अमृतसर. देर आयद लेकिन दुरुस्त आयद वाली कहावत अब सरकारी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की तरफ से खरीदी गई घटिया पीपीई किटों के मामले पर सटीक बैठने लगी है। हालांकि पीपीई किटोें की खरीद में हुए कथित घोटाले को दबाने की कोशिश जारी रही लेकिन अब इसकी परतें खुलने लगी हैं। पुडा की प्रशासक डॉ. पल्लवी चौधरी तरफ से जारी जांच के दूसरे दिन जिन लोगों के बयान कलमबंद किए उन्होंने किटों की एक-एक खामियां उनके समक्ष रखीं। हालांकि अब तक तो आम आदमी तक यही बात सामने आ रही थी कि इनकी क्वाॅलिटी खराब थी और यह पहनने के दौरान ही फट जाया करती थीं। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कोरोना संक्रमण शुरू होने के साथ ही किटों समेत अन्य इलाज के साजो सामान खरीदने के िलए कॉलेज प्रबंधन को एक करोड़ रुपए की रकम दी थी। इन पैसों में से 43 लाख रुपए से अधिक रकम की किटें खरीदी गईं। किटें आईं और जब उसे डॉक्टरों तथा स्टाफ ने पहनना शुरू किया तो वह फटने लगीं। इसके बाद इनको लेकर विवाद शुरू हो गया। इसके बाद विवाद को दबाने के लिए डॉक्टरों तथा स्टाफ के लोगों को शो कॉज नोटिस तक जारी कर दिया गया।
आरोप 500 रुपए वाली किटें 2500 रुपए में खरीदी
जिला प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की और कॉलेज प्रबंधन ने भी जांच कराई। इसमें किटों को घटिया करार दिया गया। आरोप लगा कि किटों की कीमत बमुश्किल 500 रुपए थी लेकिन खरीदी गईं 2000 से 2500 रुपए में। जांच की रफ्तार ढीली रही और इसके बाद औजला ने केंद्र सरकार से दखल की अपील की। उसके बाद अब जांच शुरू की गई है। डॉ. पल्लवी ने मंगलवार और बुधवार को कुछ डॉक्टरों के बयान दर्ज किए। कुछ लोगों के वीरवार को बयान दर्ज होंगे।
प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को हटाया, प्रोफेसर का ट्रांसफर
पीपीई किटों की खरीद में हुए कथित घोटाले में बुधवार काे लोगों के बयान कलमबंद किए जा रहे थे ताे दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सुजाता शर्मा तथा वाइस प्रिंसिपल डॉ, वीना वलोचा को पद से हटा दिया गया। साथ ही गुरु नानक देव अस्पताल के मेडिसिन विभाग के मुखी प्रोफेसर डॉ. शिवचरण का तबादला पटियाला कर दिया गया। मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. डीके तिवारी ने आदेश जारी किया। डॉ. सुजाता शर्मा की जगह अब रेडियो थैरेपी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार देवगन को लगाया गया है जबकि वाइस प्रिंसिपल वीना वलोचा के जगह डॉ. जगदेव सिंह कुलार को वाइस प्रिंसिपल लगा दिया गया है। डॉ. कुलार कॉलेज में अनाटमी विभाग के प्रोफेसर हैं।
हटाए जाने का कारण
प्रिंसिपल तथा वाइस प्रिंसिपल को पद से हटाए जाने के बारे में प्रमुख सचिव ने प्रबंधकीय और जनहित को कारण बताया है। लेकिन यह तबादला उस वक्त किया गया है, जब पीपीई किटों की खरीद में कथित घोटाले की जांच चल रही है। दाअसल, सांसद गुरजीत सिंह औजला ने सांसद निधि से पीपीई किटों के लिए पैसे दिए थे। किटें खरीदी गईं लेकिन घटिया क्वाॅलिटी की निकलीं। जांच के नाम पर ढुलमुल नीति अपनाई रही। केंद्र ने निर्देश पर लोगों के बयान अब कलमबंद किए जा रहे हैं।