Rajasthan Crisis: भाजपा को उम्मीद – ’24 जुलाई को आएगा अच्छा फैसला, सरकार की हो जाएगी विदाई’

राजस्‍थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने सियासी संकट को लेकर कहा है कि 24 जुलाई को अच्‍छा फैसला आएगा और गहलोत सरकार का बारहवां हो जाएगा.

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जयपुर. स्पीकर के नोटिस पर राजस्‍थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने फैसला 24 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया है. भारतीय जनता पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि फैसले का सभी को इंतजार है, लेकिन यह न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा है. पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने कहा कि हमे न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और 24 जुलाई को अच्छा निर्णय आने की उम्मीद है. वहीं, उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कहा है कि 24 जुलाई को सियासी उठापटक के 12 दिन पूरे हो जाएंगे और इसी दिन कोर्ट का फैसला आएगा. उन्होंने कहा कि 12 दिन का हमारी संस्कृति में खास महत्व है. इसी दिन वर्तमान सरकार का भी बारहवां हो जाएगा. राठौड़ ने यह भी कहा कि मामला लम्बा खिंचता जा रहा है और बाड़े में बंद विधायक तड़पड़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को साफ करना चाहिए कि बाड़ेबंदी कब तक रहेगी.

सीबीआई भी हो सकती है तत्पर
उधर आज राजगढ एसएचओ विष्णुदत्त विश्नोई आत्महत्या प्रकरण को लेकर सीबीआई ने कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया और मुख्यमंत्री के ओएसडी देवाराम सैनी से पूछताछ की. सीबीआई की इस कार्यवाही पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सीबीआई जांच प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे सियासी घटनाक्रम से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की खुद मुख्यमंत्री ने अनुशंसा की थी.वहीं, सतीश पूनिया ने कहा कि जब एसओजी और एसीबी कार्रवाई के लिए तत्पर हो सकती है तो सीबीआई भी कार्रवाई के लिए तत्पर हो सकती है.

हाईकोर्ट जाने पर विचार

वहीं, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के मसले पर भाजपा विधायक मदन दिलावर ने कहा है कि इस सम्बन्ध में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से विचार-विमर्श चल रहा है. यदि पार्टी के निर्देश मिलते हैं तो हाईकोर्ट जाएंगे. दिलावर ने कहा कि उन्होंने 13 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के सामने अपील दी थी जिसमें बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को असंवैधानिक बताया गया था. अब चार महीने बीत जाने के बाद भी स्पीकर ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है. जबकि ताजा सियासी घटनाक्रम में पायलट खेमे के विधायकों को उसी आधार पर तुरन्त नोटिस भेज दिए गए हैं.

 

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