S.C ने ‘एक देश-एक बोर्ड का आयडिया’ किया खारिज, कहा-बच्चों पर और न लादें बोझ
वकील अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा-हमारे बच्चों के पास पहले से ही बहुत भारी बैग है. वजन की वजह से उनकी कमर पहले से ही टूट रही है. आप उन पर और ज्यादा बोझ क्यों लादना चाहते हैं?
नीतिगत मामला, कोर्ट कैसे दे दखल
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बच्चों के साथ सहानुभूति रखिए और ऐसा कुछ और मत कीजिए जो उनके स्कूल बैग का बोझ बढ़ा दे. जस्टिस ने वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा-‘आप जो कुछ मांग रहे हैं वो नीतिगत मामला है. हम ये कैसे कह सकते हैं कि सभी बोर्ड्स को मर्ज कर दिया जाए! एक ही सिलेबस हो! क्या पढ़ाया जाए! हम ये सबकुछ नहीं कह सकते. कोर्ट इसका आदेश नहीं दे सकती.’
अलग-अलग बोर्ड्स के सिलेबस भी अलग
सुनवाई के दौरान वकील अश्विनी उपाध्याय ने तर्क दिया कि देश के विभिन्न बोर्ड्स ने बिल्कल अलग-अलग सिलेबस अपना रखा है. इस पर जज बोले-‘अलग-अलग सिलेबस शायद इसलिए रखे गए क्योंकि हम अपने देश में अनेकता को बढ़ावा देते रहे हैं. बच्चों को अनेकता के बारे में सीखने-पढ़ने दीजिए.’ इस पर वकील ने जोर दिया कि वो जो मुद्दा उठा रहे हैं वो महत्वपूर्ण है.
देश में बहुत हैं महत्वपूर्ण मामले
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने जवाब दिया-ये मामला महत्वपूर्ण तो है लेकिन न्याय कर सकने लायक नहीं. देश में ऐसे हजारों मुद्दे हैं जो महत्वपूर्ण हैं लेकिन सभी न्यायिक क्षेत्र में नहीं है. कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय के उस आग्रह को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि इस याचिका को केंद्र और राज्य सरकार के लिए रिप्रजेंटेशन माना जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस अपील को सही जगह लेकर जाएं.