RBI ने बैंकों को दी लोन रिस्ट्रक्चरिंग की मंजूरी, जानें ग्राहकों पर क्या होगा असर?

RBI ने कोरोना वायरस (Covid019) से प्रभावित अर्थव्यवस्था (Economy) को उबारने के प्रयास जारी रखते हुए कंपनियों और पर्सनल लोन (Personal Loan) के रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा की छूट दी. एक बार रिस्ट्रक्चर करने के बाद, ऐसे लोन को स्टैंडर्ड माना जाएगा.

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को मॉनिटरी पॉलिसी में नीतिगत ब्याज दर रेपो (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया. रेपो रेट 4 फीसदी पर, रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी और एमसीएफ रेट 4.25 फीसदी पर बनी रहेगी. हालांकि RBI ने लोन मोरेटोरियम की अवधि नहीं बढ़ाई, लेकिन RBI ने कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास जारी रखते हुए कंपनियों और पर्सनल लोन (Personal Loan) के रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा की छूट दी. एक बार रिस्ट्रक्चर करने के बाद, ऐसे लोन को स्टैंडर्ड माना जाएगा.

इसका मतलब यह है कि अगर उधारकर्ता नए पेमेंट स्ट्रक्चर का पालन करता है तो डिफॉल्टर के रूप में उधारकर्ता को क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट नहीं किया जाएगा. आइए जानते हैं लोन रिस्ट्रक्चरिंग से ग्राहकों पर क्या होगा असर:-

RBI के अनुसार, पर्सनल लोन में व्यक्तियों को दिए गए कंज्यूमर क्रेटिड, एजुकेशन लोन, अचल संपत्तियों के निर्माण या इनकैशमेंट के लिए दिए गए लोन (उदाहरण के लिए हाउसिंग लोन), और फाइनेंशियल एसेट्स (शेयर, डिबेंचरऔर इसी तरह) में निवेश के लिए दिए गए लोन शामिल हैं. इस प्रकार के लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिये बैंकों को हानि-लाभ के खातों में ऊंचा प्रावधान करने की आवश्यकता नहीं होगी.

इन्हें मिलेगा फायदा
RBI के रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क के अनुसार, स्ट्रेस्ड पर्सनल लोन का रिजॉल्यूशन केवल उन उधारकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगा जो 1 मार्च 2020 को 30 दिन से अधिक की चूक नहीं हुई है. ऐसे लोन को बैंक दो साल का कर्ज विस्तार दे सकते हैं. यह विस्तार लोन किस्त के भुगतान पर रोक के साथ अथवा बिना किसी तरह की रोक के साथ दिया जा सकता है.

ग्राहक 31 दिसंबर से पहले रिस्ट्रक्चरिंग का आवेदन दे सकते हैं. बैंकों को इन आवेदनों पर 90 दिन के भीतर फैसला लेना होगा. बैंक और वित्तीय संस्थान लोन के रिपेमेंट का पीरियड अधिकतम 2 साल ही बढ़ा सकेंगे. इसका फैसला वे व्यक्ति की आय के आधार पर ले सकेंगे.

लोन मोरेटोरियम और लोन रिस्ट्रक्चरिंग में अंतर
RBI ने लोन मोरेटोरियम के तहत किस्तें न चुकाने की छूट थी. इस दौरान जो भी ब्याज बनता, वह बैंक आपके मूल धन में जोड़ देते हैं. जब EMI शुरू होगी तो आपको पूरी बकाया राशि पर ब्याज चुकाना होगा. यानी मोरेटोरियम अवधि के ब्याज पर भी ब्याज लगेगा.

लोन का रिस्ट्रक्चरिंग में बैंक तय कर सकेंगे कि ईएमआई को घटाना है या लोन का पीरियड बढ़ाना है, सिर्फ ब्याज वसूलना है, या ब्याज दर एडजस्ट करना है.

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