बठिंडा जिले में 200 प्राइवेट अस्पताल के 800 डाक्टरों ने ओपीडी सेवाएं बंद रखकर सरकार के खिलाफ जताया रोष

-पंजाब में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) लागू करने का जता रहे हैं विरोध -सरकार बिना किसी देरी के एक्ट को ले वापिस, नहीं तो होगा संघर्ष तेज-आईएमए प्रधान विकास छाबड़ा

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बठिंडा. पंजाब सरकार की तरफ से जुलाई माह में लागू किए जा रहे क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) के खिलाफ मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पंजाब (आईएमए) के आह्वान पर बठिंडा जिले के 200 प्राइवेट अस्पताल के 800 डाक्टरों ने अपनी ओपीडी सेवाएं एक दिन के लिए बंद रखकर पंजाब सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया। इस दाैरान प्राइवेट डाक्टरों ने ना तो कोई मरीज देखा और नहीं कोई एमरजेंसी सेवाएं दी। इतना ही नहीं मंगलवार को किए जाने वाले आप्रेशन भी एक दिन के स्थागित कर दिए गए है।

प्राइवेट अस्पताल बंद रहने के कारण रूटीन में आने वाले मरीजों को काफी परेशनी झेलनी पड़ी। वहीं सबसे ज्यादा परेशानी एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, लैबोरिट्री सेंटर भी बंद रहने से लोगों को हुई। जिसके कारण ज्यादा तरह मरीज सिविल अस्पतालों में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचे। वहीं सिविल अस्पताल में भी मरीजों का बोझ बढ़ा। उधर, प्राइवेट डाक्टरों ने अपने अस्पतालों के बाहर काले झंडे भी लगाकर सरकार के प्रति अपना रोष जाहिर किया, जबकि अाईएमए बठिंडा के प्रधान डाॅ. विकास छाबड़ा की अगुआई में एक टीम ने शहर के सभी अस्पतालों का दाैरा भी किया।

आईएमए पंजाब के उपप्रधान व बठिंडा ईकाई के जिला प्रधान डॉ. विकास छाबड़ा ने कहा कि पंजाब सरकार ने सीईए बिल को एक जुलाई से राज्य भर में लागू करने की बात कहीं है, इसके बाद आईएमए के बैनत तले प्रदेश भर के प्राइवेट डाक्टरों की तरफ से एकजुट होकर इसका विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बिल को डाक्टरों की सहमती व विचार विमर्श के बिना ही लागू किया जा रहा है, जबकि पंजाब सहित पूरे देश में कोविड-19 बीमारी ने पैर जमा रखे हैं व सेहत सेवाओं को बेहतर करने में हर कोई जुटा हुआ हैं, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके, लेकिन पंजाब सरकार इसे जबरन थोपने में लगी है। पंजाब की कैप्टन सरकार ने सीईए एक्ट लागू कर डॉक्टरों और मरीजों से धक्का किया है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पंजाब सरकार आज तक सरकारी सेहत विभाग को सही तरीके से चलाने में कामयाब नहीं हुई है और सरकार राजिदरा मेडिकल कॉलेज को भी प्राइवेट करने की कोशिश कर रही है। जबकि प्राइवेट अस्पताल पहले से ही 75 फीसद सेहत सेवाएं आम जनता को दे रहे हैं। इस एक्ट के एक जुलाई से लागू होने से फीसों के रेट पांच गुणा तक बढ़ जाएंगे, जिसका बोझ डॉक्टरों और मरीजों पर पड़ेगा। आईएमए के कोषाध्यक्ष डॉ. दीपक बांसल ने कहा कि यह विवाद 2010 से ही है, जब एक्ट बना. 2015 में इसे लागू करने का आदेश हुआ। तब भी निजी अस्पतालों के डाक्टरों ने इसका विरोध किया था। लाचार सरकार ने इसे लंबित रख दिया। आइएमए का तर्क है, इससे इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा।

इन दोनों की लड़ाई का खामियाजा अाम जनता भुगतेगी। पंजाब सरकार आज तक सरकारी सेहत विभाग को सही तरीके से चलाने में कामयाब नहीं हुई है। डॉ. राजेश माहेश्वरी, डॉ. एसएस सिद्धू व ज्वाइंट सचिव डॉ. अश्वनी गोयल ने कहा कि सीईए बिल लागू होने पर शहरों के आधे से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल व क्लीनिक बंद हो जाएंगे, जबकि केवल बड़े अस्पताल ही रह जाएंगे। इनमें भी इलाज महंगा हो जाएगा। कारपोरेट घराने ही अस्पताल चलाएंगे। राज्य में सीईए के कठोर नियमों का पालन संभव नहीं है। इससे केवल इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। भ्रष्टाचार बढ़ेगा। वहीं प्राइवेट कालेजों में फीस बढ़ोतरी का निर्णय भी बेहद निंदनीय है। पहले ही प्राइवेट मेडिकल कालेजों की फीसें बहुत अधिक हैं। ऐसे में और ज्यादा फीसें बढ़ाने से स्टूडेंटस मेडिकल की पढाई करना छोड़ देंगे। जिससे देश में डाक्टरों की कमी आ सकती है। दोनों फैसलें जनविरोधी है। उन्होंने चेतावनी देते कहा कि यदि यह एक्ट वापस न लिया गया तो संघर्ष को तेज किया जाएगा।

 

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