Unlock 1.0 में स्कूल खोलने का फैसला आत्मघाती होगा! 100% बढ़ेगा संक्रमण का खतरा

पैरेंट्स का मानना है कि देश में कोविड-19 (COVID-19) के संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में बच्चों के स्कूल (School) खोलने का फैसला खतरे को 100 फीसदी और बढ़ा देगा.

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नई दिल्ली. कोविड-19 (COVID-19) के दौर में अब सरकार ने देश में अनलॉक-1.0 (Unlock-1.0) शुरू किया है, जो 1 जून से 30 जून तक चलेगा. सरकार का जो नया फॉर्मूला है, उसके तहत इस दौरान कन्टेनमेंट जोन को छोड़कर शेष क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से छूट मिलेगी. अनलॉक 1.0 को चार फेज में बांटा गया है, जिसमें चरणबद्ध तरीके से सभी सर्विसेज को खोलने की घोषणा होगी.

दूसरे फेज में खोले जा सकते हैं स्कूल

इसके तहत फेज 2 में स्कूल, कॉलेज, शिक्षा संस्थान आदि को खोलने के लिए सभी संबंधित पक्षों से बात कर जुलाई में फैसला लिया जाएगा, लेकिन इस फैसले के आने से पहले ही पैरेंट्स का विरोध शुरू हो गया है. ऐसे में बच्चों के स्कूल खोलने का फैसला खतरे को 100 फीसदी और बढ़ा देगा. छूट देने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि लंबे समय तक देश को पूरी तरह से लॉकडाउन नहीं किया जा सकता. गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती बेरोजगारी, सबसे निपटने के लिए ज़िंदगी को धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अब सामान्य करना होगा.

जुलाई में स्कूल खोलने के विरोध में सोशल मीडिया में चल रहा है कैम्पेन
पैरेंट्स का मानना है कि देश में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में बच्चों के स्कूल खोलने का फैसला खतरे को 100 फीसदी और बढ़ा देगा. इस बाबत सोशल मीडिया और अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कैम्पेन भी चलाया जा रहा है. http://chng.it/kbQgRttD इसी कड़ी में ये लिंक सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जा रहा है, जिसमें ये अपील की जा रही है कि पैरेंट्स सरकार के इस फैसले का विरोध करें कि जुलाई में स्कूल खोला जाए. इसी क्रम में न्यूज़18 ने उन स्टेकहोल्डर्स से बात की जो स्कूल खोलने के फैसले से प्रभावित होंगे.

मनीषा सिंह बोलीं, छोटे बच्चे नहीं कर सकेंगे प्रोटोकॉल का पालन
दिल्ली निवासी मनीषा ने न्यूज़18 से कहा कि, जूनियर क्लास में बच्चों के लिए स्कूल खोलने का फैसला आत्मघाती होगा. दरअसल प्राइमरी से क्लास 5 तक के बच्चे काफी छोटे होते हैं. इतनी कम उम्र के बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो नहीं कर सकेंगे. वहीं स्कूल में किस चीज को छूकर कितनी बार वे हाथ धोते हैं ये निगरानी कर पाना स्कूल प्रशासन के लिए मुश्किल होगा. इसके साथ ही जो बच्चे स्कूल आ रहे हैं, उनके अभिभावक यदि संक्रमित होने की जानकारी अगर छुपा रहे हैं  और बच्चा स्कूल आ रहा है ऐसे में बच्चों में संक्रमण फैलने की रफ्तार की कल्पना की जा सकती है.

बड़े क्लास से करनी चाहिए स्कूल खोलने की शुरुआत: कुहू गांगुली

कुहू गांगुली जो दिल्ली के एल्कोन पब्लिक स्कूल में प्री- प्राइमरी विभाग की ऐकडेमिक इंचार्ज हैं, उनका कहना है कि कोरोना वायरस न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे देश की महामारी है. इससे बचने को लेकर सरकार अपनी तरफ से भरसक प्रयास कर रही है. जब महामारी होती है तो उससे क्षति होती है, लेकिन उससे जिंदगी रुकती नहीं है. न्यूज़18 से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, स्कूल खोलने की शुरुआत बड़े क्लास से 30% अटेंडेंस के साथ करनी चाहिए, क्योंकि बड़े बच्चे कोरोना के गाइडलाइन का पालन कर सकते हैं. वहीं जूनियर क्लास के बच्चों पर फैसला सभी स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद ही लिया जाना चाहिए. स्टेकहोल्डर्स में सरकार शैक्षणिक संस्थान, पैरेंट्स और बड़े क्लास के बच्चों की राय लेनी चाहिए.

स्कूल खोलने के फैसले को टालना चाहिए: डॉ. नवीन प्रकाश गुप्ता
दिल्ली के मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के पीडियाट्रिशियन (बाल रोग विशेषज्ञ) डॉ. नवीन प्रकाश गुप्ता का कहना है कि बच्चों की इम्युनिटी अच्छी होती है, इसलिए उनके बीमार होने की क्षमता कम होती है. वे भी एडल्ट की तरह कोरोना को फैलाने की उतनी ही क्षमता रखते हैं. अभी जब देश में कम्युनिटी स्प्रेड की खबरें आ रही हैं, ऐसे में स्कूल खोले जाने के फैसले को सरकार को टालना चाहिए. वहीं डॉ. नवीन ने यह भी कहा कि, बच्चों में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जंक फूड से दूर रखकर उन्हें हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन से भरपूर आहार देने की जरूरत है.

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