जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन ऑलआउट’, इस साल 89 आतंकियों का किया सफाया, हिज्बुल की कमर टूटी!

इस साल सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी कामयाबी हिज्बुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के ऑपरेशन चीफ रहे रियाज नायकू (Riyaz Naikoo) के सफाए को माना जा रहा है. जनवरी से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने व्यापक अभियान चलाकर आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी है.

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नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सुरक्षाबलों (Security Forces) ने इस साल में अब तक 89 आंतकियों का सफाया किया है. मारे गए आतंकियों में चार संगठनों के टॉप सरगना शामिल हैं. इनमें सबसे बड़ी कामयाबी हिज्बुल मुजाहिदीन के ऑपरेशन चीफ रहे रियाज नायकू के सफाए को माना जा रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मारे गए आतंकियों में आधे से ज्यादा का ताल्लुक हिज्बुल मुजाहिदीन से था.

क्या हुआ रणनीति में बदलाव

इंडियन एक्सप्रेस पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने बताया कि बीते जनवरी महीने के बाद आतंकरोधी अभियान को नई रणनीति के तहत चलाया गया है. हमने तकनीक पर ज्यादा भरोसे के बजाए ह्यूमन इंटेलिजेंस का ज्यादा इस्तेमाल किया है. आतंकियों पर कार्रवाई के दौरान खयाल रखा गया कि आम लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे. बीते कुछ महीनों के दौरान हमने जम्मू-कश्मीर में मौजूद लगभग हर बड़े आतंकी संगठनों के सरगना को टारगेट किया है. इससे उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है.

यही वजह है कि अब इन संगठनों में 6 महीने पहले के मुकाबले रिक्रूटमेंट काफी कम हो गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मारे गए 89 में से 46 आतंकी हिज्बुल मुजाहिदीन से संबंधित थे. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा आतंकी गतिविधियों को अंजाम हिज्बुल मुजाहिदीन ही देता है.

कई आतंकी संगठनों के सरगना ढेर

रियाज नायकू के अलावा इस साल मारे जाने वाले बड़े आतंकी हैं-हैदर (लश्कर-ए-तैयबा), कारी यासिन (जैश-ए-मोह्म्मद कमांडर), बुरहान कोका (अंसार गजवात-उल-हिंद). गौरतलब है कि इस साल के शुरुआती 6 महीने से पहले 2019 के आखिरी 6 महीने में 29 आतंकी मारे गए थे.

एक कश्मीरी पुलिस अधिकारी के मुताबिक अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद लंबे समय तक इंटरनेट और कम्युनिकेशन की अन्य पाबंदियों की वजह से आतंकियों की पनाहगाहों के बारे में जानकारी मिलने में दिक्कत आ रही थी. लेकिन जनवरी महीने से स्थितियां ठीक होने के बाद व्यापक स्तर पर आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाया गया.

अप्रैल में हुए सबसे ज्यादा एनकाउंटर
सबसे ज्यादा आतंकियों का सफाया अप्रैल महीने में किया गया है. इस दौरान कोरोना को रोकने के लिए राज्य में सरकारी लॉकडाउन जारी था. सीआरपीएफ के स्पेशल डीजी (जम्मू-कश्मीर जोन) जुल्फिकार हसन ने बताया कि महामारी के दौरान भी सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ अपना अभियान जारी रखा.

 

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