तब चंद्र ग्रहण के चलते बची थी कोलंबस की जान और उसे माना गया भगवान का दूत

चाहे चंद्र ग्रहण हो या फिर सूर्य ग्रहण , इन्हें लेकर प्राचीन समय में तमाम डर और अंधविश्वास जुड़े रहे थे. इसे भगवान का प्रकोप माना जाता था. लोगों को लगता था कि जब भी ग्रहण होते हैं तब कोई विपत्ति सामने आती है. जानें ऐसे अंधविश्वासों के बारे में

0 990,025

ग्रहण को लेकर दुनियाभर में तमाम किस्से, डर और रोचक बातें जुड़ी रही हैं. पहले लोग ग्रहण को दैवीय प्रकोप मानते थे और उससे डर जाते थे. इस डर के चलते अमेरिका की खोज करने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ने ना केवल अपनी बल्कि साथियों की भी जान बचाई थी. बल्कि उल्टे जमैका के मूल आदिवासियों ने उन्हें भगवान मानना शुरू कर दिया था.

ये घटना 11 मई 1502 की है. क्रिस्टोफर कोलंबस आखिरी समुद्र यात्रा के लिए स्पेन से निकले. समुद्र में तूफान के कारण और जहाज की दिक्कतों के कारण उन्हें एक द्वीप पर 6 महीने तक शरण लेनी पड़ी.

इस द्वीप को आज जमैका के नाम से जाना जाता है. काफी समय तक यहां रुकने के कारण कोलंबस और साथियों के पास खाने-पीने के सामान की कमी होने लगी.द्वीप पर रहने वाले कुछ लोगों ने कोलंबस और उनके साथियों की मदद की. लेकिन धीरे धीरे लोगों ने जब खाने की कमी कर दी तो कोलंबस और उसके साथियों की हालत खराब होने लगी. तब कोलंबस ने एक योजना बनाई.

कोलंबस ने कहा भगवान चांद को गायब कर देंगे

कोलंबस ये जानता था कि 29 फरवरी 1504 को चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. उसने इसका फायदा उठाया. उसने द्वीप के लोगों से कहा कि भगवान आप लोगों से बहुत नाराज हैं, क्योंकि हम भगवान के लोग हैं. आप हमारी मदद नहीं कर रहे. इसीलिए भगवान आज रात चंद्रमा को गायब कर देंगे. चंद्रमा का रंग लाल हो जाएगा. थोड़ी देर बाद वाकई में चंद्रमा लाल होने लगा.

फिर कोलंबस ने कहा वो भगवान की नाराजगी दूर करेगा
इससे उस द्वीप के लोग डर गए. वो कोलंबस को भगवान का दूत मानने लगे. उनसे भगवान की नाराजगी दूर करने की याचना की गई. वैसे तो कोलंबस को तो मालूम ही था कि चंद्र ग्रहण कितनी देर तक पड़ने वाला है. कोलंबस ने लोगों को बताया कि तय समय के बाद भगवान की नाराजगी दूर हो जाएगी. चांद की रोशनी वापस आ जाएगी.

उसे आकाशीय शक्तियों से लैस माना गया
कुछ देर बाद ऐसा ही हुआ. चंद्रमा की चमक वापस आ गई. इसके बाद जमैका के लोगों ने कोलंबस और उनके साथियों के खाने-पीने की कोई कमी नही रखी. भूखे मरने की स्थिति में पहुंच गए कोलंबस और उसके साथियों की जान बच गई.लोगों ने ये भी मान लिया कि कोलंबस के अंदर अदभुत आकाशीय शक्तियां हैं.

क्रिस्टोफर कोलंबस एक अच्छा जहाजी होने के कारण खगोलशास्त्र का बहुत अच्छा ज्ञाता था. उसने अपनी इस विद्या से जमैका में लोगों के सामने ये जाहिर किया कि

हमेशा से ग्रहण से डरते रहे हैं लोग
दुनिया बहुत से लोग हैं, जो आमतौर पर ग्रहण को खतरे का प्रतीक ज्यादा मानते हैं. ग्रहण को दुनिया में होने वाली उथलपुथल या अपशगुन से जोड़ा जाता है.
हिंदू मिथकों में इसे अमृतमंथन और राहु-केतु नामक दैत्यों की कहानी से जोड़ा जाता है. इससे जुड़े कई अंधविश्वास प्रचलित हैं. ग्रहण हमेशासे इंसान को हैरान भी करता है और डराता भी रहा है.अब भी वैज्ञानिक कारणों को जानने के बाद भी ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास बने हुए हैं.

ड्रैगन सूरज को निगल लेता है
ग्रहण को लेकर पश्चिमी एशिया में मान्यता थी कि ड्रैगन सूरज को निगलने की कोशिश करता है. इसलिए वहां ग्रहण पड़ने के दौरान ड्रैगन को भगाने के लिए ढोल-नगाड़े बजाए जाते थे. चीन में माना जाता था कि स्वर्ग का एक कुत्ता सूरज और चांद को निगल लेता है, जिससे ये ग्रहण पड़ते हैं. पेरुवासियों के मुताबिक यह एक विशाल प्यूमा था. वाइकिंग मान्यता थी कि ग्रहण के समय आसमानी भेड़ियों का जोड़ा सूरज पर हमला करता है.

ग्रहण को लेकर दुनियाभर में अंधविश्वास रहे हैं. प्राचीन समय में तो लोग ग्रहण से बहुत डरते थे और इसे देवताओं के प्रकोप से जोड़कर देखते थे

यहां ग्रहण में झगड़े सुलझाए जाते हैं
टोगो और बेनिन में बैटामैलाइबा लोगों की मान्यता थी कि ग्रहण के दौरान सूरज और चांद आपस में झगड़ते हैं लिहाजा उनके झगड़े को खत्म करने के लिए ग्रहण के दौरान अपने झगड़े सुलझा लेने चाहिए.

वो सूरज-चांद को प्रेमी प्रेमिका मानते थे
दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र के मूल निवासी और अमेरिका के उत्तर-पश्चिम तट पर रहने वाले स्थानीय अमेरिकी कबीले मानते थे कि सूरज और चांद प्रेमी-प्रेमिका हैं. ग्रहण के दौरान वे धरती से पर्दा करके प्रेमलीला करते हैं.

बाइबल में तो ग्रहण को प्रलय से जोड़कर देखा गया. हालांकि समय से साथ ये बातें साफ हो चुकी हैं कि ग्रहण खगोलीय कारणों से आते हैं. इनका एक वैज्ञानिक आधार होता है

बाइबल में ग्रहण को प्रलय से जोड़ा गया
बाइबल में उल्लेख है कि कयामत के दिन सूरज बिल्कुल काला हो जाएगा. चांद का रंग लाल हो जाएगा. सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण लगने के दौरान ऐसा ही होता है. प्राचीन समय में लोगों का जीवन छोटा था. उनके जीवन में ऐसी घटनाएं एक दो बार ही आती थीं. इससे वो डर जाते थे.

अमरीका में इस बार जब सूर्यग्रहण होगा तो हममें से अधिकांश के मन में इसे लेकर कोई डर तो नहीं होगा, लेकिन जब सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य ग़ायब होने लगेगा और हर ओर अंधेरा छा जाएगा, तब शायद हम यह समझ पाएं कि आख़िर क्यों सभ्यता की शुरुआत से ही ग्रहण इंसान को डराते रहे हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.