चीन के सीमा विवाद बढ़ाने के 3 कारण, भारत के पास जवाब देने के ये हैं वि‍कल्प

चीन और भारत (India China) ने लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने-अपने सैनिकों की संख्‍या भी बढ़ा दी है.

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नई दिल्‍ली. चीन (China) की ओर से लद्दाख (Ladakh) में भारतीय जमीन पर अतिक्रमण करने के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव चल रहा है. चीन और भारत (India China) ने लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपने-अपने सैनिकों की संख्‍या भी बढ़ा दी है. इस बीच अमेरिका ने भी चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए मध्‍यस्‍थता कराने का प्रस्‍ताव दिया है. चीन की ओर से सीमा विवाद बढ़ाने के पीछे 3 कारण हैं. साथ ही भारत के पास भी कुछ रास्‍ते हैं इसका जवाब देने के लिए.

सबसे पहले, कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPC) के कमिसार और उनके बॉस चीन में विरोधी शासन की भावनाओं के बारे में पर्याप्त रूप से चिंतित हैं. यह हर बार अरब पैलेस की ओर से हर बार फलस्तीन के लिए समर्थन की घोषणा करने जैसा है जब अरब की सड़कों पर घरेलू मुद्दों पर असंतोष और असंतोष व्यक्त करेगा.

चीन दुनिया के दूसरे हिस्‍सों में अपने मिशन को आक्रामक रूप से उतारता है. लेकिन भारत के साथ वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के हिस्‍से की जब बात आती है तो चीन वहां अपने सैनिक भेजता है और भारतीय क्षेत्र में टेंट लगाता है. ये दोनों ही काम कम लागत में हो जाते हैं.

दूसरा कारण यह है कि चीन में शी जिनपिंग का शासन चीन के ‘वुहान वायरस’ के कारण किसी भी कीमत पर लड़खड़ाना नहीं चाहता. सीपीसी एक मजबूत नेता से अपनी शक्ति और अधिकार प्राप्त करती है. चाहे जो भी हो, शी जिनपिंग को राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक रूप से विश्व में अपना वर्चस्व बनाने के अपने लक्ष्य के लिए अग्रणी चीन में अखंड और मजबूत होने के रूप में आगे बढ़ना चाहिए.

भूटान में डोकलाम में चीनी घुसपैठ की तरह लद्दाख में घुसपैठ की योजना बनाने और उसे अंजाम देने वाले को कोई नहीं जानता. लेकिन चीन के भीतर और उससे परे यह संकेत देता है कि कोविड -19 अन्य देशों की राजधानियों के लिए भी एक बाधा और डराने जैसा साबित हो सकता है. बीजिंग अब भी कोविड 19 से अप्रभावित और भय से दूर है.

तीसरा, यह बीजिंग से नई दिल्ली के लिए एक संदेश है कि पीछे हटो और दूर रहो, कोविड 19 महामारी के कारण उत्‍पन्‍न हुई लड़ाई में मत पड़ो, भारत कोविड 19 महामारी के समय में दुनिया के लिए आपूर्ति चेन बनने की कोशिश न करें, चीन में मौजूद मैन्‍यूफैक्‍चरर्स यूनिट को बहकाना बंद करे, यह बेशक एक झांसा है और भारत की शांत, स्थिर और समझदार प्रतिक्रिया ने केवल एक धमकाने वाले की खीझ बढ़ाने का काम किया.

अब भारत को कैसे चीन को जवाब देना चाहिए? चीन पर नजर रखने वालों और विश्लेषकों ने एक कड़ी रेखा का आह्वान किया है. लेकिन कोविड-19 महामारी के समय किसी भी रूप में संघर्ष आगे बढ़ाना अच्‍छा विकल्‍प नहीं है. भारत व्याकुलता या लागत को बर्दाश्त नहीं कर सकता. इसी समय, संधि पत्र भी अस्वीकार्य है, क्योंकि भारत ने पहले भी इसी तरह के चीनी हरकतों को मजबूती से झेला है. हाल ही में डोकलाम में ऐसा ही देखने को मिला था. भारत के साथ उन सभी देशों को रणनीतिक प्रतिक्रिया देनी चाहिए जो चीन की आलोचना करते हैं.

भारत को एलएसी पर चीनी सैनिकों की तैनाती के समान अपने क्षेत्र की रक्षा करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के साथ एक सैन्य प्रतिक्रिया देनी होगी. भारत को कानून में संशोधन के जरिये राजनीतिक प्रतिक्रिया देनी चाहिए. चीनी वस्तुओं, सेवाओं और चीनी निवेश को रोना चाहिए. चीन के साथ बातचीत में भारत की उलझाने वाली कूटनीतिक प्रतिक्रिया होनी चाहिए, फिर चाहे चीन कितना भी अप्रिय या तर्कहीन क्यों न हो.

 

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