बिजली वितरण कंपनियों को राहत पैकेज के तहत 68 हजार करोड़ रुपये का लोन जारी
राहत पैकेज में बिजली वितरण कंपनियों (Discoms) में 90 हजार करोड़ रुपये के लिक्विडिटी इनफ्युजन करने का ऐलान हुआ था. इसी के तहत डिस्कॉम्स को अब तक 68 हजार करोड़ रुपये का लोन जारी कर दिया गया है. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को जारी किया गया है, जोकि 20 हजार करोड़ रुपये है.
एक सूत्र के अनुसार, ‘सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी आरईसी लिमिटेड (REC Ltd.) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) ने अब तक बिजली वितरण कंपनियों को 68 हजार करोड़ रुपये का लोन जारी कर दिया है.’ पिछले सप्ताह ही आरईसी लिमिटेड ने एक नियामकीय फाइलिंग (REC Ltd. Exchange Filing) में कहा था कि कंपनी ने 31 जुलाई 2020 तक 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक रकम जारी कर दिया है. यह डिस्कॉम्स के लिए लिक्विडिटी इनफ्यूजन का ही हिस्सा है.
इस पैकेज के तहत डिस्कॉम्स को दिए जाने वाले लोन उपरोक्त दोनों NBFC बराबार अनुपात में फंड करेंगी. इसे दो किस्त में जारी किया जाएगा. 13 मई को डिस्कॉम्स के लिए 90 हजार करोड़ रुपये के इस पैकेज का ऐलान किया गया था.
सूत्र ने आगे बताया, ‘क्रेडिट की पहली किस्त आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश को जारी कर दिया गया है. 90 हजार करोड़ रुपये के इस पैकेज तब पूरा हो जाएगा, जब 20 हजार करोड़ रुपये के लिए तमिलनाडु और 3500 करोड़ रुपये के लिए बिहार औपचारिक रूप से अपना प्रस्ताव सबमिट कर देते हैं.’
किन राज्यों को कितनी रकम मिली
इस पैकेज के तहत सबसे ज्यादा क्रेडिट उत्तर प्रदेश को मिला है जोकि अब तक 20 हजार करोड़ रुपये है. दूसरे नंबर पर 12,000 करोड़ रुपये के साथ तेलंगाना, 7,000 करोड़ रुपये के साथ कनार्टक, 6,000 करोड़ रुपये के साथ आंध्र प्रदेश, 5,000 करोड़ रुपये के साथ महाराष्ट्र और 4,000 करोड़ रुपये प्रत्येक के साथ पंजाब, राजस्थान और जम्मू व कश्मीर हैं.
मार्च तक बकाये भुगतान के लिए है यह पैकेज
यह पैकेज डिस्कॉम्स के लिए था ताकि वो इस साल मार्च तक के अपने बकाये का भुगतान कर सकें . इस पैकेज के ऐलान के दौरान सरकार ने कहा था, ‘वर्तमान में बिजली उत्पादक कंपनियों के प्रति डिस्कॉम्स का कुल बकाया 94,000 करोड़ रुपये का है.’ हालांकि, कुछ राज्यों ने मांग कि की इस पैकेज को और बढ़ाया जाए ताकि वो अप्रैल और मई के बकाये का भी भुगतान कर सकें.
1.25 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है पैकेज
जुलाई में ही ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने एक कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इस पैकेज के तहत राज्यों की तरफ से 93,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मांग की गई है. उस दौरान उन्होंने आवश्वस्त किया था कि इस अप्रैल और मई के बकाये को भी शामिल किया जाएगा. इसके बाद मई तक कुल बकाया 1.27 लाख करोड़ रुपये और जून तक 1.33 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. PRAAPTI पोर्टल पर इस आंकड़े के बारे में जानकारी दी गई है. इस लिक्विडिटी पैकेज के तहत क्रेडिट की मांग को बढ़ते देखकर सरकार इस बात पर पर विचार कर रही है कि इस पैकज को बढ़ाकर 1.25 लाख करोड़ रुपये का कर दिया जाए.