लगी टीम का मनोबल गिर रहा है वही लोगों में भी लापरवाही के चलते दहश्त का माहौल बन रहा है।

मामला बठिंडा प्रशासन की तरफ से हाल ही में एक के बाद एक कोरोना पोजटिव केस मिलने वाले श्याम ढांबे के आसपास के इलाके का सर्वे करने का है। प्रशासन ने इस क्षेत्र को माइक्रो कंटेनमैंट जोन घोषित कर यहां रहने वाले लोगों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का सर्वे करने व सैंपल लेकर रिपोर्ट तैयार करने का काम किया है। वीरवार की सुबह इस इलाके में सेहत विभाग की टीम सैंपल लेने व सर्वे करने पहुंची तो उन्हें वहां बैठने के लिए कोई भी फर्निचर व स्थान उपलब्ध नहीं करवाया गया। वही लोगों से भी सहयोग मांगा पर किसी तरह की सहायता नहीं मिलने पर आखिरकार टीम ने खुले आसमान तले सड़के के किनारे ही सैंपलिंग का काम शुरू कर दिया।

इलाका संवेदनशील है जहां कोरोना के मरीज मिलना भी संभाविक है इस स्थिति में जरूरी था कि होने वाले टेस्ट के लिए विशेष कमरा या स्थान या फिर टेंट की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि टेस्ट करते ज्यादा भीड़ इकट्ठी न हो व सोशल डिस्टेंसिंग का सही ढंग से पालना हो सके। फिलहाल सेहत विभाग जिस तरह से कोरोना के टेस्ट कर रहा था उससे दूसरे के संक्रमित होने की संभावना बनी हुई है। मौके पर एक कोरोना पोजटिव केस भी आया। फिलहाल इस स्थिति में सेहत विभाग ने जो लक्ष्य एक सौं से अधिक लोगों के सैंपल लेने का तय किया था वह लोगों में दहश्त के चलते सीमित होकर रह गया।
गौरतलब है कि प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से घोषित किए जाने वाले कंटेनमैंट व माइक्रो कंटेनमैंट जोन में आने वाले सभी लोगों के कोरोना टेस्ट सेहत विभाग से करने के लिए कहा है।

यह टेस्ट रैपिड एंटीजन टेस्टिंग किटों के जरिए किए जा रहे हैं, जिसे कुछ घंटे में उसकी रिपोर्ट हासिल हो जाती है और विभाग को यह भी पता चल सके उस एरिया में और कितने लोग कोरोना पाजिटिव है। हेल्थ डायरेक्टर ने प्रदेश के सभी सिविल सर्जनों को पत्र भेज कर इन आदेशों को बिना किसी देरी के लागू करने के आदेश दिए थे और अपने-अपने जिले के घोषित कंटेनमैंट व माइक्रो कंटेनमैंट जोन को पूरी नियमों के तहत सील करने के बाद उस एरिया में रहते सभी लोगों के रैपिड एंटीजन टेस्ट करने के लिए कहां गया था।
यह टेस्ट प्रकिया कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ा बदलाव ला सकती है। इससे टेस्टिंग की प्रक्रिया तेज होगी, मरीजों का पता जल्दी चलेगा, जिससे कि उनको इलाज जल्दी मिल जाएगा। यह टेस्टिंग इसलिए बहुत खास है क्योंकि आमतौर पर कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट 1-2 दिन में आती है जबकि इस तकनीक में आधा से एक घंटे के भीतर ही रिपोर्ट मिल जाएगी। ये किट थोड़ी ही देर में बता देती है कि जिसका सैंपल डाला गया है वो कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। फिलहाल इस बाबत सेहत कर्मियों को पेश आ रही दिक्कतों के मद्देनजर सरकार की योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने में दिक्कत हो रही है।

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