चंडीगढ़। अग्रिम जमानत का उद्देश्य निर्दोष व्यक्तियों को उत्पीड़न और असुविधा से बचाना है और यह केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जानी चाहिए, लेकिन आजकल अग्रिम जमानत नियमित रूप से दी जाने लगी। ऐसा कर दोषी को ढाल मिल रही है, जो नहीं होना चाहिए।
हाई कोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने फरीदाबाद निवासी गगन इंदर सिंह की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। याची के खिलाफ एनआइटी फरीदाबाद में एक प्रसिद्ध सैलून की मालकिन को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप है, जिसके तहत उस पर मुकदमा दर्ज किया गया। सैलून मालकिन ने 15 जून को फरीदाबाद में बीपीटीपी पुल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
इस मामले में फरीदाबाद पुलिस द्वारा सेक्टर आठ की एक 63 वर्षीय महिला की शिकायत पर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शिकायत के अनुसार उसकी 39 वर्षीय बेटी अविवाहित थी और वह एनआइटी, फरीदाबाद के पास ब्यूटी पार्लर चला रही थी।
शिकायत के अनुसार लड़की का आरोपित के साथ संबंध था और वह अक्सर उससे मिलती थी। 15 जून को मुझे बेटी के दोस्त द्वारा सूचित किया गया कि वह आत्महत्या करने जा रही है। जब तक महिला बीपीटीपी पुल पर पहुंची, तब तक मेरी बेटी पुल से कूद चुकी थी और मर गई।
पुलिस को दिए अपने बयान में शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि उसकी बेटी ने अपने दोस्त के नंबर पर एक संदेश भेजा था कि उसकी मौत के लिए आरोपित और उसका परिवार जिम्मेदार है और आरोपित ने उसे धोखा दिया था। आरोपित ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले फरीदाबाद की स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन 29 जून को उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी, इसलिए अब याची ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर की थी, जिसे वहां से भी खारिज कर दिया गया है।
साभार-दयानंद शर्मा़, जागरण डाट काम