भारत-चीन-रूस के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल मीटिंग /चीन से तनाव के बीच साथ आया रूस, किया UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन

नाजियों पर रूस की जीत के 75 साल पूरे होने पर रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग हुई गलवान में 15 जून को हुई सैनिकों की झड़प के बाद पहली बार भारत और चीन के विदेश मंत्री आमने-सामने,सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए रूस ने फिर से भारत का समर्थन किया है. रूस के विदेश मंत्री का यह बयान उस समय आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर खासा तनाव बना हुआ है. दोनों के बीच सीमा पर तनाव कम करने की कोशिशें लगातार जारी हैं.

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नई दिल्ली. रूस, भारत और चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को वर्चुअल मीटिंग की। इसमें भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन का मामला हो या फिर सहयोगियों के हितों का ध्यान रखने की बात, दुनिया की अगुआई करने वाले देशों को हर तरह से मिसाल पेश करने वाला होना चाहिए। मीटिंग जर्मनी के नाजियों पर रूस की जीत के 75 साल पूरे होने पर की गई। इसकी अध्यक्षता लैवरॉव ने की।

यूएन सिक्युरिटी काउंसिल में स्थाई सदस्यता पर भारत को रूस का सपोर्ट

बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गी लैवरॉव ने गलवान झड़प पर किसी भी मध्यस्थता की बात को नकार दिया। उन्होंने कहा, “भारत और चीन को किसी बाहरी की मदद की जरूरत नहीं है। जब देश का मामला हो तो उन्हें कोई मदद नहीं चाहिए। हाल की घटनाओं के बारे में मैं यह कहना चाहता हूं कि भारत और चीन इसे खुद सुलझा लेंगे।” उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी भारत की दावेदारी का समर्थन किया। लैवरॉव ने कहा- भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बन सकता है। वह मजबूत कैंडिडेट है और हम उसे अपना समर्थन देते हैं।

चीन के साथ सीमा पर बने तनाव के बीच रूस ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है. रूस ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है. रूस पहले भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन कर चुका है. रूस के विदेश मंत्री का यह बयान उस समय आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर खासा तनाव बना हुआ है. दोनों के बीच सीमा पर तनाव कम करने की कोशिशें लगातार जारी हैं.

भारत एक मजबूत उम्मीदवारः लावरोव

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि आज हमने संयुक्त राष्ट्र के संभावित सुधारों की बात की और भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए एक मजबूत उम्मीदवार है और हम भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं. हमारा मानना ​​है कि भारत सुरक्षा परिषद का पूर्ण सदस्य बन सकता है.

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत और चीन को बाहर से कोई मदद चाहिए. मुझे नहीं लगता कि उन्हें मदद करने की आवश्यकता है, खासकर जब मामला देश के मुद्दों से जुड़ा हो. वे उन्हें अपने दम पर हल कर सकते हैं, इसका मतलब है कि हाल के मुद्दे.

ऑस्ट्रेलिया का भी समर्थन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का ऑस्ट्रेलिया ने पिछले हफ्ते फिर से समर्थन किया था. ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिश्नर बैरी ओ फैरेल ने कहा, ‘हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का लंबे समय से समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत की स्थिति को अहम और सरकात्मक रूप में देखते हैं. हालांकि हमारी भी साझा चिंताएं हैं.

भारत अभी अस्थायी सदस्य

फिलहाल भारत पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में 8वीं बार अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है. पिछले हफ्ते हुए चुनाव में 192 वोटों में से भारत के पक्ष में 184 वोट पड़े.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने अपने ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए लिखा कि सदस्य देशों ने भारत को भारी समर्थन देते हुए 2021-22 तक के लिए यूएनएससी का अस्थायी सदस्य चुना है. भारत को 192 में से 184 वोट मिले.

इससे पहले, भारत को 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और इससे पहले आखिरी बार 2011-2012 में सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था.

भारत का स्टैंड- अगुआई करने वाले देश सहयोगियों का भी ध्यान रखें

गलवान झड़प के बाद पहली बार भारत और चीन के विदेश मंत्री आमने-सामने थे। जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी की मौजूदगी में मौजूदा हालात पर अपना रुख साफ किया। जयशंकर ने कहा- दुनिया की अगुआई करने वाले देशों को हर मायने में मिसाल पेश करने वाला होना चाहिए। ऐसे देशों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि इसका फायदा सभी को फायदा मिले और दुनिया को बेहतर बनाया जा सके। यह मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी चुनौती हैं।

17 जून को जयशंकर और वांग यी ने फोन पर बात की थी
15 जून को लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इसके दो दिन बाद 17 जून को जयशंकर और वांग यी ने फोन पर सीमा विवाद पर चर्चा की थी। चीन और भारत के बीच विवाद को देखते हुए आरआईसी बैठक होगी या नहीं, इसको लेकर आशंका थी। हालांकि, रूस और भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार शाम बैठक तय वक्त पर होने की पुष्टि की थी।

2017 में तीनों देशों के विदेश मंत्री की आखिरी बैठक हुई थी 
भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की आखिरी बैठक फरवरी 2017 में चीन के वुझेन शहर में हुई थी। तब भारत की विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज इसमें शामिल हुई थीं। यह बैठक भारत की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए एयरस्ट्राइक कुछ घंटे बाद हुई थी। इसमें सुषमा स्वराज ने चीन और रूस के विदेश मंत्री को भारत की ओर से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर लिए गए एक्शन के बारे में बताया था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिन के दौरे पर मॉस्को पहुंचे

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार देर रात रूस के तीन दिन के दौरे पर मॉस्को पहुंचे। राजनाथ रूस के रक्षा मंत्री के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी बढ़ाने पर बात होगी। वे रूस से अगले कुछ महीनों में भारत पहुंचने वाले हथियारों के बारे में भी चर्चा करेंगे। वे 24 जून को रूस के 75 वें विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेंगे। इस परेड में चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे भी मौजूद रहेंगे।

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