Covid-19 Vaccine: 1 हजार रुपये से कम होगी कोरोना वैक्सीन की कीमत!

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) के सीईओ अदर पूनावाला (Adar Poonawalla) ने कहा है-अभी वैक्सीन की कीमत के बारे में कोई बात कहना जल्दबाजी हो सकती है लेकिन हम कोशिश करेंगे कि इसकी कीमत एक हजार रुपये से कम रखी जाए.

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नई दिल्ली. दुनियाभर में इस वक्त कोरोना वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) के तकरीबन 140 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इनमें कई वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल (Human Trials) शुरू हो चुके हैं. दावे किए जा रहे हैं कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में वैक्सीन लॉन्च (Vaccine Launch) हो सकती है. लेकिन इन सबके बीच आम लोगों में वैक्सीन की कीमत को लेकर भी उहापोह मचा हुआ है. माना जा रहा है कि कोई भी देश वैक्सीन खोजे लेकिन कीमत आम लोगों को ध्यान में रखकर की जाएगी.

पार्टनर फर्म के सीईओ बोले

भारत की फार्मा कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड के कोरोना वैक्सीन में पार्टनर है. इस कंपनी के सीईओ अदर पूनावाला हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अदर पूनावाला ने बताया है- ‘अभी वैक्सीन की कीमत के बारे में कोई बात कहना जल्दबाजी हो सकती है लेकिन हम कोशिश करेंगे कि इसकी कीमत एक हजार रुपये से कम रखी जाए.’

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया
अदर पूनावाला के पिता डॉ. साइरस पूनावाला ने ही सीरम इंस्टिट्यूट की स्थापना साल 1966 में की थी. ये कंपनी पूनावाला ग्रुप का हिस्सा है. अदर पूनावाला ने यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिनिस्टर से पढ़ाई की है. अदर पूनावाला ने अपने पिता की कंपनी 2001 में जॉइन की थी. माना जाता है कि सीरम इंस्टिट्यूट को आगे बढ़ाने और इसकी इसकी इंटरनेशनल ग्रोथ में उनका बहुत बड़ा योगदान है. 2011 में वो कंपनी के सीईओ बने.

100 करोड़ वैक्सीन बनाने का प्रोजेक्ट
पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले ही ऑक्सफोर्ड के प्रोजेक्ट में कौलैबरेशन कर रखा है. अगर ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की कामयाब हो जाती है तो भारत में इसकी उपलब्धता में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है. इस कंपनी ने AstraZeneca नाम की उस कंपनी के साथ टाई-अप कर रखा है जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही है. ऑक्सफोर्ड का प्रोजेक्ट सफल होने के साथ सीरम इंस्टिट्यट ऑफ इंडिया वैक्सीन 100 करोड़ डोज तैयार करेगी. इनमें से 50 प्रतिशत हिस्सा भारत के लिए होगा और 50 प्रतिशत गरीब और मध्यम आय वाले देशों के लिए.

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