खुलासा! चीन से WHO भी हुआ परेशान, नहीं साझा कर रहा है कोरोना से जुड़ा डेटा

एक खुलासे में सामने आया है कि खुद WHO भी कोरोना वायरस (Coronavirus) वैक्सीन रिसर्च के मामले में चीन (China) से काफी परेशान हो गया है. चीन पर पहले भी आरोप लगा है कि वह जानबूझकर वैक्सीन रिसर्च की कोशिशों में अड़ंगा लगा रहा है.

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एसोसिएट प्रेस को छानबीन में ऐसे ईमेल और आधिकारी दस्तावेज हाथ लगे हैं जिससे खुलासा हुआ है कि चीन ने कोरोना वायरस से जुड़े जेनेटिक मैप, जीनोम की संरचना से जुड़े अहम तथ्य कई हफ़्तों तक छुपाए रखे जबकि चीन की कई सरकारी लैब में इस सब पर रिसर्च पूरी हो चुकी थी. चीन ने कोरोना टेस्ट, दवा और वैक्सीन से जुड़ी रिसर्च का डेटा भी WHO से साझा करने में न सिर्फ देर की बल्कि शक है कि कुछ चीजें छुपा भी ली हैं. 

 

चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के गोपनीय ईमेल्स मिले
AP को कुछ ऐसे ईमेल हाथ लगे हैं जिनमें कोरोना वायरस से संबंधित कई तरह की जानकारियां मौजूद हैं. हालांकि ये जानकारियां WHO और अन्य लैब तक पहुंचाने में चीन ने हफ़्तों का समय ले लिया था. इन दस्तावेजों में कई ईमेल, चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज और दर्जनों कोरोना मरीजों और इलाज करने वाले लोगों के इंटरव्यू भी शामिल हैं.
इन ईमेल्स से ये पता चलता है कि भले ही WHO ने सार्वजनिक रूप से चीन की आलोचना नहीं की लेकिन संस्था लगातार चीन से न सिर्फ डेटा मांग रही थी बल्कि उसे शक था कि चीन सारा डेटा साझा नहीं कर रहा है. इस संबंध में WHO के अधिकारियों और चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच ईमेल के जरिए कई बार बातचीत भी हुई थी. WHO के एक मेल में स्पष्ट लिखा है कि चीन की इन हरक़तों से वैक्सीन रिसर्च की शुरुआत करने में देरी हो गयी.
इन दस्तावेजों के मुताबिक WHO को कोरोना से संबंधित डेटा दिए जाने से पहले ही सब चीन की सरकारी मीडिया CCTV पर प्रसारित हो जाता था. WHO के अधिकारियों ने चीन से बारे में सवाल भी किया था कि कैसे उन्हें अहम डेटा मिले के 15 मिनट के अन्दर ये सब चीनी मीडिया को भी मिल जाता है. एक मीटिंग में चीन में WHO के टॉप ऑफिशियल डॉक्टर गाउदेन गालेया ने भी चीनी अधिकारियों से सख्त लहजे में इस बारे में सवाल किये थे.

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