जालंधर में बड़ी लापरवाही / 4 लोगों का सैंपल लेकर उन्हें भूल गए, महीनेभर तक सभी शहर में खुलेआम घूमते रहे, अब पता चला चारों कोरोना पॉजिटिव थे

20 से 30 अप्रैल में लिए कुछ सैंपल्स का विभाग के पास डेटा नहीं आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक जालंधर में दिखाए गए केस से 4 ज्यादा पॉजिटिव

जालंधर. कोरोनावायरस के संक्रमित मरीजों की कुल गिनती को लेकर सिविल सर्जन दफ्तर और दफ्तर के स्पोक्स पर्सन की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल आईसीएमआर की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि अप्रैल में जिले से लिए गए सैंपलों में 4 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, लेकिन विभाग के पास इन मरीजों का कोई डेटा ही नहीं है और न ही इन मरीजों को अस्पताल में शिफ्ट किया गया था।

गुरुवार तक इन मरीजों की सैंपलों की रिपोर्ट विभाग के पास पेंडिंग ही नजर आ रही थी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन मरीजों के सैंपल तो लिए गए थे, लेकिन मरीजों की रिपोर्ट लेबोरेट्री की तरफ से उन्हें प्राप्त नहीं हुई। वहीं पीजीआई लेबोरेट्री के अधिकारियों ने विभाग को तर्क दिया है कि उनकी तरफ से रिपोर्ट विभाग भेजी गई थी।

दरअसल यह खुलासा आईसीएमआर की रिपोर्ट में तब हुआ, जब आईसीएमआर ने स्टेट हेल्थ विभाग के डेटा के साथ जालंधर जिले से आए सैंपलों की रिपोर्ट को मैच किया। इसमें 7 मरीज ऐसे थे, जो अप्रैल के ही महीने में संक्रमित पाए गए थे। इनमें से 4 मरीज जालंधर के थे और 3 मरीजों के सैंपल बाहरी राज्यों में हुए थे लेकिन वे जालंधर से संबंधित हैं, जिनकी रिपोर्ट स्टेट के पास भी नहीं है। सबसे बड़ी बात सामने आ रही है कि आईसीएमआर का डेटा स्टेट के साथ और स्टेट हेल्थ विभाग का डेटा जिलों के साथ मैच नहीं कर रहा।

संक्रमित बस्ती शेख, बेगमपुरा, न्यू रसीला नगर और संतोखपुरा एरिया के रहने वाले

जिन संक्रमित मरीजों की पुष्टि आईसीएमआर ने की है, उनके सैंपल सेहत विभाग की तरफ से 20 अप्रैल को लिए गए थे। जबकि विभाग के खाते में इन मरीजों की रिपोर्ट 20 मई तक पेंडिंग ही चल रही थी। आईसीएमआर ने जिन मरीजों की रिपोर्ट पीजीआई लेबोरेट्री के जरिये भेजी है, वे संतोखपुरा, बस्ती शेख बेगमपुरा और न्यू रसीला नगर के ही रहने वाले हैं। इन इलाकों में 3 से अधिक संक्रमित मरीज मिले थे और यह एरिया काफी देर तक हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन में ही रहे हैं। यह मरीज भी संक्रमित मरीजों के क्लोज कांटेक्ट थे और सैंपलिंग के बाद ही इन मरीजों की रिपोर्ट विभाग के पास भेज दी गई थी। बता दें कि सैंपल्स की रिपोर्टिंग लेबोरेट्री से 24 घंटे होती है लेकिन विभाग की लापरवाही है कि जो रिपोर्ट शाम में आती है, उन मरीजों को अगले दिन सिविल अस्पताल लाया जाता है। अधिकारियों का तर्क है कि रात के समय मरीजों को अस्पताल लाने में काफी दिक्कत होती है।

विभाग का तर्क…आईसीएमआर के डेटा में रिपीट सैंपल शामिल

अप्रैल में मरीजों के सैंपल लेने के बाद विभाग ने उनके दोबारा सैंपल लिए थे। विभाग का तर्क था कि सैंपल सही नहीं लिए गए थे। वहीं जांच में पता चला था कि विभाग को 50 से अधिक सैंपलों के बारे में पता ही नहीं था कि सैंपल अमृतसर, फरीदकोट, पटियाला या पीजीआई की लैब में भेजे थे। अब स्टेट की रिपोर्ट की बात की जाए तो जालंधर जिले के 233 से अधिक संक्रमित मरीज हैं, लेकिन विभाग ने स्टेट के अफसरों को स्पष्टीकरण देते कहा है कि उनके पास कुछ मरीजों की रिपोर्ट नहीं है लेकिन स्टेट की रिपोर्ट में कुछ संक्रमित मरीजों की पॉजिटिव रिपोर्ट में आंकड़ों में दोहराई गई है।

अब दूसरे जिले के मरीज भी जालंधर से जोड़े

शुक्रवार रात जिन 3 मरीजों की पुष्टि सिविल सर्जन दफ्तर के स्पोक्स पर्सन डॉ. टीपी सिंह ने की है, उनमें से एक सिविल अस्पताल और दूसरा श्रीमन अस्पताल से संबधित है। ये दूसरे शहर के रहने वाले हैं। शनिवार को मीडिया रिपोर्ट में बाकायदा उन मरीजों को शामिल किया गया है और अन्य जिले से संबंधित बताया गया है। लेकिन बड़ा सवाल है कि पहले भी कुछ मरीज जालंधर के सिविल अस्पताल में दाखिल थे, जो दूसरे शहरों से संबंधित थे। उन्हें जालंधर में क्यों नहीं जोड़ा गया। अब विभाग की तरफ से पुराने संक्रमित मरीजों को जोड़ा जा रहा है ताकि किसी मामला रफा-दफा किया जा सके।

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