मन की बात / मोदी ने कहा- हमें दोस्ती निभाना और आंखों में आंख डालकर जवाब देना आता है, लद्दाख में जवानों की शहादत पूरा देश याद रखेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- 2020 का आधा सफर पूरा, लेकिन लोगों में एक ही बात ही चर्चा कि साल जल्दी कैसे बीतेगा ‘भारत ने संकट को सफलता की सीढ़ी बनाया है, इसी संकल्प से बढ़ेंगे तो यही साल कीर्तिमान स्थापित करेगा’

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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 2020 ने आधा सफर पूरा कर लिया है। हर तरफ वैश्विक महामारी की ही बात हो रही है। हर कोई एक ही विषय पर चर्चा कर रहा है कि यह साल जल्दी क्यों नहीं बीत रहा, यह बीमारी कब खत्म होगी। कोई कह रहा है, 2020 शुभ नहीं है। कभी कभी सोचता हूं कि ऐसा क्यों हो रहा है?

मोदी के भाषण की मुख्य बातें

हमने हर संकट को पार किया

संकट आते रहे, लेकिन सभी बाधाओं को दूर करते हुए नए सृजन किए गए। नए साहित्य किए गए अनुसंधान किए गए और सृजन किए गए। हमारा देश आगे बढ़ता रहा। भारत ने संकट को सफलता की सीढ़ी में परिवर्तित किया है। आप भी इसी विचार से आगे बढ़ेंगे। आप इसी संकल्प से आगे बढ़ेंगे तो यही साल कीर्तिमान स्थापित करेगा। मुझ देश की 130 करोड़ शक्तियों पर भरोसा है। हमारे पीछे महान परंपराओं की विरासत है।

भारत दुश्मनों को जवाब देना जानता है
दुनिया ने इस दौरान भारत की विश्वबंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। हमने अपने सीमाओं की सुरक्षा करने वालों को जवाब भी दिया। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंखों में आंखे मिलाकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। अपने वीर सपूतों के परिवारों के मन में जो जज्बा है, उन पर देश को गर्व है। लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है

पुराने अनुभवों से सीखना होगा
आजादी के पहले हमारा देश डिफेंस सेक्टर में दुनिया के कई देशों से आगे था। उस समय कई देश जो हमसे कहीं पीछे थे वे आज आगे हैं। हमें अपने पुराने अनुभवों को लाभ उठाना चाहिए था वह हम नहीं उठा सके। आज भारत प्रयास कर रहा है। आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है। कोई भी विजन सबके सहयोग के बिना नहीं हो सकता। लोकल के लिए वोकल होंगे तो यह भी देशसेवा ही होगी।

किसानों को हर तरह की मदद देने की कोशिश
कृषि में भी दशकों से लॉकडाउन में फंसी थीं, इसे भी अनलॉक कर दिया गया है। इससे किसानों को अपनी फसलें किसी को भी कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। इसके साथ ही उन्हें अधिक ऋण मिलना भी सुनिश्चित हुआ है। देशवासियों हर महीने हम ऐसी खबरें पढ़ती हैं जो हमें भावुक कर देती हैं। बताती हैं कि हर भारतीय लोगों की मदद करने में जुटा है।

देशभर से लॉकडाउन की कहानियां सामने आ रहीं
अरुणाचल के सियाम गांव में लोगों ने गांव के बाहर 14 अस्थायी झोपड़ियां बना दीं और तय किया कि बाहर से आने वाले 14 दिन इन्हीं झोपड़ियों में रहना होगा। उन्हें सभी जरूरत की चीजें उपलब्ध कराई गईं। जैसे कपूर आग में तपने पर भी अपनी सुगंध नहीं छोड़ता, ऐसे ही आपदा में अच्छे लोग अपने गुण नहीं छोड़ते। हमारे श्रमिक साथी भी इसका जीता-जागता उदाहरण है। हमारे प्रवासी श्रमिकों की ऐसी ही कहानियां आ रही हैं। ऐसे ही कुछ श्रमिक साथियों ने कल्याणी नदी का उद्धार करना शुरू किया। ऐसी लाखों किस्सें कहानियां हैं जो हम तक नहीं पहुंच पाई हैं। आपके आसपास ऐसी घटनाएं हुई हों तो मुझे लिखें। यह लोगों को प्रेरणा देंगी।

बच्चे घर में दादा-दादी का इंटरव्यू करें
कोरोना की वजह से कई लोगों ने मानसिक तनाव जिंदगी गुजारी। वहीं कुछ लोगों ने लिखा कि कैसे उन्होंने इस दौरान छोटे-छोटे पलों को परिवारों के साथ बिताया। मेरे नन्हें साथियों से भी मैं आग्रह करना चाहता हूं। एक काम कीजिए, माता-पिता से पूछकर मोबाइल उठाइए और दादा-दादी और नाना-नानी का इंटरव्यू कीजिए। पूछिए, उनका बचपन में रहन-सहन कैसा था, क्या खेलते थे, मामा के घर जाते थे, त्योहार कैसे मनाते थे। उन्हें 40-50 साल पीछे जिंदगी में जाना आनंद देगा और आपको तब की चीजें सीखने को मिलेंगी और परिवार के लिए एक अच्छा अमूल्य खजाना और वीडियो एलबम भी बन जाएगा।

पानी बचाएं, छोटी सी कोशिश का बड़ा नतीजा हो सकता है
देश के एक बड़े हिस्से में मानसून पहुंच चुका है। इस बार मौसम वैज्ञानिक भी मानसून को लेकर उत्साहित हैं। अच्छी बारिश होगी तो प्रकृति प्रफुल्लित होगी, किसान भी खुश होंगे। इससे प्रकृति रीफिलिंग करती है। इसमें हमारा थोड़ा प्रयास काफी मददगार होगा। कर्नाटक के कामेगौड़ा जी बहुत असाधारण काम किया है।  वे अपने जानवर चराते हैं और आसपास छोटे-छोटे तालाब बनाने में जुटे हैं। अब तक वे 16 तालाब अपनी मेहनत से खोद चुके हैं। हो सकता है कि ये तालाब बहुत छोटे हों, लेकिन उनका यह प्रयास बहुत बड़ा है।

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