चंडीगढ़. अक्सर यह माना जाता है कि पंजाब में बच्चों के माता-पिता की तरफ से सरकारी स्कूलों की जगह प्राईवेट स्कूलों को ज़्यादा तरजीह दी जाती है। इसका एक कारण बच्चों का अच्छा भविष्य है परन्तु इस बार आंकड़े कुछ ओर ही दावा कर रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण स्कूल बंद होने के बावजूद अभिभावकों से भारी भरकम फीसों की वसूली करना। वही अभिभावक इस बात को लेकर भी अबी भ्रमित है कि कोरोना जिस तरह से पैर पसार रहा है उसके चलते स्कूलों का इस सेशन में खुलना लगभग असंभव है जबकि नया सेशन भी कब शुरू होगा इसे लेकर भी निशिचतिता का माहौल है। यही नहीं सरकारी स्कूलों में भी बच्चों को आनलाइन शिक्षा दी जा रही है जिसके चलते अभिभावक अब प्राइवेट की जगह सरकारी स्कूलों को तरजीह देने लगे हैं।
शिक्षा विभाग के रिकार्ड अनुसार पंजाब के सरकारी स्कूलों में नए दाख़िलों में 10.38 फीसदी का विस्तार हुआ है। पिछले सैशन में विद्यार्थियों की संख्या 23 लाख 52 हज़ार 112 थी, जो इस साल बढ़ कर 25 लाख 96 हज़ार 281 हो गई है।
इन में से 1 लाख 14 हज़ार 773 विद्यार्थी प्राईवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आए हैं। प्री-प्राथमिक स्कूलों में 34.30 की दर के साथ सब से अधिक दाख़िला हुआ है। 22.14% दाख़िला ले कर मोहाली पहले, फतेहगढ़ साहब 15.78% के साथ दूसरे और लुधियाना 15.28% के साथ तीसरे स्थान पर रहा। अगर देखा जाए तो अब विभाग की ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है क्योंकि पंजाब में ड्राप आउट बड़ी समस्या है।
स्कूल खुलने के बाद विभाग को यह यकीनी करना पड़ेगा कि बच्चे किसी कारण करके अपनी पढ़ाई से न पिछड़े। दूसरे तरफ़ अगर हम प्राईवेट स्कूलों की बात करें तो इस समय 34.5 लाख विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। शिक्षा मंत्री विजय इंद्र सिंगला ने कहा है कि सरकारी स्कूलों का बुनियादी ढांचा और अध्यापकों का तजुर्बा प्राईवेट स्कूलों के बराबर खडा हुआ है। यही कारण है कि अब अभिभावक सरकारी स्कूलों में विश्वास करने लगे हैं व उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकारी स्कूलों में छात्रों की तादाद और बढ़ेगी।
उन्होंने कहा मेहनती अध्यापकों को आगे बढ़ने के मौके मिलने शुरू हो गए हैं। तालाबन्दी के दौरान स्कूलों में आनलाइन क्लासों शुरू की गई हैं। अध्यापक घर बैठ कर विद्यार्थियों को आनलाइन सिखा रहे हैं। सरकार ने बच्चों को पढ़ाने के लिए दूरदर्शन व रेडियों का प्रयोग भी किया है। वही सरकारी स्कूल अब हर तरह के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसने स्वंय को प्राइवेट स्कूलों के बराबर खड़ा कर दिया है।