संयुक्त राष्ट्र / सुरक्षा परिषद में सीट सुरक्षित करने के लिए भारत ने कैंपेन लॉन्च किया, विदेश मंत्री बोले- वैश्विक महामारी के समय हमारी भूमिका अहम
सुरक्षा परिषद की पांच अस्थाई सीटों के लिए 17 जून को चुनाव होने वाले हैं भारत की जीत तय मानी जा रही, एशियाई प्रशांत समूह से वह अकेला समर्थित देश
नई दिल्ली. भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अपनी सीट सुरक्षित करने के लिए कैंपेन की शुरुआत की। भारत ने इसमें कहा कि दुनिया में आज जिस तरह का माहौल है, उसमें भारत अहम भूमिका निभा सकता है। विदेश मंत्री एस जयंशकर ने इस मौके पर एक पुस्तिका भी लॉन्च की। इसमें कैंपेन के लिए भारत की प्राथमिकताएं बताई गई हैं।
भारत चुना जाता है तो उसका 8वां कार्यकाल होगा
सुरक्षा परिषद की पांच अस्थाई सीटों के लिए 17 जून को चुनाव होने वाले हैं। भारत अगर चुना जाता है तो यह उसका आठवां कार्यकाल होगा, जो दो साल के लिए जनवरी 2021 से शुरू होगा। भारत की जीत तय मानी जा रही है। एशियाई प्रशांत क्षेत्रीय समूह से वह अकेला समर्थित सदस्य है।
जयशंकर ने कहा कि हम सुरक्षा परिषद में दस साल पहले चुने गए थे। हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को लेकर चार विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- पहला- तनाव बढ़ने के कारण अंतर्राष्ट्रीय शासन की सामान्य प्रक्रिया ज्यादा दबाव झेल रही है।
- दूसरा- पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां अनियंत्रित रूप से बढ़ रही हैं। आतंकवाद ऐसी समस्याओं का अच्छा उदाहरण है।
- तीसरा- वैश्विक संस्थानों को कमतर आंका जाता है, इसलिए वे बेहतर परिणाम देने में कम सक्षम हैं।
- चौथा- कोरोनावायरस महामारी और इससे होने वाले आर्थिक नुकसान दुनिया की कठीन परीक्षा लेंगे, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।
भारत का दृष्टिकोण प्रधानमंत्री के 5 बातों पर निर्धारित
जयशंकार ने कहा- इस असाधारण स्थिति में भारत एक सकारात्मक वैश्विक भूमिका निभा सकता है। हम हमेशा से तर्क की आवाज रहे हैं। भारत का दृष्टिकोण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तय की गईं पांच बातों- सम्मान, संवाद, सहयोग और शांति से निर्देशित होगा जो समृद्धि के लिए स्थितियां उत्पन्न करेंगी।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में इस कार्यकाल के दौरान भारत का समग्र उद्देश्य एन.ओ.आर.एम.एस (न्यू ओरिएनटेशन फॉर ए रिफॉर्म्ड मल्टिलेटरल सिस्टम) की उपलब्धि होगी। भारत उस वैश्विक विकास पर जोर देता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन और गरीबी उन्मूलन को धरती के भविष्य के लिए जरूरी समझा जाए।