भारत से टकराव में चीन को घाटा / भारत कारोबार खत्म कर चीन को करीब 5.7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि भारत को हो सकता है 1.37 लाख करोड़ का लॉस
2019 में भारत ने चीन से करीब 75 अरब डॉलर के सामान का आयात किया इस दौरान भारत ने चीन को करीब 18 अरब डॉलर के माल का निर्यात किया
नई दिल्ली. भारत कारोबार खत्म कर चीन को करीब 75 अरब डॉलर (5.7 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान पहुंचा सकता है। इसके लिए भारत को करीब 18 अरब डॉलर (करीब 1.37 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान उठाना पड़ेगा। भारत चीन से जितना आयात करता है, उसकी तुलना में उसे काफी कम निर्यात करता है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) का कहना है कि चीन से आयात पर निर्भरता कम करके भारत का व्यापार में घाटा कम कर सकता है। सीएटी के मुताबिक, अगर ऐसा होता है तो चीन के फिनिश्ड गुड्स से करीब एक लाख करोड़ रुपए का आयात घाटा दिसंबर 2021 तक बच सकता है।
2019 में भारत ने चीन से करीब 75 अरब डॉलर के सामान का आयात किया और उसे करीब 18 अरब डॉलर का निर्यात किया। इस तरह देखें तो चीन से व्यापार में भारत को 56.77 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। अगर भारत, चीन के साथ कारोबार खत्म करता है तो न सिर्फ इस घाटे से बच सकता है, बल्कि चीन की अर्थव्यवस्था को घुटने के बल झुका भी सकता है। हालांकि, इसके लिए सरकार को जरूरी होम वर्क पहले कर लेना होगा।
इकोनॉमिस्ट अरुण कुमार का कहना है कि भारत को पहले लंबी अवधि के लिए योजना बनानी होगी। यह तुरंत नहीं हो सकता है। टेक्नोलॉजी में भारत काफी पीछे है। टेक्नोलॉजी में इंफ्रा तैयार नहीं हो पाया है, इस कारण हमारी पोजीशन कमजोर है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट में कुछ खास नहीं किया गया है। हमें सबसे पहले यह करना होगा की टेक्नोलॉजी डेवलप करें, इंफ्रा और आरएंडडी सेंटर पर खर्च हो और एजुकेशन क्वालिटी अच्छी हो।
भारत चीन को जितना माल बेचता है, उससे चार गुना उससे खरीदता है
चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भारत और चीन का आपसी व्यापार 92.68 अरब डॉलर का रहा। इस कारोबारी साझेदारी में भारत का नुकसान 56.77 अरब डॉलर का रहा। 2018 में दोनों देशों का आपसी व्यापार 95.7 अरब डॉलर का था। इसमें भारत का नुकसान 58.04 अरब डॉलर का रहा था। दूसरे शब्दों में इसे समझें तो इसका मतलब हुआ कि भारत चीन को जितना निर्यात करता है, उसके मुकाबले 4 गुना आयात करता है।
चीन से होने वाले तीन सबसे बड़े आयात
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय एक्सपोर्ट एंड इंपोर्ट डाटा बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में चीन से होने वाले तीन सबसे बड़े आयात इस प्रकार हैं।
इलेक्ट्र्रिक उपकरण: 20.63 अरब डॉलर
परमाणु रिएक्टर: 13.4 अरब डॉलर
केमिकल्स: 8.6 अरब डॉलर
2018-19 में भारत से चीन को होने वाले तीन सबसे बड़े निर्यात
ऑर्गनिक रसायन : 3.25 अरब डॉलर
खनिज ईंधन : 2.86 अरब डॉलर
कपास : 1.79 अरब डॉलर
तुरंत कारोबार खत्म करना कठिन
एक एक्सपर्ट के मुताबिक, चीन से आयात होने वाले इंटरमीडिएट उत्पादों और कंपोनेंट्स के एक बड़े हिस्से का उपयोग भारत की निर्यात इकाइयां अपने उत्पाद को बनाने के लिए करती हैं। इसलिए बिना पूरी तैयारी किए यदि चीन से आयात घटाया जाएगा, तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि, इस दिशा में सरकार लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए कदम उठा सकती है। इकोनॉमिस्ट अरुण कुमार का कहना है कि आप ज्यादा ड्यूटी भी नहीं लगा सकते हैं। इसमें भी डब्ल्यूटीओ का नियम है।
भारत-चीन की एक-दूसरे पर निर्भरता
सेक्टर | निर्भरता |
एनर्जी | 75% सोलर पैनल आयात होते हैं। |
फार्मा | 69% ड्रग इंग्रीडिएंट्स आयात होते हैं। |
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स | 45% कंज्यूमर ड्यूरेबल, 67% कंपोनेंट आयात होते हैं। |
कृषि | 50% पेस्टीसाइड के टेक्निकल इनपुट, 10% यूरिया का आयात |
प्लास्टिक | 44% आयात होता है। |
लेदर | 38% आयात होता है। |
सेरामिक्स | 37% आयात होता है। |
जेम्स एंड ज्वैलरी | 36% डायमंड अायात होता है। |
पेट्रोकेमिकल्स | 34% पेट्रोकेमिकल्स आयात होता है। |
ऑटो कंपोनेंट | 18% ऑटो कंपोनेंट, 30% टायर आयात होते हैं। |
कॉटन यार्न | 27% चीन को निर्यात होता है। |
सीफूड | 22% सीफूड चीन से आता है। |
पेपर | 17% आयातित पेपर चीन से आता है। |
स्टील | 17% आयात करता है। |
एल्युमीनियम | 1% चीन को निर्यात करता है। आयात 2% से कम है। |
रेडीमेड गारमेंट्स | 1% हिस्सा चीन को निर्यात होता है। |
सोर्स: क्रिसिल
आयात बंद करने से पहले उद्योगों की मुश्किलें दूर करनी होंगी
भारत के कई उद्योग चीन से आयातित सामानों पर निर्भर हैं, इसलिए चीन से आयात बंद करने से पहले इन उद्योगों के लिए जरूरी चीजों का विकल्प तलाशना होगा। कच्चा माल और मटेरियल की आपूर्ति गड़बड़ाने से भारत में स्टील, ऑयल एंड गैस, फार्मा, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेब्ल्स, आईटी सर्विस और केमिकल सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
भारत मोबाइल हैंडसेट, टीवी सेट और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मामले में भी चीन पर निर्भर है। लिहाजा निर्यात सेक्टर की कंपनियां कीमत और सप्लाई चेन की वजह से संकट में फंस जाएगी। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्शन 76 हजार 300 करोड़ रुपए का है। इसमें चीन से आयात 45% है। इलेक्ट्राॅनिक्स सेक्टर मार्केट 5.3 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें से निर्यात केवल 6% का है और आयात 31% का है। आयात में भी 67% के लिए निर्भरता चीन के ऊपर है।
फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट विरेन शाह का कहना है कि चाइनीज सामानों का भारत में बायकॉट लगभग असंभव है। डंपिंग ड्यूटी बढ़ाकर, हम इन पर दबाव जरूर डाल सकते हैं। हम चाहें तो वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश और दक्षिण कोरिया, सिंगापुर जैसे देशों से आयात होने वाले सामानों पर ड्यूटी घटा सकते हैं। आत्मनिर्भर भारत कैम्पेन के तहत देश में लगने वाली फैक्ट्रियों या कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
चीन से आयात बंद करने से दवाएं, मोबाइल और वाहन महंगे हो सकते हैं
भारत के कई उद्योग कच्चे माल और मटेरियल्स के लिए चीन से होने वाले आयात पर काफी हद तक निर्भर हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार रुकने से इन उद्योगों के उत्पाद महंगे हो सकते हैं। खासतौर से दवा, मोबाइल और वाहन उद्योग की चीनी माल पर निर्भरता काफी अधिक है।
भारत के सबसे बड़े ऑटोमोटिव कंपोनेंट सप्लायर में से एक है चीन
चीन, भारत के सबसे बड़े ऑटोमोटिव कंपोनेंट सप्लायर में से एक है। व्यापार बंद होने की हालत में चीन में तैयार कल-पुर्जों की आपूर्ति घट जाएगी और इसके कारण भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को प्रोडक्शन घटाना पड़ेगा। भारत के ऑटो कंपोनेंट की जरूरत का 10% से 30% आयात चीन से होता है। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की बात करें तो यह 2-3 गुना अधिक हो जाता है। आयात के लिए दूसरे बाजारों में जाने से कार बनाने की लागत बढ़ सकती है। इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
हेल्थकेयर सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हो सकता है
भारत बल्क ड्रग और उनके इंग्रीडिएंट्स का 70% चीन से आयात करता है। दवा बनाने के लिए एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स) और कुछ जरूरी दवाओं के लिए भारत, चीनी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने और व्यापार प्रभावित होने से हेल्थकेयर सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत पेनसिलीन-जी जैसी कई दवाओं के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। भारत मेडिकल उपकरणों का 80% आयात करता है और इस आयात में चीन की अहम हिस्सेदारी है।
भारत में स्मार्टफोन की कीमत बढ़ सकती है
भारत अपने इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का 6-8% चीन को निर्यात करता है, जबकि अपनी जरूरतों का 50-60% चीन से आयात करता है। आपसी व्यापार प्रभावित होने का असर भारत में प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों पर दिखेगा। आयात घटने से भारत में स्मार्टफोन की कीमत बढ़ सकती है।
2018-19 में भारत के कुल आयात में चीन की 13.7% हिस्सेदारी रही
भारत का चीन से आयात
प्रोडक्ट | 2017-18 | 2018-19 |
इलेक्ट्रिकल मशीनरी | 1,84,789 | 1,44,405 |
न्यूक्लियर मशीनरी | 87,282 | 93,616 |
ऑर्गेनिक केमिकल्स | 45,691 | 60,082 |
प्लास्टिक के आइटम | 15,246 | 19,038 |
फर्टिलाइजर | 6,912 | 14,412 |
आयरन-स्टील आइटम | 9,497 | 12,165 |
ऑप्टिकल, मेडिकल उपकरण | 10,718 | 11,108 |
वाहन और एक्सेसरीज | 9,371 | 10,636 |
आयरन और स्टील | 10,445 | 9,950 |
केमिकल प्रोडक्ट्स | 8,692 | 8,994 |
(आंकड़े करोड़ रुपए में)
भारत के कुल निर्यात में चीन की 5.1% हिस्सेदारी
भारत का चीन को निर्यात
प्रोडक्ट | 2017-18 | 2018-19 |
ऑर्गेनिक केमिकल्स | 13,578 | 22,760 |
मिनरल फ्यूल्स | 9,731 | 20,031 |
कॉटन | 6,476 | 12,444 |
अयस्क | 8,124 | 8,572 |
प्लास्टिक आइटम | 3,522 | 7,759 |
न्यूक्लियर मशीनरी | 4,615 | 5,790 |
मछली | 1,043 | 5,094 |
नमक | 4,336 | 4,756 |
इलेक्ट्रिकल मशीनरी | 3,093 | 4,071 |
आयरन और स्टील | 2,089 | 2,230 |
(आंकड़े करोड़ रुपए में)