सब्जियाँ की थोक और पर्चून कीमतों में जमीन आसमान का फर्क, होलसेल में टमाटर 18 रुपए पर रिटेल में 80 रुपए किलो

केंद्र की सख्ती के बाद राज्य सरकारों ने जिला मंडी अफसरों से मामले की जांच कर कारर्वाई करने की दी हिदायतें केंद्र सरकार सब्जियाँ के थोक और परचून कीमतों में बड़े अंतर को देखते चौकस हो गई है। खुराक मंत्रालय ने इस बारे प्रदेश सरकारों को चेतावनी दी है वही बेकाबू हो रही कीमतों को काबू करने के लिए कहा है। सूबों को जहां सब्जियों व फलों की सप्लाई पर नजर रखने के लिए कहा गया है। वही इसमें तत्काल बनती कारर्वाई रे आदेश दिए है।

नई दिल्ली. थोक बाजार की तुलना में परचून बाजार में सब्जियां व फल ज्यादा महंगे होने से सरकार सचेत है। पिछले कुछ दिनों से आलू, टमाटर और मौसमी सब्जियाँ की कीमतों में काफ़ी विस्तार हो रहा है। आलू 35 से 40 रुपए और टमाटर 70 रुपए से 90 रुपए किलो बिक रहे हैं। यह परचून की कीमतें हैं। थोक मंडियों में उन की कीमतों काफी कम हैं। फिलहाल कभी कोरोना तो कभी बरसात का बहाना बनाकर सब्जी विक्रेता व आढ़तिये मनमाने दाम वसूल करने लगते हैं। इससे आम लोगों की जेब में सीधा बोझ पड़ता है। कोरोना की मार तल दबे लोगों को सरकार राहत देने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है। यही कारण है कि अब उन्होंने थोक बाजार में 18 से 20 रुपए में मिलने वाली सब्जियों के दाम 70 रुपए तक करने पर सख्ती करने का आदेश दिया।

सब्जियाँ महंगी होने का कारण

टमाटर थोक मंडियों में 18 से 20 रुपए किलो में बिक रहा है परन्तु परचून के भाव 50 से 80 रुपए हो गए हैं। शिमला मिर्च की थोक कीमत 20 रुपए प्रति किलो है और यह 50 से 60 रुपए में बिक रही है। परचून दुकानदार डीज़ल की कीमतों में वृद्धि और थोक बाज़ारों में सब्जियाँ की कम आमद का कारण दिखा रहे हैं। वास्तव में परचून विक्रेता इस समय स्थिति का लाभ ले रहे हैं।

परचून दुकानदार इसके लिए सब्जियाँ की बढ़ी कीमतों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। वह कहता है कि डीजल महंगा होने के कारण यातायात का खर्चा बढ़ा है। लागत कम करने के लिए सब्जियाँ महंगे बेचनीं पड़तीं हैं। देश के कुछ हिस्सों में मौनसून की बहुत ज़्यादा बारिश होने केकारण सड़कें बंद हो गई हैं।

इसका प्रभाव सब्जियाँ की ढोह -ढुलाई पर भी पड़ा है। कुछ थोक दुकानदार मौनसून से पैदा होने वाली सब्जियाँ की कमी का लाभ लेकर जमाख़ोरी कर रहे हैं जिस करके सब्जियाँ महँगी हो रही हैं।

 

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