अमेरिकी चुनाव पर फिर हैकरों की नजर / गूगल ने कहा- ट्रम्प और बिडेन के कैंपेन को हैक करने की कोशिश, ईमेल से जानकारी चुराने की फिराक में चीन और ईरान

गूगल ने बताया कि चीन के हैकर ग्रुप का नाम हरीकेन पांडा और ईरान के ग्रुप का नाम चार्मिंग किटन है 2016 के चुनावों में रूस ने हिलेरी क्लिंटन का ईमेल हैक किया था, ट्रम्प की जीत पर कई सवाल भी उठे थे

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वॉशिंगटन. गूगल ने चेतावनी दी है कि चीन और ईरान के हैकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन के कैंपेन को निशाना बना रहे हैं। इन दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के हैकर फिशिंग ईमेल भेज रहे हैं। उनका मकसद डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के लोगों के इमेल के जानकारी चुराना है। अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं।

गूगल के थ्रेट एनालिसिस ग्रुप (टीएजी) के डायरेक्टर शेन हंटली के ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि चीन का एक हैकिंग ग्रुप बिडेन के कैंपेन को और ईरान का ग्रुप ट्रम्प के कैंपेन को फिशिंग इमेल भेजकर हैक करने की कोशिश कर रहा है। हंटली ने बताया कि चीन के हैकर ग्रुप का नाम हरीकेन पैंडा और ईरान के हैकर ग्रुप का नाम चार्मिंग किटन है।
हंटली ने कहा कि गूगल ने फेडरल लॉ एजेंसियों को जानकारी दी है। गूगल ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने नई टेक्नोलॉजी के जरिए फिशिंग ईमेल को बहुत हद तक काबू में पाने में सफलता पाई है। ऑटोमैटिक प्रोटेक्शन, एकाउंट सिक्युरिटी और स्पेशल वार्निंग के जरिए हम जीमेल यूजर्स को सतर्क करते हैं।’’

बिडेन कैंपन के प्रवक्ता बोले- पता था कि अटैक होंगे
बिडेन के कैंपेन के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमें शुरुआत से ही पता था कि हम पर इस तरह के अटैक होंगे, इसलिए हमने इनके लिए तैयारियां कर ली हैं। बिडेन साइबर सिक्युरिटी को बहुत गंभीरता से लेते हैं। हम इन खतरों के खिलाफ सतर्क रहेंगे और यह तय करेंगे कि कैंपेन सुरक्षित रहे।’’ वहीं, ट्रम्प की कैंपेन की ओर से इस पर कोई भी प्रतक्रिया नहीं आई है।

पिछले चुनावों में रूस का दखल सामने आया था
2016 में रूस के हैकरों ने अमेरिकी चुनावों में दखल दिया था। रिपोर्ट में सामने आया था कि रूस में सरकार से समर्थन पाए हैकरों ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के ईमेल हैक किए थे।  खुलासे के बाद ट्रम्प की जीत पर कई सवाल उठे। अमेरिकी चुनावों में रूसी हस्ताक्षेप के मामले में ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव तक लाया गया था। यह प्रस्ताव निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव से पास हो गया था। हालांकि, सीनेट में प्रस्ताव गिर जाने से उस पर महाभियोग की कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

क्या होते हैं फिशिंग ईमेल?
फिशिंग ईमेल एक तरह के फर्जी ईमेल होते हैं, इसमें वायरस होते हैं। ये मेल जब किसी कंप्यूटर पर खोले जाते हैं तो वायरस के जरिए उसका पासवर्ड चोरी कर लिया जाता है। इसके साथ ही जरूरी मेलों को डिलीट भी कर दिया जाता है। इसके जरिए हैकर किसी की गोपनीय जानकारी तक पहुंच जाते हैं।

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