राहुल को शरद पवार की सलाह, ‘PM मोदी पर निशाना साधना बंद करें, कांग्रेस की बागडोर संभालने का समय’
एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा, 'मैंने कई वर्षों तक कांग्रेस को देखा है. और मैंने एक बात नोट की है. कोई भी यह स्वीकार करे या नहीं, लेकिन गांधीवाद कांग्रेस के लिए एक मजबूत ताकत है.'
नई दिल्ली. कांग्रेस (Congress) के साथ लंबे समय तक राजनीतिक मैदान में रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने बुधवार को सीएनएन से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को लेकर उनके अनुभवों का साझा किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए गांधीवाद एक मजबूत शक्ति है. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को भी सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी पर निशाना साधना रोकना चाहिए. यह समय कांग्रेस की बागडोर संभालने का है.’
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, ‘मैंने कई वर्षों तक कांग्रेस को देखा है. और मैंने एक बात नोट की है. कोई भी यह स्वीकार करे या नहीं, लेकिन गांधीवाद कांग्रेस के लिए एक मजबूत ताकत है. सोनिया जी कांग्रेस को साथ लाने में सफल रहीं. अब कांग्रेसियों ने राहुल गांधी को स्वीकार कर लिया है. यह उनका आंतरिक मामला है. और यह पार्टी की रैंक और फाइल तक है. लेकिन मुझे लगता है कि उन सभी लोगों को पार्टी की पूरी जिम्मेदारी राहुल गांधी को सौंप देनी चाहिए.’
शरद पवार ने कहा कि राहुल गांधी के लिए न केवल पार्टी का शासन संभालना महत्वपूर्ण था, बल्कि पार्टी के विभिन्न नेताओं के साथ बातचीत भी करना जरूरी था. उन्होंने कहा, ‘उन्हें सभी नेताओं के साथ बात करनी चाहिए, उन्हें साथ लाना चाहिए.’
यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी को ऑफिस कैसे संभालना चाहिए? एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, ‘उन्हें देश का दौरा शुरू करना चाहिए. उन्हें यात्रा करनी चाहिए, पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलना चाहिए. यह कुछ ऐसा है जो उन्होंने कुछ समय पहले किया था. अब फिर उन्हें ये करना शुरू कर देना चाहिए. पार्टी कार्यकर्ताओं को जुटाना महत्वपूर्ण है.’
यह उन कुछ वक्त में से एक है जब शरद पवार ने कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दों के बारे में बात की है. उनसे पीएम मोदी के खिलाफ राहुल गांधी की हालिया टिप्पणियों के बारे में भी पूछा गया. राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, ‘पीएम अपनी छवि बनाने के लिए 100 फीसदी केंद्रित हैं. भारत के सभी कब्जाए हुए संस्थान इस कार्य में व्यस्त हैं. एक व्यक्ति की छवि राष्ट्रीय दृष्टि का विकल्प नहीं है.’