उत्तर प्रदेश / प्रियंका गांधी का भाजपा पर तंज, कहा- महाराष्ट्र महामारी से जूझ रहा है और एक पार्टी वहां की सरकार गिराने में जुटी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गरीबों के खाते में दस हजार रुपए डालने की मांग की उन्होंने कहा- यूपी में मजदूरों और प्रवासियों के लिए 12 हजार बसें कागजों पर चल रहीं, सड़कों पर उतारा नहीं गया
लखनऊ. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गुरुवार को वीडियो जारी किया। इसमें भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है। प्रियंका ने कहा- ‘ये वो दौर है जब सभी राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं को आपसी मतभेद भुलाकर आगे आना चाहिए और मिलकर काम करना चाहिए। यूपी में आपने (भाजपा) हमारी एक हजार बसों को नकार दिया। कोई बात नहीं। मैंने कहा था कि आप बसों पर अपने बैनर पोस्टर लगा लीजिए। हमें उससे कोई परहेज नहीं था। 12 हजार बसों को चलाने का दावा किया, लेकिन वे सिर्फ कागज पर चल रही हैं। सड़कों पर उतारा ही नहीं। महाराष्ट्र की सरकार को देखिए। वहां महामारी का भयंकर रूप है। लेकिन, आप महाराष्ट्र की सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। अस्थिर करने में जुटे हैं।”
प्रियंका ने केंद्र सरकार से चार मांग की है। उन्होंने कहा, ‘आज देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता उन लोगों के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं, जो कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। दस हजार रुपए हर जरूरतमंद के एकाउंट में डाले जाएं। दूसरी मांग यह है कि अगले छह माह के लिए प्रतिमाह साढ़े सात हजार रुपए हर जरूरतमंद के खाते में भेजा जाए। उन प्रवासियों के लिए जो घरों में पहुंचे हैं, उन्हें मनरेगा के तहत 100 से 200 दिन की मजदूरी बढ़ाई जाए। दो माह से छोटे व्यापारियों के पास कोई उद्योग नहीं है। उनकी मदद के लिए वित्तीय पैकेज दें, जिससे वे कर्जदार न हो सकें। उनके हाथों में पैसे आए, जिससे वे इस मुश्किल दौर में अपना गुजारा कर सकें।
‘देश की जनता दुखी, आप मौन हैं’
- प्रियंका ने कहा, “मैं खास एक आग्रह करना चाहती हूं सभी राजनीतिक पार्टियों से, खासकर भाजपा के नेताओं से। राजनीति बंद करिए, ये राजनीति का समय नहीं है। ये वो दौर है जब सभी राजनेताओं को एकजुट होना चाहिए। अपने राजनीतिक विचाराधारा, मतभेदों को भुलाकर हमें सभी की मदद करनी है। ये सहयोग का समय है।”
- उन्होंने कहा, “एक बेटा खुद बैल बनकर बैलगाड़ी में परिवार को बैठाकर चल रहा है। एक बेटी अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर 600 किमी साइकिल चल रही है। श्रमिक ट्रेनों में मजदूरों की लाशें पड़ी हैं। एक बच्चे का दम अपने पिता की गोद में टूट रहा है। एक मां की लाश रेलवे के प्लेटफार्म पर पड़ी है, उसका बच्चा उसे जगाने की कोशिश कर रहा है। एक देश की एक एक मां उस दृश्य को देख रही है। एक एक मां रो रही है, उस दृश्य के साथ उसकी भावनाएं जुड़ी हैं। हमारी भारत माता रो रही है, लेकिन आप मौन हैं।’