अपने पिता को 1200 किमी साइकिल चलाकर घर लाने वाली बिहार की ज्योति और उसके परिवार की जिंदगी पिछले 60 दिनों में पूरी तरह बदल गई है। उसके गांव का नाम सिरुहुलिया है। पिछले महीने ही ज्योति और उसका ये गांव खूब मशहूर हुआ था। गांव के नजदीक गाड़ी रोककर पूछा- ज्योति का गांव यही है? तो सामने खड़े शख्स बोले- कौन ज्योति…वो साइकिल वाली? हमने हां कहा, तो बोले, ये गली में तीसरे नंबर का घर उसी का है।
उस घर के सामने पहुंचे तो देखा कि वहां मरम्मत का काम चल रहा है। छत पर बैठे व्यक्ति को हाथ दिखाया तो वो नीचे आए। हमने पूछा कि ज्योति का घर यही है क्या? बोले, जी, यही घर है। यह उसी का घर बन रहा है। मैं उसका जीजा हूं। घर के पास में ही कुछ महिलाएं खड़ी थीं। इन्हीं मैं ज्योति की मां फूलन देवी भी थीं।
वो बोलीं, मैं और ज्योति जनवरी में गुड़गांव गए थे। मेरे पति वहां ई-रिक्शा चलाते थे। डेढ़ साल से चला रहे थे। दस दिन रुककर मैं फरवरी में वापस आ गई थी लेकिन ज्योति वहीं रुक गई। पति का एक्सीडेंट हो गया था तो पैर फ्रैक्चर हो गया। इसी कारण वो पैदल नहीं चल पा रहे थे। इसी के बाद ज्योति उन्हें साइकिल से घर लाई।
मां कहती हैं, ज्योति इतना लंबा साइकिल चलाकर आई इसी वजह से हमारा घर बन रहा है। ज्योति को ढाई लाख रुपए कैश मिले थे। इसके अलावा अकाउंट में भी पैसा आया है। करीब 6 लाख रुपए सब जोड़कर हुए हैं। जो कैश आया है, उसी से हम घर बना रहे हैं। वो खुश होकर बताती हैं, अब हमें सब पहचानते भी हैं। बहुत से लोग मिलने घर आते हैं। वो ज्योति से बात करवाने हमें घर के भीतर ले गईं। अंदर ज्योति अपने दो छोटे-छोटे भाइयों और पिता के साथ बैठी थी।
सुबह चार से रात दस बजे तक चलाती थी साइकिल
ज्योति बड़े गर्व के साथ अपनी कहानी सुनाने लगी। बोली, वहां खाने-पीने को कुछ नहीं था। मकान मालिक कमरा खाली करने को बोल रहा था। तो हमने पापा को बोला कि चलिए हम आपको ले चलते हैं। पहले पापा नहीं माने लेकिन जब उन्हें भी कोई रास्ता नहीं दिखा तो आने को तैयार हो गए।
ज्योति कहती है, हम गांव के ही एक ग्रुप के साथ निकले थे। सुबह चार बजे से रात के दस बजे तक मैं सायकल चलाती थी। बीच-बीच में कई बार हिम्मत हार गई। पापा से बोला कि अब साइकिल नहीं चल रही। फिर पापा ने कहा कि, अब निकल गए हैं तो घर पहुंचना ही पड़ेगा। रास्ते में कहां रहेंगे? आखिरकार 8 दिन में अपने घर पहुंच ही गए।
चार साइकिल मिली और बहुत गिफ्ट, अभी पेटी में रख दिए हैं
ज्योति बोली, जब हम गांव पहुंचे तो सब हैरान थे और बोल रहे थे कि बहुत अच्छा, बहुत अच्छा। हमें अखिलेश यादव ने 1 लाख रुपए दिए। चिराग पासवान ने 51 हजार रुपए, तेजस्वी यादव ने 50 हजार रुपए दिए। और बहुत सारे लोगों ने कुछ न कुछ रुपए पैसे दिए। किसी ने 20 हजार तो किसी ने 10 हजार रुपए अकाउंट में डाले।
ढाई लाख रुपए तो कैश मिले। इसके अलावा चार सायकल भी मिलीं। मम्मी, पापा और मुझे कपड़े मिले। थर्मस, घड़ी और गिफ्ट भी मिले। अभी सब पेटी में रख दिए हैं। जब नया घर बन जाएगा तब बाहर निकालेंगे। बरामदे में चारों नई मिली साइकिलें भी खड़ी हैं।
पिता गर्व से कहते हैं, ज्योति ने हमारा जीवन बदलकर रख दिया
ज्योति के पिता मोहन पासवान कहते हैं, बेटी के एक काम ने हमारा पूरा जीवन बदलकर रख दिया। अब हमें ज्योति के नाम से ही सब जानते हैं। पूरे गांव में ज्योति का नाम सबको पता है। बोले, घर में अभी कोई कमाने वाला नहीं है। जो पैसा मिला है, उससे घर बना रहे हैं। उसी से खाना-पीना भी चल रहा है। अब गांव से हाल फिलहाल बाहर जाने का इरादा भी नहीं है। यहीं कुछ खेती का काम देखेंगे। बाद में हालात ठीक हुए तो फिर आगे का कुछ सोचेंगे।
ज्योति अभी नौवी क्लास में है। उसके दो छोटे भाई और एक छोटी बहन है। एक बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। वो अपने पति के साथ अभी ज्योति के घर में ही रह रही हैं। ज्योति साइकिल में ही अपना भविष्य भी देखती है। बोलती है, मुझे साइकिल वाली रेस में जाना है। उसी में नाम कमाऊंगी।