नई दिल्ली. लॉकडाउन के कारण अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को 15 दिन में उनके घर भेजा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ लॉकडाउन के नियम तोड़ने पर आपदा प्रबंधन कानून के तहत दर्ज सभी केस वापस लेने पर विचार करें। केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों की पहचान के लिए एक सूची तैयार करें। उनके कौशल (स्किल) की पहचान के लिए मैपिंग करें। वे कुशल हैं या अकुशल, इस आधार पर उनके रोजगार की योजनाएं बनाएं।
जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की बेंच ने यह सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र को यह निर्देश भी दिया कि राज्य मांग करें तो 24 घंटे के अंदर प्रवासियों को उनके घर भेजने के लिए अतिरिक्त ट्रेन उपलब्ध कराएं। अब इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
ठेकेदारों का किया जाएगा रजिस्ट्रेशन
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई से अगल कहा कि बच्चों की तस्करी रोकने कर लिए ठेकेदारों पर लगाम कसना बेहद जरूरी हो गया है. ठेकेदार सस्ती कीमत पर बच्चों को काम पर लगा देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि अब ठेकेदारों का रजिस्ट्रेशन कराया जाए. इस तरह सरकार उन पर नजर रख पाएगी की वह किसको काम दे रहे हैं.
पिछले आदेश में कहा था- मजदूरों से किराया न लिया जाए
प्रवासी मजदूरों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को अंतरिम आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि ट्रेनों और बसों से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से किसी तरह का किराया न लिया जाए। यह खर्च राज्य सरकारें ही उठाएं। कोर्ट ने आदेश दिया कि फंसे हुए मजदूरों को खाना मुहैया कराने की व्यवस्था भी राज्य सरकारें ही करें।
कोर्ट ने 28 मई को 4 आदेश दिए थे
1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रेन और बस से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से कोई किराया ना लिया जाए। यह खर्च राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें उठाएं।
2. स्टेशनों पर खाना और पानी राज्य सरकारें मुहैया करवाएं और ट्रेनों के भीतर मजदूरों के लिए यह व्यवस्था रेलवे करे। बसों में भी उन्हें खाना और पानी दिया जाए।
3. देशभर में फंसे मजदूर जो अपने घर जाने के लिए बसों और ट्रेनों के इंतजार में हैं, उनके लिए भी खाना राज्य सरकारें ही मुहैया करवाएं। मजदूरों को खाना कहां मिलेगा और रजिस्ट्रेशन कहां होगा। इसकी जानकारी प्रसारित की जाए।
4. राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को देखें और यह भी निश्चित करें कि उन्हें घर के सफर के लिए जल्द से जल्द ट्रेन या बस मिले। सारी जानकारियां इस मामले से संबंधित लोगों को दी जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 28 मई तक जवाब मांगा था
अदालत ने इस मामले को खुद ही नोटिस में लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मजदूरों की हालत खराब है। उनके लिए सरकार ने जो इंतजाम किए हैं वे नाकाफी हैं। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर 28 मई तक जवाब मांगा था।
Hari Dutt Joshi/ Chief Editor
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