पंजाब मेडिकल प्रेक्टिशनियर्स एसोसिएशन विवाद में बाली ग्रुप ने लगाए धन्ना मल ग्रुप पर आरोप

-एसोसिएशन को तोड़ने के पीछे फंडों में किए घपलों को बताया जिम्मेवार, लोगों को गुमराह होने से बचने की अपील की

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बठिंडा. ब्लाक बठिंडा में दो ग्रुपों में विभाजित पंजाब मेडिकल प्रेक्टिशनियर्स एसोसिएशन के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया है। इसमें पिछले दिनों धन्ना मल और हरविन्दर सिंह रानू ग्रुप में से बड़ी संख्या में मैंबर बाली ग्रुप में शामिल हो रहे थे। इसके बाद दोनों ग्रुपों ने एक दूसरे पर एसोसिएशन को तोड़ने व गुमराह करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। गत दिवस रानू ग्रुप की तरफ से नई एसोसिएशन बनाने वाले लोगों को संगठन से निकालने का की बात कही थी। वही रविवार को रानू ग्रुप के इस दावे को बाली ग्रुप ने झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि रानू ग्रुप मनमर्जी से बाली ग्रुप में शामिल हो रहे डाक्टरों को रोकनो के लिए पहले तो मिन्नत कर रहा था और अपनी झूठी इज्जत को बचाने की खातिर कहा गया कि इनको धन्ना ग्रुप और हरविन्दर सिंह ग्रुप में से डिफाल्टर घोषित कर बाहर निकाला है। धन्ना ग्रुप ने शुरू से ही सदस्यों का शोषण करने के सिवा ओर साथियों की भलाई के बारे कोई कदम नहीं उठाया। यह बात किसी से छिपी नहीं कि सर्टिफिकेट और आई कार्ड जारी करने के नाम पर 3100 और किसी से 5500 का फंड लिया जाता था। अब डरते 500 रुपए कर दिया और किसी किसी को फ्री भी ग्रुप के साथ जोड़ रहे हैं क्योंकि जो थोड़े बहुत साथी इस ग्रुप में रह गए हैं कहीं वह भी वास्तविकता से जानकार हो कर इस ग्रुप को छोड़कर न चले जाए। कहा जा रहा है कि बाली के पास बहुमत नहीं था और न ही 295 की रजिस्ट्रेशन बाली ने कराई है। इन्होंने कहा कि बाली को 73-49 के फर्क के साथ हराया था। असली सत्य क्या है कभी किसी के सामने आने ही नहीं दिया गया। हड़बड़ाहट में जगसीर शर्मा अपने ग्रुप के सदस्यों की संख्या की झूठी बयान बाज़ी करते कह रहा है हमारे सदस्यों की संख्या 7000 है जो सरासर गलत है।

तारीख़ 21-1-2018 को हुई स्टेट समिति की मीटिंग में सदस्यों की संख्या की जो जानकारी दी गई थी। उसके अनुसार बठिंडा में 550, बरनाला 210, मानसा 470,फरीदकोट 480,मोगा 470, फाज़िल्का 300, फिरोज़पुर 250,    लुधियाना 190,  फतेहगढ़ साहिब 50,जालंधर 90, श्री मुक्तसर साहिब 250, चीमा 26, गढ़शंकर 18 व तरनतारन 15 बताई गई थी जिसका कुल जोड़ 3500 बनता है और यदि अब स्थिति बारे बात करें तो इसमें से बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर, फाजिल्का के लगभग 1000 के करीब साथी इनकी झूठी धोखाधड़ी और शोषण करने वाली नीति से जानकार हो कर इनका साथ छोड़ चुके हैं और बाकी ओर साथी भी छोड़ रहे हैं। बाकी साथियों की संख्या 2500 के करीब ही रह गई जिसको यह 7000 बता रहे हैं।

सदस्यों की सहमती के साथ एक आडिट समिति का गठन किया गया था जिसके मैंबर ज्ञान शर्मा, नछत्तर सिंह, सुरजीत सिंह और कुछ ओर साथी थे। आडिट समिति की तरफ से हर बात की निष्पक्ष जांच की जाती और इस दौरान किए गए ख़र्च को कभी भी जत्थेबंदी के हिस्से नहीं डाला गया। जब समिति को जांच के दौरान धन्ना मल ग्रुप में फंड के दुरुपयोग के बारे पता लगा तो इनकी तरफ से इस बाबत आवाज उठाई गई। इसके बाद अधिकारियों की तरफ से इस समिति को रद्द कर दिया गया ताकि किए गए घपलों के बारे में लोगों को जानकारी न लग सके। जत्थेबंदी के नाम पर एक बैंक अकाउंट खोला जाता है जो जिले का और स्टेट का अलग अलग होता है और जोकि नेताओं के नाम पर खोला जाता है परन्तु बठिंडा ब्लाक का अकाउंट नंबर भी इन नियमों मुताबिक नहीं खुलवाया गया और स्टेट का अकाउंट नंबर तो आज तक खोला ही नहीं गया। इसका कारण यह है कि जत्थेबंदी का खाता खुलवाने के लिए असली दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है जो इनके पास नहीं थे।

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