जालंधर. दक्षिण-पश्चिम मानसून के अगले तीन दिनाें में हिमालयीय क्षेत्र, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब, गुजरात के बचे और अरब सागर के अन्य हिस्सों में पहुंचने की संभावना है। माैसम विभाग ने शनिवार काे मानसून की गति काे लेकर यह अनुमान जारी किया है। माैसम विभाग के अनुसार रविवार से साेमवार तक मानसून के मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के बचे हिस्सों में भी पहुंचने की उम्मीद है।
माैसम विभाग ने कहा, “उत्तर-मध्य राजस्थान, दक्षिण उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के निचले हिस्सों में पाकिस्तान से लेकर मध्य असम तक एक ट्रफ निम्न स्तर पर बना है। इस बीच शनिवार काे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के अधिकांश हिस्साें में भारी बारिश हुई। इससे उमसभरी गर्मी बढ़ गई है। उधर आईएमडी चंडीगढ़ ने पंजाब में अगले 3 दिनों यानी 23 जून तक बूंदाबांदी की संभावना जताई है।
केरल में मानसून करीब एक हफ्ते की देरी से पहुंचा है। इसलिए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी मानसून देरी से ही आएगा। इन जगहों पर मानसून सबसे लेट पहुंचता है और सबसे जल्दी विदा भी हो जाता है। चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब में मानसून पहुंचने की तारीख 28 जून है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार मानसून देरी से आएगा। लेकिन उससे बड़ी चिंता की बात यह है कि यदि देरी हुई तो मानसून कम बरसता है। ऐसा दावा मौसम विभाग का है।
मौसम विभाग के डायरेक्टर सुरेंद्र पाल ने बताया कि यदि मानसून देरी से पहुंचा तो बारिश में गिरावट के 90 फीसदी चांस होते हैं। साल 2016 में मानसून दो जुलाई को आया। तब बारिश में 46 फीसदी की कमी देखी गई। साल 2014 में मानसून ने एक जुलाई को एंट्री मारी तो बारिश में 58 फीसदी की कमी देखी गई। इसके विपरीत बीते साल मानसून सही वक्त पर आया तो बारिश में 19 फीसदी उछाल देखी गई। इसका मतलब साफ है कि मानसून तय समय पर नहीं पहुंचा तो बारिश पर संकट छा सकता है।
18 जून तक मानसून सेंट्रल भारत के कई हिस्सों में पहुंच जाना चाहिए था। इनमें मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार और यूपी के कई इलाके शामिल हैं, जबकि इस बार अभी तक मानसून महाराष्ट्र तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में इस बार चंडीगढ़ सहित हरियाणा व पंजाब में भी मानसून के कम से कम 10 से 12 दिन देरी से पहुंचने के आसार बन रहे हैं। साल 1987 में सबसे देरी से मानसून पहुंचा था। उस साल 27 जुलाई को मानसून पहुंचा और पूरे देश में जबरदस्त सूखा पड़ा था।
जून में 58 फीसदी बारिश की कमी
एक जून से लेकर 18 जून तक चंडीगढ़ में सिर्फ 23.9 एमएम बारिश दर्ज की गई है, जबकि अब तक 56.4 एमएम बारिश हो जानी चाहिए थी। बारिश में करीब 58 फीसदी की कमी रिकार्ड हुई है। पंजाब में 30 फीसदी और हरियाणा में 21 फीसदी बारिश की कमी दर्ज की गई है। यदि पूरे देश की बात करें तो जून के महीने में 44 फीसदी बारिश की कमी रिकार्ड हुई है।
- यह देखा गया है कि जब-जब मानसून देरी से आया है तो बारिश कम होने के चांस होते हैं। जिस तरह से हालात बन रहे हैं, उसके मुताबिक इस बार कुछ देरी हो सकती है। हालांकि मानसून के आगे बढ़ने की अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं। फिलहाल हमें कुछ इंतजार करना होगा।
– सुरेंद्र पाल, निदेशक मौसम विभाग चंडीगढ़
बीते 24 घंटों के दौरान सौराष्ट्र और कच्छ, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नागालैंड, असम, मेघालय और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई।केरल और तटीय कर्नाटक में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। तेलंगाना, कोंकण गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, शेष पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई।
पूर्वी राजस्थान, तमिलनाडु, लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह पर हल्की बारिश हुई।
आगामी 24 घंटों का मौसमी पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिण और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, केरल, तटीय कर्नाटक और सौराष्ट्र व कच्छ के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की उम्मीद है। इन भागों में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की भी संभावना है। आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, रायलसीमा, मराठवाड़ा, कोंकण गोवा, दक्षिणी गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और मध्य भागों, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिमी मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश संभव है। राजस्थान, पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप में भी कुछ जगहों पर बारिश के आसार हैं। पश्चिमी हिमालयी राज्यों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के आसार हैं।