WHO ने जिस धारावी मॉडल की तारीफ की / 4 टी फॉर्मूला- ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटिंग से कोरोना पर काबू पाया, 3.6 लाख लोगों के टेस्ट हुए
धारावी में जुलाई में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर अब बढ़कर 74 फीसदी हो गई है, जबकि अप्रैल में ठीक होने की दर 33 फीसदी थी 200 बेड का अस्पताल बनाया गया, सभी स्कूल, मैरिज हॉल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को क्वारैंटाइन सेंटर में तब्दील किया कोरोना संक्रमित होने के डर से यहां से 1.5 लाख लोगों ने पलायन किया, इससे कोरोना को काबू करने में मदद मिली
मुंबई. डेन्नी बॉयल ने धारावी में स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म की शूटिंग की और ऑस्कर पुरस्कार जीता। इसके बाद धारावी दुनियाभर में सुर्खियों में आ गयी। पिछले साल धारावी रैपर्स पर आधारित फिल्म गल्ली बॉय को जब 13 अवार्ड मिले, तो फिर से इसकी चर्चा होने लगी।
अभी हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के चीफ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस ने कोरोनावायरस कंट्रोल को लेकर मुंबई के धारावी की तारीफ की है। मार्च- अप्रैल के महीने में धारावी की स्थिति काफी खराब थी, लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, लेकिन अब यहां स्थिति नियंत्रण में हैं। अभी यहां सिर्फ 113 एक्टिव मरीज हैं।
चेस द वायरस लक्ष्य पर काम कर कोरोना को किया कंट्रोल
धारावी मुंबई मनपा के जी/उत्तर वार्ड का हिस्सा है। इस वार्ड के अंतर्गत दादर और माहिम जैसे इलाके भी आते हैं। यहां के सहायक मनपा आयुक्त किरण दिघावकर बताते हैं कि हमने चेस द वायरस इस लक्ष्य पर काम किया और फोर टी (4टी) फार्मूले को अपनाया। इसके तहत ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटिंग के काम पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धारावी में कोरोना को रोकना बहुत बड़ी चुनौती थी।
क्योंकि 2.5 वर्ग किमी. में फैले धारावी की पापुलेशन डेंसिटी 2,27,136 प्रति किमी है। यहां की गलियां बहुत ही संकरी हैं। इन संकरी गलियों में ग्राउंड प्लस वन, ग्राउंड प्लट टू और यहां तक कि ग्राउंड प्लस थ्री इमारते हैं। जिसमें पहली मंजिल पर लोग रहते हैं और ऊपरी मंजिल पर कारखाने चलते हैं।
धारावी की 80 फीसदी आबादी 450 सामुदायिक शौचालयों का इस्तेमाल करती हैं और यहां 100 वर्ग फीट की झुग्गी-झोपड़ी में 8-10 लोग रहते हैं। यहां के ज्यादातर लोग बाहरी भोजन पर ही निर्भर हैं।
जब धारावी में अप्रैल महीने में कोरोना संक्रमण का ग्रोथ रेट 12 प्रतिशत हो गया और 18 दिन में मरीज दोगुने होने लगे तो यह साफ हो गया कि यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव नहीं है। और यहां लोगों को होम क्वारैंटाइन भी नहीं किया जा सकता।
"Today, WHO is launching the Access Initiative for Quitting Tobacco, which aims to help the world's 1.3 billion tobacco users quit during the #COVID19 pandemic"-@DrTedros #NoTobacco https://t.co/lCxkczSA4o
— World Health Organization (WHO) (@WHO) July 10, 2020
लिहाजा मनपा अधिकारियों ने यहां के डॉक्टरों की मदद से फोर टी फॉर्मूले पर काम करना शुरू किया। इसके तहत 47,500 घरों में रहने वाले लोगों की टेस्टिंग की गई। इसके अलावा 14,970 लोगों की स्क्रीनिंग मेडिकल मोबाइल वैन में की गई। इस तरह धारावी के करीब 3.6 लाख लोगों की टेस्टिंग की गई। जिसमें 8,246 बुजुर्ग भी शामिल थे।
Asia’s largest slum & densely populated area like Dharavi has not only shown the World that through collective effort Corona can be controlled but has also made a name for itself globally as a role model in the fight against Corona said the Hon’ble CM Uddhav Balasaheb Thackeray.
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) July 11, 2020
200 बेड का अस्पताल बनाया गया, सभी स्कूल, मैरिज हॉल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को क्वारैंटाइन सेंटर में तब्दील किया
दिघावकर बताते हैं कि संदिग्धों की पहचान करने के बाद इन्हें कम्युनिटी से अलग क्वरैंटाइन सेंटर में रखा गया। यहां सभी स्कूल, मैरिज हॉल और स्पोर्ट्स कॉम्लेक्स को क्वरैंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया।इस काम में फ्राइवेट डॉक्टरों की भी मदद ली गई। उन्हें अपनी क्लीनिक खुली रखने को कहा गया और इलाज के लिए आने वाले सभी मरीजों की जांच करने को कहा गया। इसमें संदिग्ध मरीजों की जानकारी फौरन मनपा को देने की सूचना दी गई।
धारावी में अप्रैल महीने में औसतन 18 दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या डबल हो रही थी। मगर जून में यह बढ़कर औसतन 108 दिन हो गया और जुलाई के शुरुआती सप्ताह में धारावी में कोरोना का ग्रोथ रेट घट कर 0.38 प्रतिशत हो गया है। जबकि पहले औसत ग्रोथ रेट 12 प्रतिशत हुआ करता था। मई में जहां 43 मरीज रोजाना मिल रहे थे।
वहीं जुलाई के पहले सप्ताह में संख्या 8 तक सीमित हो गयी। यानी धारावी में जुलाई में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर अब बढ़कर 74 प्रतिशत हो गई। जबकि अप्रैल में ठीक होने की दर 33 फीसदी थी।
संक्रमण के डर से धारावी से 1.5 लाख से अधिक लोगों ने किया पलायन
मुंबई मनपा में नेता प्रतिपक्ष रवि राजा कहते हैं कि धारावी में कोरोना दो वजहों से कंट्रोल में आया। पहला यह कि धारावी में जब मार्च-अप्रैल में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ, तो मनपा ने यहां बड़े पैमाने पर टेस्टिंग शुरू की। जिससे संदिग्धों की पहचान होती गई। इस वजह से भी यहां कोरोना को कंट्रोल करने में मदद मिली।
हालांकि सहायक मनपा आयुक्त किरण दिघावकर इस दावे से पूरी तरह से सहमत नहीं है। उन्होंने बताया कि धारावी की जनसंख्या 8.5 लाख है। इसमें से 69 हजार लोग पुलिस की मदद से श्रमिक ट्रेन से और लगभग 60-70 हजार लोग दूसरे साधनों से गांव गए। इस तरह धारावी से करीब 1.5 लाख लोग गांव गए।
सिर्फ इतने लोगों के जाने कोरोना कंट्रोल में आ गया। यह दावा पूरी तरह से सही नहीं है। हां, यह भी सही है कि इतनी संख्या में लोगों के गांव जाने से कोरोना को कंट्रोल करने में मनपा अधिकारियों को मदद मिली।
माहिम धारावी मेडिकल पैक्टिशनर्स एसोसिएशन ने निभाई जिम्मेदारी
धारावी में कोरोना कंट्रोल करने में माहिम धारावी मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अपनी जिम्मेदारी निभाई। एसोसिएशन के सचिव डॉ. रमेश जैन बताते हैं कि हमारे संगठन से 1250 डॉक्टर जुड़े हैं। हमारे डॉक्टरों ने भी 5 टीम बनाई। जिन्होंने मुंबई मनपा के डॉक्टर, नर्स व अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ मिलकर अब तक 13 हजार से अधिक लोगों का प्राथमिक टेस्ट किया। जिसमें 100 से अधिक संदिग्ध मरीज नजर आए। जिन्हें कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी गई। इस तरह धारावी व आस-पास के इलाके के स्थानीय डॉक्टरों की टीम ने भी कोरोना को कंट्रोल किया।