बड़ी खबर: कोरोना को मात देने के लिए स्कूल और कॉलेजों का खुलना जरूरी! जानिए पूरा मामला

एम्स के कुछ प्रोफेसर्स का मानना है कि भारत में स्कूल-कॉलेज खोल देना चाहिए ताकि लोगों में कोरोना वायरस को मात देने की क्षमता विकसित हो सके.

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नई दिल्ली. पूरे देश में फैल कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के बीच पिछले चार महीनों से स्कूल-कॉलेज बंद हैं. सरकार लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए तरह तरह के उपाय कर रही है. लेकिन, एम्स के कुछ प्रोफेसर्स का मानना है कि भारत में स्कूल-कॉलेज खोल देना चाहिए ताकि स्टूडेंट्स में कोरोना वायरस के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) विकसित हो सके. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इन प्रोफसर्स का मानना है कि हर्ड इम्युनिटी के जरिए कोरोना वायरस को मात दी जा सकेगी.

कोरोना वायरस के खिलाफ अपनाए जा रहे कई तरीके
एक तरफ सोशल डिस्टेंसिंग, घर में ही रहने, समय समय पर हाथ को सैनिटाइज़ करने और एन-95 जैसे मास्क को लगाकर सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं. साथ ही दुनिया में इसके लिए वैक्सीन बनाने की पूरी कोशिश हो रही है ताकि कोविड के पहले वाली दुनिया में लौटा जा सके. जहां तरफ ये सब किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ साइंटिस्ट दूसरे तरीकों से काम कर रहे हैं ताकि लोगों में कोविड-19 को लेकर इम्युनिटी विकसित हो सके.

क्या है हर्ड इम्युनिटी

हर्ड इम्युनिटी उस स्थिति को कहते हैं जिसमें जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा कोविड-19 जैसी किसी संक्रामक बीमारी के प्रति इम्यून हो जाता है, जिससे वायरस व्यक्ति पर असर नहीं दिखा पाता और वह बीमार नहीं पड़ता. यह वैक्सीनेशन के ज़रिए भी हो सकता है और पहले के वैक्सीनेशन के जरिए भी.

कैसे विकसित होगी हर्ड इम्युनिटी
इंडिया टुडे के मुताबिक सेंटर ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन, एम्स के प्रोफेसर डॉ. संजय राय का कहना है कि हर्ड इम्युनिटी दो ही तरीके से विकसित होती है. या तो वैक्सीन बना लिया जाए और या तो संक्रमण के एक्पोज़र के जरिए हर्ड इम्युनिटी डेवलप होती है. उनका कहना है कि वैक्सीन के बारे में पता नहीं है कि कब तक विकसित होगी और कितनी प्रभावशाली होगी. इसलिए हमारे पास दूसरा ही तरीका बचता है कि संक्रमण से एक्सपोजर के जरिए हर्ड इम्युनिटी को डेवलप किया जाए.

बच्चों की होगी अहम भूमिका
डॉ. राय का कहना है कि कठिन परिस्थिति में एक उम्मीद की किरण है स्कूल-कॉलेज को खोलना. उन्होंने कहा कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन के नियमों का पूरी तरह से पालन करते हुए स्कूलों को खोला जाएगा तो देर-सबेस सारे लोगो को संक्रमण का एक्सपोज़र होगा. इससे बच्चों में एक नई इम्युनिटी डेवलप होगी. जिससे ये हर्ड इम्युनिटी को विकसित करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे.

सिर्फ लॉकडाउन से नहीं होगी समस्या खत्म
सेंटर ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के पूर्व एचओडी डॉ. चंद्रकांत एस पांडव का कहना है कि सिर्फ लॉकडाउन ही इस समस्या का उपाय नहीं है. यह संक्रमण के समय में देरी करके उसे आगे बढ़ा सकता है लेकिन उससे हमें हमेशा के लिए सुरक्षित नहीं कर सकता. ऐसी बहुत सी बीमारियां है जिनकी वैक्सीन जल्दी नहीं बन पाती, और अगर यही कोविड-19 के साथ होता है तो इस महामारी को खत्म करने का एकमात्र उपाय हर्ड इम्युनिटी विकसित करना है.

लगातार घर में रहने से भी बढ़ सकती है समस्या
वहीं हील फाउंडेशन के फाउंडर डॉ. स्वराजदीप श्रीवास्तव का कहना है कि एक्सपर्ट्स ने इम्युनिटी को लेकर एक नया नज़रिया पेश किया है. उनका कहना है कि लिमिटेड ऐक्टिविटी यानी की शारीरिक काम कम करने से इम्युनिटी घटती है. और वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन क्लासेज और ज्यादातर कॉर्पोरेट ऑफिसेज में वर्क फ्रॉम होम के कारण फिजिकल ऐक्टिविटी कम हुई है. इसलिए जो लोगों को कोविड-19 से बचाने के लिए किया गया था उससे लोगों की परेशानी बढ़ सकती है.

 

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