दिल्ली में डीजल पहली बार पेट्रोल से महंगा / लगातार रेट बढ़ने से डीजल 18 दिन में करीब 11 रुपए महंगा हुआ, 8 साल पहले पेट्रोल के मुकाबले डीजल 30 रुपए सस्ता था

दिल्ली में जून 2012 में पेट्रोल 71 रुपए और डीजल 41 रुपए प्रति लीटर था दिल्ली में आज पेट्रोल 79.76 रुपए और डीजल 79.88 रुपए प्रति लीटर है

0 990,153

नई दिल्ली. देश की राजधानी में डीजल पहली बार पेट्रोल से महंगा हो गया है। तेल कंपनियों ने बुधवार को लगातार 18वें दिन डीजल महंगा कर दिया। 48 पैसे महंगा होने के साथ ही दिल्ली में अब डीजल 79.88 रुपए प्रति लीटर हो गया। वहीं, पेट्रोल के रेट नहीं बदले हैं। वह 79.76 रुपए पर है।

तेल की कीमतों में टैक्स का खेल / क्रूड ऑयल की कीमतें कम हुई लेकिन टैक्स में हुई भारी बढ़ोतरी; मार्च में टैक्स 97% था मई में बढ़कर 226% हुआ इसलिए ग्राहकों को कीमत गिरने का फायदा नहीं

12 शहरों में रेट: पेट्रोल अभी इंदौर में और डीजल दिल्ली में सबसे महंगा

शहर का नाम पेट्रोल/रुपए लीटर डीजल/रुपए लीटर
दिल्ली 79.76 79.88
मुंबई 86.54 78.22
चेन्नै 83.04 77.17
कोलकाता 81.45 77.06
नोएडा 80.57 72.03
रांची 79.78 75.91
बेंगलुरु 82.35 75.96
पटना 82.79 76.90
चंडीगढ़ 76.76 71.40
लखनऊ 80.46 71.94
इंदौर 87.48 78.99
भोपाल 87.29 79.20
सबसे पहले समझते हैं कि डीजल इतना महंगा क्यों हो रहा है?

इसकी दो वजहें हैं। दरअसल, पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकारें वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट वसूलती हैं।

1. एक्साइज ड्यूटी 30 रुपए से ज्यादा हुई
14 मार्च को केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 3 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दी थी। फिर 5 मई को इसमें अचानक पेट्रोल पर 10 रुपए और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर का इजाफा कर दिया। पेट्रोल पर अब 32.98 और डीजल पर 31.83 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है। ड्यूटी बढ़ाने से सरकार को इस फाइनेंशियल ईयर में 1.6 लाख करोड़ रुपए का एक्स्ट्रा रेवेन्यू मिलेगा।

2. दिल्ली ने वैट तकरीबन दोगुना किया
दिल्ली में डीजल अब पेट्रोल से महंगा इसलिए है क्योंकि केजरीवाल सरकार ने मई में यह फैसला किया था कि वह पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाएगी। पेट्रोल पर तो वैट 27% से बढ़कर 30% ही किया गया, लेकिन डीजल पर यह 16.75% से करीब-करीब दोगुना बढ़ाकर 30% कर दिया गया। इससे पेट्रोल तो 1.6 रुपए महंगा हुआ, लेकिन डीजल एकदम से 7 रुपए महंगा हो गया।

कंपनियां भी पीछे नहीं; 82 दिन रुकी रहीं, फिर 18 दिन से लगातार रेट बढ़ा रहीं
जब दिल्ली सरकार ने वैट बढ़ाने का फैसला किया, तब लॉकडाउन चल रहा था। उधर, तेल कंपनियां जून 2017 से पेट्रोल-डीजल के रेट का डेली रिविजन करती हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान कंपनियों ने 82 दिन तक रेट नहीं बढ़ाए। जून में अनलॉक शुरू हुआ तो कंपनियों ने 7 जून से पेट्रोल-डीजल के रेट रोजाना रिवाइज करना शुरू कर दिए। पिछले 18 दिनों में दिल्ली में पेट्रोल 8.50 रुपए और डीजल 10.88 रुपए महंगा हो चुका है।

8 साल पहले डीजल 30 रुपए सस्ता था
दिल्ली में 8 साल पहले यानी जून 2012 में पेट्रोल 71 और डीजल 41 रुपए/लीटर था। यानी पेट्रोल के मुकाबले डीजल 30 रुपए सस्ता हुआ करता था। वहीं, मुंबई में जून 2012 में यह फर्क 32 रुपए का था। तब वहां पेट्रोल 76 रुपए और डीजल 45 रुपए प्रति लीटर था।

पेट्रोल-डीजल पर हम 50 रुपए तो सिर्फ टैक्स चुकाते हैं, 6 साल में एक्साइज ड्यूटी 28 रुपए तक बढ़ी
पेट्रोल-डीजल पर अभी कंज्यूमर से 50 रुपए सिर्फ टैक्स के तौर पर लिए जाते हैं। इसमें 60% एक्साइज ड्यूटी और 40% वैट होता है। 6 साल में पेट्रोल पर 23 रुपए और डीजल पर 28 रुपए तक एक्साइज ड्यूटी बढ़ी है।

पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी

कब पेट्रोल डीजल
अप्रैल 2014 9.48 रुपए 3.56 रुपए
जून 2020 32.98 रुपए 31.83 रुपए
बढ़ोतरी 23.5 रुपए 28.27 रुपए

पेट्रोल की कीमत में टैक्स का हिस्सा

कंपोनेंट दिल्ली में कीमत (रु/लीटर)
बेस प्राइस 22.11
किराया भाड़ा .33
बेस प्राइस + किराया भाड़ा (इस पर ही वैट और एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है) 22.44
एक्साइज ड्यूटी 32.98
डीलर कमीशन 3.60
वैट 17.71
रिटेल बिक्री कीमत 76.73

सोर्स: आईओसीएल की वेबसाइट पर 16 जून को उपलब्ध जानकारी के अनुसार

डीजल की कीमत में टैक्स का हिस्सा

कंपोनेंट दिल्ली में कीमत (रु/लीटर)
बेस प्राइस 22.93
किराया भाड़ा .30
बेस प्राइस + किराया भाड़ा (इस पर ही वैट और एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है) 23.23
एक्साइज ड्यूटी 31.83
डीलर कमीशन 2.53
वैट 17.60
रिटेल बिक्री कीमत 75.19

सोर्स: आईओसीएल की वेबसाइट पर 16 जून को उपलब्ध जानकारी के अनुसार

तेल की कीमतों में टैक्स का खेल / क्रूड ऑयल की कीमतें कम हुई लेकिन टैक्स में हुई भारी बढ़ोतरी; मार्च में टैक्स 97% था मई में बढ़कर 226% हुआ इसलिए ग्राहकों को कीमत गिरने का फायदा नहीं

मुंबई. सरकार ने मंगलवार की देर रात पेट्रोलियम पदार्थों पर लगनेवाली एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। पेट्रोल की एक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर 10 रुपए और डीजल पर प्रति लीटर 13 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। यह स्थिति ऐसे समय में है, जब क्रूड की कीमतें ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं। इस बढ़त से सरकार के खजाने में 1.6 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त रवेन्यू आएगा।

ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस वृद्धि से रिटेल बिक्री यानी जनता पर कोई असर नहीं होगा। आंकड़ों की बात करें तो बढ़ोतरी से जनता को पेट्रोल-डीजल के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं देना होगा, लेकिन सारा खेल पेट्रोल-डीजल के प्राइस बिल्ड अप में छिपा हुआ है। 1 मार्च को पेट्रोल के प्राइस बिल्ड अप में टैक्स की हिस्सेदारी करीब 97 फीसदी थी जो अब बढ़कर 226 फीसदी हो गई है। इसका मतलब साफ है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हो रही कीमतों का फायदा सरकार ने टैक्स में बढ़ोतरी कर अपने पास रख लिया। इस बात को 1 मार्च 2020 से उपलब्ध आंकड़ों से समझते हैं-

1 मार्च को पेट्रोल कीमतों में टैक्स 96.57% था
आईओसीएल की वेबसाइट पर 1 मार्च को उपलब्ध जानकारी के अनुसार एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 32.61 रुपए था। इस पर 0.32 पैसे का किराया भाड़ा, 19.98 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.55 रुपए का डीलर कमीशन और 15.25 रुपए राज्य वैट शामिल था। इसके बाद इसकी पेट्रोल की रिटेल कीमत 71.71 रुपए प्रति लीटर थी।

बेस प्राइस, किराया भाड़ा और डीलर कमीशन को जोड़कर 1 मार्च को पेट्रोल की कीमत 36.48 रुपए थी। यदि इसकी तुलना कुल कीमत 71.71 रुपए से की जाए तो इस पर 96.57 फीसदी का कुल टैक्स लग रहा था। इसमें एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार का वैट शामिल था

14 मार्च को पेट्रोल पर टैक्स बढ़कर 118.07 फीसदी हुआ
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 14 मार्च को राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 28.18 रुपए था। इसमें 0.32 रुपए का किराया भाड़ा, 22.98 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.54 रुपए का डीलर कमीशन और 14.85 रुपए का राज्य सरकार का वैट शामिल है।

इस प्रकार राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69.87 रुपए प्रति लीटर हो जाती है। पेट्रोल पर टैक्स की गणना बेस प्राइस, किराया-भाड़ा और डीलर कमीशन पर होती है। इस प्रकार इसकी कीमत 32.04 रुपए प्रति लीटर होती है। यदि इसकी तुलना कुल कीमत से की जाए तो पेट्रोल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर 118.07 फीसदी हो जाता है।

6 मई को पेट्रोल पर टैक्स बढ़कर 226.28 फीसदी हुआ
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अब राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस 17.96 रुपए है। इसमें 0.32 रुपए का किराया भाड़ा, 32.98 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.56 रुपए का डीलर कमीशन और 16.44 रुपए का राज्य सरकार का वैट शामिल है।

इस प्रकार राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 71.26 रुपए प्रति लीटर हो जाती है। पेट्रोल पर टैक्स की गणना बेस प्राइस, किराया-भाड़ा और डीलर कमीशन पर होती है। इस प्रकार इसकी कीमत 21.84 रुपए प्रति लीटर होती है। यदि इसकी तुलना कुल कीमत से की जाए तो पेट्रोल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी और वैट मिलाकर 226.28 फीसदी हो जाता है।

बेस प्राइस में कमी आई, लेकिन टैक्स भी बढ़ता गया

अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती तेल की कीमतों का फायदा सरकार और तेल कंपनियां बेस प्राइस के आधार पर ले रही हैं। बेस प्राइस में पेट्रोल को प्यूरीफाई करने संबंधित पूरी लागत आती है। 1 मार्च को बेस प्राइस बेस प्राइस 32.61 रु/लीटर था जो 6 मई को 17.96 रु/लीटर पर आ गया।

क्रूड ऑयल की कीमतें गिरने के कारण बेस प्राइस में कमी आई लेकिन सरकार ने टैक्स बढ़ा दिया। इस कारण, फायदा आम ग्राहकों तक नहीं पहुंचा। सरकार ने इसके बजाय टैक्स में बढ़ोतरी कर घटी कीमतों से आ रहे ज्यादा पैसे को अपने पास रख लिया। ग्राहकों को अभी भी वहीं कीमतें चुकानी पड़ रही है जो वह पहले चुकाता था।

बेस प्राइस की तुलना में दोगुना से ज्यादा एक्साइज टैक्स

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक विशेष अतिरिक्त एक्साइज ड्‌यटी पेट्रोल पर 2 रुपए प्रति लीटर और रोड सेस 8 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया गया है। इसी तरह डीजल में यह 5 रुपए और 8 रुपए बढ़ाया गया है। इसके साथ ही पेट्रोल पर कुल एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 32.98 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल पर यह 31.83 रुपए हो गई है। पेट्रोल के बेस प्राइस 17.96 रुपए पर 226  प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाई गई तो डीजल के बेस प्राइस पर 225 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाई गई है।

बेस प्राइस को दूसरी बार घटाया गया

वैसे सरकार ने तेल के खेल में जबरदस्त कमाई की है। आंकड़ों कों देखें तो पता चलता है कि एक मार्च को पेट्रोल का बेस प्राइस 32.61 रुपए प्रति लीटर था जो 14 मार्च को घटकर 28.18 रुपए प्रति लीटर हो गया। 6 मई को इसे घटाकर 17.96 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। यानी 65 दिनों में बेस प्राइस में करीबन 45 प्रतिशत की कटौती की गई है। इस कटौती का सीधा फायदा सरकार के खजाने को होगा।

बेस प्राइस घटने और एक्साइज ड्यूटी बढ़ने पर सरकार को ही फायदा होता है

अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती तेल की कीमतों का फायदा सरकार और तेल कंपनियां बेस प्राइस के आधार पर ले रही हैं। बेस प्राइस में पेट्रोल को प्यूरीफाई करने संबंधित पूरी लागत आती है। 1 मार्च को बेस प्राइस 32.61 रु प्रति लीटर था जो 6 मई को 17.96 रु प्रति लीटर पर आ गया। इसका फायदा आम ग्राहकों को नहीं दिया गया। सरकार ने इसके बजाय टैक्स में बढ़ोतरी कर घटी कीमतों से आ रहे ज्यादा पैसे को अपने पास रख लिया। ग्राहकों को अभी भी वहीं कीमतें चुकानी पड़ रही है जो वह पहले चुकाता था।

2014 में पेट्रोल पर टैक्स 9.48 रुपए प्रति लीटर था, 2020 में 32.98 हुआ

नरेंद्र मोदी सरकार जब पहली बार सत्ता में आई थी उस समय पेट्रोल पर 9.48 रुपए प्रति लीटर टैक्स था जबकि डीजल पर 3.56 रुपए प्रति लीटर था। इस तरह से देखें तो 6 सालों में पेट्रोल पर करीबन 3.5 गुना एक्साइज ड्यूटी और डीजल पर 10 गुना एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। इस साल मार्च के बाद यह दूसरी बार है जब सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अपनी झोली भरी है। मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 3 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इस वृद्धि से सरकार को 39,000 करोड़ रुपए मिले थे।

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें दो दशकों के निचले स्तर पर

पेट्रोल और डीजल की कीमतें मार्च के बाद से नहीं बदली हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतें दो दशकों के निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल पर 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढाई। जबकि इस दौरान लगातार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमतें गिरती गईं। इस 15 महीने के दौरान (2016-17) सरकार को एक्साइज ड्यूटी के रूप में 2,42,000 करोड़ रुपए मिले थे जबकि 2014-15 में सरकार को 99,000 करोड़ रुपए मिले थे। इस दौरान सरकार ने पेट्रोल पर 11.77 रुपए और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी।

6 सालों में केवल एक बार एक्साइज ड्यूटी घटी

सरकार ने अब तक पिछले 6 सालों में केवल 2017 में एक बार एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए पेट्रोल पर और 1.5 रुपए डीजल पर कटौती की थी। हालांकि इसे वापस जुलाई 2019 में बढ़ा दिया गया था। हालांकि सरकार इस समय इस एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाने के पीछे कारण यह बता रही है कि कोविड-19 से हो रहे बड़े खर्चों के कारण यह जरूरी है। लेकिन साल 2020 के पहले सरकार ने जब भी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई तब उसमें इस तरह के किसी अचानक खर्चे का जिक्र नहीं किया गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.