Coronavirus: वैक्सीन से पहले क्या भारत में तैयार हो चुकी होगी हर्ड इम्यूनिटी? स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब

भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं. हालांकि इन सबके बीच राहत की खबर ये है कि भारत में रिकवरी रेट 64.44 प्रतिशत है. वैज्ञानिकों का कहना है कि नई दिल्ली व आसपास के जिलों में 30 प्रतिशत से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिससे तीन माह में हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity ) बन जाएगी.

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नई दिल्ली. भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं. हालांकि इन सबके बीच राहत की खबर ये है कि भारत में रिकवरी रेट 64.44 प्रतिशत है. वैज्ञानिकों का कहना है कि नई दिल्ली व आसपास के जिलों में 30 प्रतिशत से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिससे तीन माह में हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity ) बन जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि वैक्सीन आने से पहले ज्यादातर लोगों में कोविड-19 (Covid-19) वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन चुकी होगी, ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी.

हर्ड इम्यूनिटी पर बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी या तो वैक्सीन के जरिए या फिर एंटीबॉडी के जरिए बनती है. यानी कि पहले बीमारी होने के बाद लोग उससे ठीक हो चुके हैं. हर्ड इम्यूनिटी बनना भारत जैसे देश के लिए बहुत जटिल है. इसलिए हर्ड इम्यूनिटी का प्रयोग करना संभव नहीं है.

क्या होती है हर्ड इम्यूनिटी?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर कोई बीमारी विश्व या किसी देश के बड़े हिस्से में फैल जाती है और मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी के संक्रमण को बढ़ने से रोकने में मदद करती है तो जो लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, वो उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं, यानी उनमें प्रतिरक्षात्मक गुण विकसित हो जाते हैं. उनमें वायरस का मुक़ाबला करने को लेकर सक्षम एंटी-बॉडीज़ तैयार हो जाता है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो हर्ड इम्यूनिटी संक्रमण को रोकने में दो-तरफा कारगर होती है. 80 प्रतिशत लोगों के इम्यून होने पर 20 प्रतिशत लोगों तक संक्रमण नहीं पहुंचता है. उसी तरह अगर किन्हीं विपरीत परिस्थितियों में इन 20 प्रतिशत लोगों को कोरोना संक्रमण हो जाता है तो वह बाकी 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचेगा क्योंकि वे पहले से इम्यून हैं. ऐसे में वायरल संक्रमण के फैलाव की प्रक्रिया रुक जाती है और महामारी से निजात मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

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