इन 6 कारणों से किसी को भी हो सकता है फेफड़ों का कैंसर, जानें लक्षण और बचाव

इंसान की छाती में मौजूद दो स्पॉन्जी ऑर्गेन्स फेफड़े (लंग्स) होते हैं, जो शरीर में ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने का काम करते हैं. mayoclinic की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. हालांकि ये बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है, जिन्होंने जीवन में कभी धूम्रपान ना किया हो. फेफड़ों के कैंसर का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं.

बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे हैं. उन्हें थर्ड स्टेज का एडवांस कैंसर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय इलाज के लिए अमेरिका जा सकते हैं. फेफड़ों का कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है, जिससे हर साल पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौत होती है. आइए जानते हैं इस भयंकर बीमारी के लक्षण, कारण और रोकथाम क्या हैं.

इंसान की छाती में मौजूद दो स्पॉन्जी ऑर्गेन्स फेफड़े (लंग्स) होते हैं, जो शरीर में ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने का काम करते हैं. mayoclinic की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. हालांकि ये बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है, जिन्होंने जीवन में कभी धूम्रपान ना किया हो. फेफड़ों के कैंसर का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं.

फेफड़ों में कैंसर के लक्षण
फेफड़ों में कैंसर के लक्षण या संकेत शुरुआती चरण में पता नहीं चलते हैं. दुर्भाग्यवश इसके लक्षण या संकेत बीमारी के एडवांस स्टेज पर पहुंचने के बाद ही पता लगते हैं. कभी दूर ना होने वाली खांसी, खांसी में खून, सांस में तकलीफ, छाती में दर्द, गला बैठना, छाती में बलगम, वजन घटना, हड्डियों में दर्द और सिरदर्द इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं.

कब लें डॉक्टर की सलाह?
फेफड़ों से जुड़ी शिकायत सामने आने के तुरंत बाद आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. अगर आप धूम्रपान करते हैं और उसे छोड़ नहीं पा रहे हैं, तब भी आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ये आदत छोड़ने में डॉक्टर्स आपकी मदद कर सकते हैं. वे आपको काउंसलिंग, मेडिकेशन और निकोटिन के रिप्लेसमेंट प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दे सकते हैं.

फेफड़ों के कैंसर का कारण
मुख्य रूप से धूम्रपान करने की वजह से ही फेफड़ों में कैंसर की शिकायत होती है. धूम्रपान करने वाले और इसके धुएं के संपर्क में आने वाले लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं. हालांकि, उन लोगों को भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है जिन्होंने ना तो कभी बीड़ी या सिगरेट पी है और ना ही वे धुएं के संपर्क में आए हैं. इस संदर्भ में कैंसर के कारण का पता नहीं लगाया जा सकता है.

धूम्रपान से क्यों होते है कैंसर?
डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि धूम्रपान फेफड़ों की कोशिकाओं को डैमज कर कैंसर का खतरा पैदा करता है. जब आप सिगरेट पीते हैं तो ‘कार्सिनोजेंस’ नाम का पदार्थ लंग्स टिशू को तेजी से बदलना शुरू कर देता है. शुरुआत में आपकी बॉडी इस डैमेज को रिपेयर कर सकती है, लेकिन  बार-बार धुएं के संपर्क में आने से फेफड़ों की कोशिकाएं डैमेज होने लगती हैं. इसके बाद कोशिकाओं के असामान्य रूप से काम करने के कारण कैंसर हो जाता है.

फेफड़ों के कैंसर के कितने प्रकार?
डॉक्टर ने फेफड़ों के कैंसर को दो बड़े हिस्सों में विभाजित किया है. ‘स्मॉल सेल लंग कैंसर’ और ‘नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर’ इसके आधार पर ही डॉक्टर्स तय करते हैं कि आपको किस तरह के इलाज की जरूरत है.

फेफड़ों के कैंसर की 6 बड़ी वजह
स्मोकिंग और नॉन स्मोकिंग के अलावा भी फेफड़ों में कैंसर के कई बड़े कारण हो सकते हैं. अगर आपने किसी अन्य प्रकार के कैंसर के लिए छोती की रेडिएशन थैरेपी कराई हो तो भी इसका खतरा बढ़ सकता है. रेडॉन गैस के संपर्क में आने से भी यह कैंसर हो सकता है. अर्सेनिक, क्रोमियम और निकेल जैसे कैमिकल एलिमेंट के संपर्क में आने से भी आप इसका शिकार हो सकते हैं. कई मामलों में फेफड़ों का कैंसर परिवार की हेल्थ हिस्ट्री पर भी निर्भर करता है.

इलाज और रोकथाम
फेफड़ों के कैंसर से निजात पाने के लिए डॉक्टर्स कई अच्छी सलाह देते हैं. धूम्रपान का त्याग, धूम्रपान के संपर्क में आने से बचना, हाई रेडॉन इलाकों से दूर रहना, कार्यस्थल पर कार्सिनोजेंस जैसे जहरीले कैमिकल से दूर रहना. डाइट में फल और हरी सब्जियों को शामिल करना. सप्ताह में नियमित रूप से एक्सरसाइज कर आप इस खतरे को टाल सकते हैं.

 

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