जयपुर. अब राजस्थान में मृत्युभोज कराने पर एक साल की सजा और एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा। अपराध शाखा के डीआईजी किशन सहाय ने सभी एसपी को मृत्युभोज पर लगाम लगाने के आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, मृत्युभोज की सूचना न देने पर पंच, सरपंच के आलावा पटवारी पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
1960 में बना था कानून, अब सख्ती हो रही
सरकार ने मृत्युभोज बंद कराने के लिए कोई नया कानून नहीं बनाया है। 1960 में मृत्युभोज निवारण अधिनियम बनाया गया था। पुलिस को इस नियम का पालन करवाने की ही हिदायत दी गई है। इस अधिनियम की धारा तीन में उल्लेख है कि राज्य में कोई भी मृत्युभोज नहीं कर सकता और न ही उसमें शामिल हो सकता है। डीआईजी (अपराध शाखा) किशन सहाय ने बताया कि मृत्युभोज के आयोजन को लेकर कानून पहले से बना हुआ है। अब उल्लंघन करने वालों सख्ती की जाएगी।
मृत्युभोज में मदद करने वाले पर भी कार्रवाई हो सकती है
कोई व्यक्ति मृत्युभोज करता है या इसके लिए जोर डालता है या मृत्युभोज कराने में मदद करता है तो उसे भी एक साल की जेल हो सकती है। उसे पर एक हजार रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है। यही नहीं, एक्ट में यह भी प्रावधान है कि कोई मृत्युभोज के लिए रुपए उधार नहीं देगा। यदि कोई व्यक्ति मृत्युभोज के लिए रुपयों का करार करता है तो करार कानून लागू नहीं किया जा सकता है।
इसलिए सख्ती करने का निर्णय लिया गया
मृत्युभोज की परंपरा से सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम और गरीब तबके के लोगों को हो रहा है। इससे कई लोग कर्ज तले दब गए। कई लाेगों की जमीन-जायदाद बिक गई। ऐसे में सरकार ने इसे बंद करने के लिए मृत्युभोज निवारण अधिनियम 1960 पारित किया था। अब कोरोना के दौर में जब लोग वैसे ही परेशानियों और तंगी से गुजर रहे हैं, ऐसे में इस कानून का सख्ती से पालन कराने का फैसला किया गया है।
धाकड़ समाज की बैठक में मृत्युभोज बंद करने का निर्णय
इधर, टोंक जिले के टोडारायसिंह कस्बे में राणक्या बालाजी मंदिर परिसर में धाकड़ समाज डूंढाड की बैठक हुई। जिसमें मृत्युभोज बंद करने के लिए युवा समिति बनाई गई। यह कमेटी समाज में मृत्युभोज पर निगरानी रखेगी और रुकवाने का प्रयास करेगी। साथ ही चिठ्ठी और तीसरे के भोज को भी बंद कराने की प्रभावी कार्रवाई करेगी।