फेमस म्यूजिक कंपोजर वाजिद खान आखिरी वक्त में एक सप्ताह तक कोरोनावायरस के संक्रमण से जूझते रहे। इसी दौरान 31 मई को रात करीब 1 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया और वे दुनिया को अलविदा कह गए। वाजिद लंबे समय से किडनी की परेशानी से जूझ रहे थे। दुखद यह है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
भाभी ने डोनेट की थी किडनी
मेडिकल रिकॉर्ड के हवाले से पता चला है कि कुछ समय पहले वाजिद की भाभी यानी साजिद खान की पत्नी ने उन्हें अपनी किडनी डोनेट की थी। लेकिन उनके शरीर ने ट्रांसप्लांटेड ऑर्गन को रिजेक्ट कर दिया। इसके बाद किडनी के संक्रमण के कारण वे अस्पताल में भर्ती हो गए, जहां दो महीने तक रहे।
तीन दिन के लिए हुए थे डिस्चार्ज
दो महीने के इस हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान 7 अप्रैल को वाजिद को डिस्चार्ज कर दिया गया था। 8 अप्रैल को वे वर्सोवा कब्रिस्तान में शब-ए-बारात में शामिल हुए थे। हालांकि, 10 अप्रैल को उन्हें दोबारा भर्ती करा दिया गया। इसके बाद वे घर नहीं लौट सके और इंतकाल के बाद उन्हें वर्सोवा के उसी कब्रिस्तान में दफनाया गया।
मां, भाई-भाभी रख रहे थे खयाल
रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया जा रहा है कि वाजिद पत्नी से अलग हो चुके थे। इसके बाद से उनके भाई-भाभी और मां ही उनका खयाल रख रहे थे। पिछले दो महीने से उनकी मां हर दिन उनसे मिलने अस्पताल जाती थीं। कहा जा रहा है कि मां में कोरोना के लक्षण थे और वाजिद की इम्युनिटी कमजोर थी। इसलिए वे भी जल्दी ही कोरोना की चपेट में आ गए।
दो साल से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे
रिपोर्ट्स की मानें तो वाजिद खान पिछले दो साल से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे। 2018 में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। गौरतलब है कि साजिद-वाजिद की जोड़ी ने 20 साल तक बॉलीवुड में संगीत दिया। उन्होंने पहला म्यूजिक डायरेक्शन सलमान खान स्टारर ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के सॉन्ग ‘तेरी जवानी’ में दिया था। उनका आखिरी सॉन्ग (भाई-भाई) भी सलमान के साथ ही था, जिसे पिछले दिनों ईद पर रिलीज किया गया।
वाजिद को भाई साजिद की पत्नी ने अपनी किडनी दी थी, लेकिन ट्रांसप्लांट फेल हुआ और संक्रमण का शिकार हो गए
दो महीने के इस हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान 7 अप्रैल को वाजिद को डिस्चार्ज कर दिया गया था। 8 अप्रैल को वे वर्सोवा कब्रिस्तान में शब-ए-बारात में शामिल हुए थे। हालांकि, 10 अप्रैल को उन्हें दोबारा भर्ती करा दिया गया। इसके बाद वे घर नहीं लौट सके और इंतकाल के बाद उन्हें वर्सोवा के उसी कब्रिस्तान में दफनाया गया।
Hari Dutt Joshi/ Chief Editor
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