चीन के 2049 मास्टर प्लान में भारत है सबसे बड़ी बाधा-शक्ति सिन्हा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के सहयोगी रहे शक्ति सिन्हा (Shakti Sinha) का मानना है कि दरअसल चीन के साल 2019 के मास्टर प्लान के सामने भारत सबसे बड़ा रोड़ा है.

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नई दिल्ली. चीन (China) के साथ सीमा विवाद (Border Dispute) में भारत ने अपने 20 सैनिकों की शहादत दी है. दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक तौर पर बुरे दौर में हैं. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि एकाएक भारत के अपने पड़ोसियों चीन और नेपाल के साथ संबंध खराब हो गए? पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रहे शक्ति सिन्हा का मानना है कि दरअसल चीन के साल 2049 के मास्टर प्लान के सामने भारत सबसे बड़ा रोड़ा है. शक्ति सिन्हा इस वक्त वडोदरा स्थित एमएस युनिवर्सिटी के अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज के डायरेक्टर हैं.

सिन्हा ने कहा है कि चीन बीते एक दशक के दौरान ज्यादा आक्रामक हुआ है. उसे लगता है कि वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने का समय आ चुका है. वो दुनिया में अपना दखल बढ़ाना चाहता है. शी जिनपिंग के चीन का सपना है 2049 का मास्टर प्लान. तैयारी की जा रही है कि 2049 तक चीन को पूरी तरह विकसित, अमीर और ताकतवर बनाना है. वो वैश्विक इतिहास में सबसे ज्यादा ताकतवर बनना चाहता है. भारत उसकी राह में सबसे बड़ी बाधा है. इसके पीछे कुछ कारण भी हैं. जैसे चीन के महात्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट को लेकर सबसे पहले भारत खतरे की घंटी बजाई थी. भारत में मजबूत होता लोकतंत्र भी चीन के लिए खतरा है. हमने अपनी सीमाओं की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई है, इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण तेज किए हैं. चीन को भारत के इन कदमों से चिंता हुई है. यही वजह है कि चीन अब सीमा पर आक्रामक व्यवहार कर रहा है.

सिन्हा ने कहा है कि जहां तक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की बात है तो सभी चीजें पहले से निर्धारित हैं. सीमा पर दोनों तरफ की सेनाओं के लिए भी प्रोटोकॉल है. लेकिन चूंकि चीन की आदत क्षेत्र हड़पने की रही है कि इस वजह से बार-बार सीमा पर आक्रामक प्रयास किए जाते हैं. 1950 से चीन की यही नीति रही है कि वो भारत को आगे न बढ़ने दिया जाए. अगर 1962 की बात छोड़ दें तो 1967 में हमारी सेना उन्हें सबक सिखा चुकी है.

चीन द्वारा गलवान वैली पर अधिकार जताने और पीएम मोदी द्वारा किसी भी तरह के अतिक्रमण से इंकार किए जाने पर शक्ति सिन्हा ने कहा है कि पीएम मोदी के सर्वदलीय बैठक में दिए गए वक्तव्य का आधिकारिक वर्जन आने तक इंतजार करना चाहिए. हमें समझना होगा कि उन्होंने क्या कहा है. लेकिन मैं ये साफ तौर पर देख रहा है कि भारत अब चीन के पीछे हटने को तैयार नहीं है. डोकलाम इस बात का सबूत है कि किस तरह स्थितियों को ठीक किया गया.

चीन के साथ व्यापार पर उनका कहना है कि पूरी तरीके बैन लगाना उचित नहीं है और जरूरी भी नहीं है. इससे निपटने के और भी तरीके हैं. भारत को अपने यहां आयात किए जाने वाले प्रोडक्ट्स के गुणवत्ता मानक बेहतर करने होंगे. इससे चीन हमारे लिए प्रोडक्ट बनाने वक्त हमारे मानकों का खयाल रखेगा. भारत में चीनी उपकरण लगे अत्यधिक मोबाइल बिकना भी चिंता का विषय है. हमें अपने देश की इंडस्ट्री पर जोर देना होगा.

चीन के खिलाफ लड़ाई में भारत के संभावित दोस्तों पर उनका कहना है कि किसी तरह के गठबंधन या लड़ाई का मसला ही नहीं है. सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो चीन के विकास को शांतिपूर्ण नहीं मानते हैं. इनमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, वियतनाम, साउथ कोरिया, इंडोनेशिया और कई अन्य यूरोपीय देश भी शामिल हैं.

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