काेराेना काल में गरीबों को सरकारी राशन बांटने के दौरान 24.69 लाख राशन पैकेट्स में से 10.67 लाख पैकेट्स का हिसाब न मिलने का मामला दैनिक भास्कर में प्रकाशित होने के बाद सरकार से लेकर प्रशासन तक के अफसरों में हड़कंप मचा रहा। खुद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कड़ा संज्ञान लिया। उन्होंने सभी जिलों के डीसीज को एक सप्ताह में पूरी रिपोर्ट तैयार कर देने को कहा है।
वहीं, जहां खाद्य व आपूर्ति विभाग ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए वितरण का जिम्मा स्थानीय प्रशासन पर डाल दिया वहीं जिला प्रशासन ने जांच आगे जिला शिकायत विभाग को भेज दी है। लुधियाना में तो डीसी ने ऐसे किसी जांच के आदेश मिलने से ही इनकार कर दिया। जालंधर में डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने जिला शिकायत विभाग अधिकारी को पूरे मामले की जांच करने को मेल को फारवर्ड कर दिया है।
अब जिला शिकायत अधिकारी फूड एंड सप्लाई विभाग के अलावा अन्य लोगों से पैकेट वितरण में कैसे गडबड़ी आई, इसकी जानकारी लेंगे। राशन वितरण में नोडल अफसर का काम संभाल चुके अधिकारी ने कहा कि उनका काम किन-किन जगहों पर राशन भेजना है, उतने पैकेट टीम को देते थे। कहां, कितना राशन वितरित हुआ कोई लेखा-जोखा रखने को नहीं कहा गया। वहीं अमृतसर नगर निगम के वार्ड-65 के तहत आती शर्मा कॉलोनी में शुक्रवार सुबह कुल 54 लाेगाें काे सरकारी राशन की किटें दी गईं। राशन बांट रहे बलवीर सिंह ने खुद काे वार्ड-65 का इंचार्ज और उन्हें जिम्मेदारी अमृतसर साउथ के कांग्रेसी विधायक इंदरबीर सिंह बुलारिया ने दी है।
राशन बांटने का जिम्मा डीसी के पास था: आशु
इधर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा कि पैकेट्स बंटवाने की जिम्मेदारी जिलों के डीसी की थी। हमारे विभाग ने पैकेट्स बनाकर डीसी को सौंपे थे। हमारे पास दिए गए पैकेट्स का हिसाब है, जबकि डीसी की वितरण में अहम भूमिका थी, अब उन्होंने ही पैकेट्स का हिसाब रखना था।