राममय हुई अयोध्या, भूमि पूजन से पहले हर तरफ हर्षोउल्लास व खुशी का माहौल, टाइम कैप्सूल से लेकर कोरोना के बीच हर बड़ी जानकारी
अयोध्या में सभी मुख्य स्थानों को सजाया संवारा जा रहा है. मरम्मत और रंग-रोगन और सजाने का काम जारी है. जगह-जगह वॉल पेंटिंग के जरिये धार्मिक नगरी को सुंदर बनाया जा रहा है.
- भूमि पूजन को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं
- अयोध्या में सौंदर्यीकरण का काम तेजी से चल रहा
- 140 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर काम होना बाकी
अयोध्या में श्री रम मंदिर के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 5 अगस्त को इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. इस अवसर को विशेष बनाने के लिए तेजी से काम चल रहा है. अब सबकी निगाहें अयोध्या नगरी पर हैं.
वहीं अयोध्या में सभी मुख्य स्थानों को सजाया संवारा जा रहा है. मरम्मत और रंग-रोगन और सजाने का काम जारी है. जगह-जगह वॉल पेंटिंग के जरिये धार्मिक नगरी को सुंदर बनाया जा रहा है. शहर की सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है. सरयू नदी के घाटों को साफ करने और सौंदर्यीकरण का काम भी तेजी से चल रहा है.
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के साथ पूरे शहर के कायाकल्प की तैयारी चल रही है. अनुमान के मुताबिक मंदिर बनने के दौरान और इसके पूरा होने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. राम की नगरी अयोध्या में राम को स्थाई मंदिर मिलने के साथ ही लोगों के स्थाई कारोबार बढ़ने की उम्मीद और ज्यादा बढ़ गई है. बताया जा रहा है कि अयोध्या को अधिक सुंदर और आधुनिक बनाने के लिए 360 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पहले शुरू की जा चुकी हैं. आधुनिकीकरण के 140 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर अभी काम होना बाकी है.अयोध्या को सुंदर बनाने के लिए नमामि गंगे परियोजना का भी इस्तेमाल हो रहा है. इसके तहत सरयू में गिरने वाले तमाम छोटे नालों के गंदे पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट कर वापस सरयू में भेजा जा रहा है.
राम मंदिर के शिलान्यास और भूमि पूजन के बाद से ही शहर में तीर्थ पर्यटन में बढ़ोतरी की उम्मीद है. राम मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग यहां आया करेंगे. भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राम नगरी में परिवहन सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है.
अयोध्या रेलवे स्टेशन पर तीनों प्लेटफार्मों और स्टेशन के दोनों छोरों को जोड़ने वाला एक नया फुट ओवरब्रिज है. स्टेशन के नए मुख्य टर्मिनल भवन पर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इसका डिजाइन राम मंदिर के मॉडल के ऊपर ही रखे जाने की योजना है.
रेलवे स्टेशन और बस टर्मिनस, इन दोनों प्रोजेक्ट पर काम 2019 में शुरू हो गया था,लेकिन संभवत: कोर्ट केस के कारण और बाद में कोविड-19 महामारी की वजह से यहां काम रुका हुआ था. अब काम आगे बढ़ रहा है.
राम मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं
- टाइम कैप्सूल ताम्रपत्र का होगा, इस पर मंदिर का इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि का जिक्र होगा
- 2011 में मोदी ने महात्मा मंदिर के नीचे और 1973 में इंदिरा गांधी ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल रखवाया था
- अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखी जाएगी। इससे पहले राम मंदिर नींव के भीतर टाइम कैप्सूल रखे जाने को लेकर खूब चर्चा है। यह कैप्सूल क्या है? क्या ऐसा पहली बार हो रहा है? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में चल रहे हैं। दरअसल, बताया जा रहा है कि राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक मौजूद रहे, इसके लिए मंदिर के गर्भगृह की 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।
इस टाइम कैप्सूल पर मंदिर का पूरा विवरण और इतिहास लिखा रहेगा, ताकि भविष्य में जन्मभूमि और राम मंदिर का इतिहास देखा जा सके और कोई विवाद न हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने मीडिया को सबसे पहले यह जानकारी दी थी।
बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य भी बनाया गया है।
Ayodhya: Preparation of laddoos underway at Mani Ram Das Chhawni, ahead of foundation stone laying ceremony of Ram Temple. A worker says, "Total 1,11,000 laddoos will be prepared for offerings on Aug 5th."
PM Modi will lay the foundation stone of Ram Temple on 5th August. pic.twitter.com/x3CATTRj5f
— ANI UP (@ANINewsUP) July 31, 2020
1989 में भी भूमि के नीचे दबाया गया था ताम्र लेख
राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके मुताबिक 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था, लेकिन अभी उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आधार पर ही मंदिर का निर्माण करने वाली कंपनी एलएनटी नींव की खुदाई शुरू कर देगी।
- टाइम कैप्सूल क्या होता है?
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है और हर तरह के मौसम को सहन करने की इसमें क्षमता होती है। अयोध्या में राम मंदिर के नीचे डाला जाने वाला टाइम कैप्सूल कुछ सदियों के बाद एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में जाना जाएगा। टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। यह दस्तावेज ताम्र पत्र पर लिखा जाएगा।
These Rambhakts from Karnataka are doing padyatra till Ayodhya in heavy rains keeping a brick on their head with Sri Ram’s name on it from Karnataka. Don't u think this people deserve to put soil. If just walking matters they walking more. pic.twitter.com/10zCAMot8J #StopFaizKhan
— infidel castro (@BharatSaffron) July 29, 2020
- टाइम कैप्सूल पर क्या लिखा जाएगा?
इस ताम्र पत्र पर मंदिर का संक्षिप्त इतिहास, शिलान्यास की तारीख, भूमिपूजन करने वाले मुख्य अतिथि, उपस्थित विशिष्टजन का नाम, निर्माण की शैली तथा वास्तुविद का नाम लिखा रहेगा। ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार, ताम्र लेख तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली की एक कंपनी को सौंपी गई है।
1989 में भी जब राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, तब भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था
इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि साल 1989 में जब गर्भगृह के सामने राममंदिर का शिलान्यास हुआ था, उस वक्त भी एक ताम्र लेख भूमि के नीचे दबाया गया था। रामलला की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले वकील त्रिलोकीनाथ पांडेय बताते हैं कि उस वक्त ताम्र लेख विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव अशोक सिंहल ने तैयार कराया था। पांडेय बताते हैं कि ताम्रपत्र तांबे से बनाया जाता है, क्योंकि इस धातु में जंग नहीं लगती है। यह लेख मिट्टी में भी हजारों साल तक सुरक्षित रहेगा।
Preparations underway in Ayodhya, ahead of inauguration of the construction of Lord Ram's temple.
Prime Minister Narendra Modi will lay the foundation stone of Ram Temple on August 5. pic.twitter.com/PUFnzOI6rx
— ANI UP (@ANINewsUP) July 29, 2020
जब इंदिरा गांधी ने बनवाया टाइम कैप्सूल
भारत में पहले भी ऐसे टाइम कैप्सूल ऐतिहासिक महत्व की इमारतों की नींव में डाले जा चुके हैं। 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला था। तब इसे काल-पत्र का नाम दिया गया था। उस वक्त विपक्ष के लोगों ने इंदिरा गांधी के इस कदम की काफी आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इस काल-पत्र में इंदिरा गांधी ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है।
इंदिरा सरकार के काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका
- इंदिरा गांधी की सरकार ने अतीत की अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च यानी आईसीएचआर को सौंपा था और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर एस कृष्णासामी को पूरी पाण्डुलिपि तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह काम पूरा होने से पहले ही विवादों में फंस गया और इंदिरा सरकार के इस काल-पत्र में क्या लिखा था, उसका राज आज तक नहीं खुल सका।
- 1977 में कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। सरकार गठन के कुछ दिनों बाद टाइम कैप्सूल को निकाला गया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार ने इस बात का रहस्योद्घाटन नहीं किया कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था? बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय से मांगी गई एक जानकारी में बताया गया था कि पीएमओ को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है।
India needs a more affordable healthcare services, building infrastructure, educational institutions, focus on environmental protection at the earliest. What India got is a government interested in ground breaking ceremony of Ram Mandir amidst the pandemichttps://t.co/fQyN4H2Yn0
— Abhishek Mishra (@Abhishekmissh) July 23, 2020
मोदी भी बनवा चुके हैं टाइम कैप्सूल
टाइम कैप्सूल के विवाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी जुड़ा रहा है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का विपक्ष ने आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया है, जिसमें मोदी ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है।
2017 में स्पेन में 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था
30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला था, जो ईसा मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर साल 1777 के आसपास की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारियां थीं।
भूमिपूजन से पहले अयोध्या में कोरोना संकट, 12 दिन में दोगुने हुए मरीज
अयोध्या में राम मंदिर के लिए होने वाले “भूमि पूजन” समारोह में एक हफ्ते से भी कम समय बचा है. कोरोना वायरस के मद्देनजर मंदिर ट्रस्ट ने समारोह में आमंत्रित लोगों की संख्या 200 तक रखने का फैसला किया है. साथ ही ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि भूमि पूजन के समय वहां भीड़ न लगाएं. इसके बावजूद कुछ लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि समारोह में भीड़ जुटने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है और यह आशंका निराधार नहीं है. इस भव्य ‘भूमि पूजन’ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग लेने वाले हैं. समारोह से पहले ही रामलला के पुजारी प्रदीप दास कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसके अलावा राम जन्मभूमि की सुरक्षा में लगे 14 पुलिसकर्मी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं. 29 जुलाई तक अयोध्या जिले में कुल 993 कोरोना के केस दर्ज किए गए. इनमें से 13 लोगों की मौत हो चुकी है और 605 स्वस्थ हो चुके हैं. हालांकि, कुल मिलाकर ये आंकड़े डरावने नहीं लगते हैं, लेकिन टाइम सीरीज के हिसाब से देखें तो तस्वीर एकदम अलग है.