पाकिस्तान का डर्टी गेम: रेलवे कर्मचारी भी इंटेलीजेंस एजेंसियों के रडार पर, जासूसी मामले में पूछताछ के लिए तलब

खुफिया एजेंसियां जासूसों के मोबाइल फोन (Mobile Phone) को खंगाल कर डेटा और जानकारी ले चुकी हैं. साथ ही इन जासूसों के मूवमेंट की भी जानकारी जुटाई जा रही है.

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नई दिल्ली. पाकिस्तानी जासूस (Pakistani Spy) कांड में एक नया खुलासा हुआ है. भारतीय रेलवे (Indian Railway) के कुछ कर्मचारी भी आर्मी इंटेलीजेंस (MI), आईबी (IB) और स्पेशल सेल के रडार पर आ गए हैं. कुछ कर्मचारियों के पाकिस्तानी जासूसों के साथ मिले होने की आशंका जताई जा रही है. सोमवार को 3-4 कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है. इन कर्मचारियों से क्या जानकारी या डॉक्यूमेंटस लिए गए थे और कब-कब इनकी मुलाकात हुई थी, इस बाबत जानकारी ली जाएगी.

आशंका जताई जा रही है कि रेलवे के ये कर्मचारी मूवमेंट डिपार्टमेंट से जुड़े हो सकते हैं. रेलवे का यह डिपार्टमेंट ही सेना की यूनिट को ट्रेन से एक जगह से दूसरी जगह भेजने का काम करता है. जानकारी के मुताबिक, वैसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इन जासूसों के मोबाइल फोन (Mobile Phone) को खंगाल कर डेटा और जानकारी ले चुकी है. साथ ही इन जासूसों की मूवमेंट देश में कहां-कहां हुई, यह भी पता लगा लिया गया है.

MI ने जासूसों को पकड़ने के लिए ऐसे बिछाया जाल
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, ISI के कहने पर ये तीनों ही जासूस पाकिस्तानी हाई कमीशन में लगने वाले वीजा के तमाम डॉक्यूमेंट जैसे आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज के जरिये फर्जी नाम से SIM कार्ड जारी कराते थे. इसके बाद भारतीय सेना के छोटे रैंक के कर्मचारियों अधिकारियों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश भी करते थे.

कर्मचारियों पर नजर

MI और स्पेशल सेल ने पिछले महीने लगातार पाकिस्तान हाईकमीशन के इन दोनों कर्मचारियों और उनके ड्राइवर पर नजर बनाना शुरू किया और फिर रविवार की शाम करोल बाग इलाके में सुरक्षा एजेंसियों के एक अधिकारी ने भारतीय सेना का एक कर्मचारी बनकर आबिद और ताहिर से एक मीटिंग फिक्स की.

मौके पर पकड़े गए
प्लान के तहत भारतीय सेना के डमी कर्मचारी ने अपने लिए एक स्मार्ट फोन औऱ 15 हजार कैश की डिमांड की. जिसे देने जैसे ही पाकिस्तान हाईकमीशन का ड्राइवर जावेद, ताहिर और आबिद को लेकर करोल बाग पाकिस्तान हाईकमीशन की कार से पहुंचा, स्पेशल सेल ने तीनों को मौके से रंगे हाथ मोबाइल फोन और कैश के साथ हिरासत में ले लिया.

सेना के डमी कर्मचारी से तीनों पाकिस्तानी नागरिकों ने भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी में भारतीय सेना के हथियारों की खेप की जानकारी और सेना की तैनाती की जानकारी हासिल करने की डील की थी. जिसके बाद ही देश की सुरक्षा एजेंसियों और MI स्पेशल सेल को यह कामयाबी हासिल हुई है


भारत के खिलाफ साजिश / भारत ने जासूसी के आरोप में पाकिस्तान उच्चायोग के 2 अफसरों को निकाला, इस्लामाबाद में भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त को समन

नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने पाकिस्तानी दूतावास के दो अफसरों को रविवार को जासूसी करते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि जब वे एक व्यक्ति को पैसों का लालच देकर सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज ले रहे थे। दोनों जासूस दूतावास में वीजा असिस्टेंट के तौर पर काम करते हैं। आईएसआई के लिए जासूसी करते पकड़े जाने पर उन्होंने खुद को भारतीय नागरिक साबित करने की कोशिश की। उनके पास फर्जी आधार कार्ड, भारतीय मुद्रा और आईफोन मिले। उधर, पाकिस्तान ने भी मामले में भारतीय डिप्लोमैट को समन भेजा है।

भारत इनके खिलाफ डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल के तहत पर्सोना नॉन ग्राटा एक्शन लेगा। सामान्य तौर पर पर्सोना नॉन ग्राटा का अर्थ होता है कि ऐसा व्यक्ति जो किसी राजनयिक मिशन पर है और संबंधित देश (जिसमें वो तैनात है) में उसकी गतिविधियां गलत पाई गई हैं। भारत अब इन दोनों को पाकिस्तान वापस भेजेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों अफसरों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया। इनके नाम आबिद हुसैन और ताहिर खान हैं। दोनों ही आईएसआई के लिए काम करते थे। दोनों घूमने के लिए जाली पहचान पत्रों का इस्तेमाल भी करते थे।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
अफसरों की गिरफ्तारी के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘पाकिस्तान हाईकमीशन के दो अफसरों को नई दिल्ली में जासूसी करते पकड़ा गया है। भारत की जांच एजेंसियों ने यह कार्रवाई की है। सरकार ने इन्हें पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित करते हुए 24 घंटे में देश छोड़ने को कहा है। पाकिस्तान को एक डिमार्शे (कूटनीतिक मांग पत्र) भी सौंपा गया है। इसमें उसके अफसरों द्वारा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ किए जा रहे कामों पर सख्त विरोध दर्ज कराया गया है। पाकिस्तान से कहा गया है कि वो यह तय करे कि उसके अफसर राजनयिक नियमों के तहत जिम्मेदारी का परिचय दें।’

सपा सांसद का पीए गिरफ्तार किया गया था
अक्टूबर 2016 में सपा के पूर्व सांसद मुनव्वर सलीम के पीए मोहम्मद फरहत को गिरफ्तार किया गया था। उस पर पाकिस्तान उच्चायोग के इशारे पर जासूसी का आरोप था। इस मामले में कई और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था।


उच्चायोग का एक अफसर महमूद अख्तर इन लोगों को जासूसी के बदले पैसा देता था। आरोपियों के पास से गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए थे। भारत ने सख्त कार्रवाई करते हुए अख्तर को उसके देश वापस भेज दिया था। इसी दौरान जोधपुर से आईएसआई का एक एजेंट शोएब भी पुलिस के हत्थे चढ़ा था।

जासूसी कांड: Pak Army के जवान हैं दिल्ली में तैनात तीनों कर्मचारी
  • सेना में भर्ती होने के बाद 2013 से उन्हें उच्चआयोग में तैनात कर दिया गया था. जहां वो भारतीय सेना (Indian Army) से जुड़ी खुफिया जानकारियां हासिल करने में लगे हुए थे.

नई दिल्ली. आर्मी की मिलिट्री इंटेलीजेंस (MI), आईबी (IB) और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल लगातार पाकिस्तानी जासूस कांड (Spying Case) की परतें खोल रही हैं. इसी कड़ी में एक और खुलासा हुआ है. पाक उच्चआयोग में तैनात और रविवार को पकड़े गए तीनों कर्मचारी पाकिस्तान आर्मी (Pak Army) के जवान हैं. सेना में भर्ती होने के बाद 2013 से उन्हें उच्चआयोग में तैनात कर दिया गया था. जहां वो भारतीय सेना (Indian Army) से जुड़ी खुफिया जानकारियां हासिल करने में लगे हुए थे.

आईएसआई के सीक्रेट प्लान के दो को बतौर वीजा सेक्शन में तैनात किया गया तो एक ड्राइवर बन गया. यह लोग खुद को भारतीय सेना का क्लर्क बताकर सेना के दूसरे कर्मचारियों से मिलते थे. और खुद की पोस्टिंग दिल्ली स्थित भारतीय आर्मी के पोस्ट ऑफिस में बताते थे. प्लान को सफल बनाने के लिए आईएसआई हर महीने एक मोटी रकम इन तीनों को पहुंचाती थी. यह लोग देश के सभी संवेदनशील बोर्डर पर फोर्स की तैनाती और इंडियन आर्मी में हथियारों की खेप से जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल करना चाहते थे. यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह लोग भारतीय सेना के लोअर ग्रेड के कुछ जवानों के घर तक मे घुसपैठ कर चुके हैं.

MI ने जासूसों को पकड़ने के लिए ऐसे बिछाया जाल

MI और स्पेशल सेल ने पिछले महीने लगातार पाकिस्तान हाई कमीशन के इन दोनों कर्मचारियों और उनके ड्राइवर पर नजर बनाना शुरू किया और फिर रविवार की शाम करौल बाग इलाके में सुरक्षा एजेंसियों के एक अधिकारी ने भारतीय सेना का एक कर्मचारी बनकर आबिद और ताहिर से एक मीटिंग फिक्स की.

प्लान के तहत भारतीय सेना के डमी कर्मचारी ने अपने लिए एक स्मार्ट फोन औऱ 15 हजार कैश की डिमांड की. जिसे देने जैसे ही पाकिस्तान हाई कमीशन का ड्राइवर जावेद, ताहिर और आबिद को लेकर करोल बाग पाकिस्तान हाई कमीशन की कार से पहुचा. स्पेशल सेल ने तीनों को मौके से रंगे हाथ मोबाइल फोन और कैश के साथ हिरासत में ले लिया.

डमी सेना के कर्मचारी से तीनो पाकिस्तान नागरिकों ने भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी में भारतीय सेना के हथियारों की खेप की जानकारी और सेना की तैनाती की जानकारी हासिल करने की डील की थी.

भारतीय रेलवे के कर्मचारी भी हो सकते हैं शामिल

भारतीय रेलवे के कुछ कर्मचारी भी आर्मी इंटेलीजेंस, आईबी और स्पेशल सेल के रडार पर आ गए हैं. कुछ कर्मचारियों के पाकिस्तानी जासूसों के साथ मिले होने की आशंका जताई जा रही है. सोमवार को 3 से 4 कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है. इन कर्मचारियों से क्या जानकारी या डॉक्यूमेंटस लिए गए थे और कब कब इनकी मुलाकात हुई थी यह पूछताछ हो सकती है.

ऐसी आशंका जताई जा रही है कि रेलवे के यह कर्मचारी मूवमेंट डिपार्टमेंट से जुड़े हो सकते हैं. रेलवे का यह डिपार्टमेंट ही सेना की यूनिट को ट्रेन से एक जगह से दूसरी जगह भेजने का काम करती है. वैसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इन जासूसों के मोबाइल फोनों को खंगाल कर डेटा और जानकारी ले चुकी है. साथ ही इन जासूसों की मूवमेंट इंडिया में कहां कहां हुई यह भी पता लगा लिया गया है.

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