चंडीगढ़. पंजाब के प्राइवेट स्कूलों की तरफ से शुक्रवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में कहा गया कि पंजाब सरकार उन्हें ट्यूशन फीस ही लेने के निर्देश दे रही है जो सही नहीं है। ट्यूशन फीस का कोई कांसेप्ट नहीं है। उन्हें फीस चाहिए। यदि अभिभावक परेशानी में हैं और उनके पास सही कारण है तो स्कूल फीस छोड़ने को तैयार हैं।
वहीं, इस पर पंजाब सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि स्कूल जो सर्विस नहीं दे रहे उसकी फीस कैसे चार्ज कर सकते हैं। इस पर जस्टिस निर्मलजीत कौर ने प्राइवेट स्कूलों और पंजाब सरकार की जिरह सुनने के बाद सोमवार के लिए सुनवाई तय करते हुए याचिका दायर करने वाले अभिभावकों को अपना पक्ष रखने को कहा है। गौर हो कि फीस को लेकर सूबा सरकार ने विशेष निर्देश देकर कार्रवाई की बात कही थी।
प्राइवेट स्कूलों की दलील, जो फीस नहीं दे सकते, उनकी फीस सरकार भरे
प्राइवेट स्कूलों की तरफ से वकील पुनीत बाली ने कोर्ट में कहा कि पंजाब सरकार अपनी ड्यूटी सही ढंग से नहीं निभा रही है। जिन बच्चों की फीस का भुगतान करने में अभिभावक असमर्थ हंै, सरकार उनकी फीस का भुगतान करे। दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूल जो अपने स्टाफ को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। सरकार उन्हें वेतन दें।
सरकार का जवाब- स्कूल ट्यूशन फीस ले रहे तो सरकार स्टाफ को वेतन क्यों दे
पंजाब सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कोर्ट में कहा कि सभी प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस ले रहे हैं। जब स्कूल अभिभावकों से ट्यूशन फीस ले रहे हैं तो फिर सरकार स्कूल स्टाफ को वेतन क्यों दे। स्कूलों को यह समझना चाहिए कि स्कूल पूरी तरह से बंद हैं, फिर पूरी तरह फीस वसूलने के हकदार कैसे हो सकते हैं।
हाईकोर्ट ने फीस का 70% वसूलने के दिए थे प्राइवेट स्कूलों को अंतरिम निर्देश
हाईकोर्ट ने इससे पहले टोटल फीस का 70 फीसदी वसूलने के अंतरिम निर्देश दिए थे। जस्टिस रितु बाहरी ने अंतरिम आदेश जारी कर स्टाफ को 70 फीसदी सैलरी भी देने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि स्कूलों द्वारा दाखिले के समय ली जाने वाली वन टाइम एडमिशन फीस भी दो किस्तों में वसूली जाए।
यह है मामला
प्राइवेट स्कूलों की तरफ से याचिका दायर कर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के 14 मई 2020 के फैसले को चुनौती दी गई। इसमें कहा गया कि प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई दूसरी फीस नहीं वसूलेंगे। इसमें बिल्डिंग चार्जेज, ट्रांसपोर्टेशन चार्जेज और दूसरे भुगतान शामिल नहीं होंगे। इसमें कहा गया कि एक तरफ स्कूलों को निर्देश जारी कर कहा जा रहा है कि टीचर्स की सैलरी में कटौती नहीं करें वहीं दूसरी तरफ फीस में छूट की बात की जा रही है।