चंडीगढ़. चीफ सेक्रेटरी और मंत्रियों के बीच हुए विवाद में नया मोड़ आ गया है। मंत्रियों का खेमा दो गुटों में बंट चुका है। सोमवार को सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को मंत्रियों के साथ वीसी करनी थी। इसमें चीफ सेक्रेटरी करन अवतार सिंह भी शामिल हुए। कैप्टन को लेकर कुल 17 मंत्री हैं लेकिन सीएस के शामिल होने की वजह से केवल 3 मंत्री (भारतभूषण आशू, बलबीर सिद्धू और ओपी सोनी) ही शामिल हुए। हालांकि, वित्त मंत्री मनप्रीत बादल का वीसी अटेंड न करना समझ में आता है क्योंकि उनके पिता का हाल ही में निधन हुआ है। इनके अलावा बाकी मंत्रियों ने भी वीसी अटेंड नहीं की।
पूरी मीटिंग सीएस की मौजूदगी में ही हुई लेकिन किसी मंत्री ने उनको लेकर कोई एतराज भी नहीं जताया। इसलिए यह कहा जा सकता कि अब मंत्री सीएस को लेकर आपस में बंटे हुए हैं, पहले कुछ मंत्रियों ने केवल उस वक्त मौके की नजाकत को समझते हुए अपने सहयोगियों का साथ दिया था। उनका सीएस से कोई विरोध नहीं है। दरअसल, शराब की पॉलिसी को लेकर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल, तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी और मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा चीफ सेक्रटरी के खिलाफ हो गए थे। बाकी मंत्रियों ने भी उनका साथ दिया था। तब से विवाद चल रहा है।
वीसी अटेंड न करने वाले मंत्री बोले- हमारे डिपार्टमेंट से जुड़ा एजेंडा नहीं था
पिछले दिनों वित्तमंत्री मनप्रीत बादल के पिता गुरदास बादल का निधन हाे गया था। इसलिए वे सीएम की मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए। उनका न शामिल हो पाना लाजिमी है। वहीं, विरोध जताने वालों में मुख्य भूमिका निभा रहे तकनीकी शिक्षा मंत्री व सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मीटिंग में नहीं आए। सूत्रों से पता चला है कि ये सभी मंत्री अपने स्टैंड पर कायम हैं। इसलिए सीएस के विरोध पर इनका अलग गुट है। कोई मंत्री खुलकर ये नहीं कह रहा कि वे सीएस के शामिल होने के चलते कैप्टन की वीसी में शामिल नहीं हुए लेकिन मामला वही है। हालांकि जो मंत्री वीसी में शामिल नहीं हुए उन सबका इस मामले में सुर एक ही है कि उनके विभाग का एजेंडा सीएम की वीसी में शामिल नहीं था इसलिए नहीं वीसी अटेंड नहीं की।
मान-मनौव्ल: दोनों गुटों से मिलेंगे कैप्टन
कैप्टन जल्द सभी मंत्रियों को आमने-सामने बिठाकर बात करेंगे। क्योंकि मंत्रियों के ठोस विरोध के बावजूद सीएम ने अभी तक सीएस करन अवतार सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे यह भी माना जा रहा है कि सीएम भी सीएस को लेकर किसी प्रकार से नाराज नहीं है। वहीं, उधर मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के बीच विवाद का भी अभी कोई हल नहीं निकला है।
घोटाले में मंत्री फंस सकते हैं, इसलिए एक्शन नहीं हाे रहा : चीमा
विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार के मंत्रियों ने इतने दिनों से शराब रेवेन्यू घोटाले को लेकर शोर मचा रखा है, लेकिन सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है। जब यह स्पष्ट हो चुका है कि शराब से मिलने वाले रेवेन्यू में 3600 करोड़ का घोटाला हुआ है तो सरकार आखिर इस जनता के पैसे की जांच पर क्यों चुपी साधे बैठी है। इससे यह लगता है कि सरकार के मंत्री ही इसमें शामिल हैं। इसलिए सरकार इस पर कोई भी एक्शन लेने से बच रही है। हमारी सरकार से मांग है कि सरकार इसके लिए एक विशेष टीम बनाकर इस घोटाले की तुरंत जांच कराए ताकि जनता के पैसे का हिसाब मिल सके।
सवाल, 3 साल में आबकारी आय में कितने करोड़ का हुआ घाटा
वरिष्ठ अकाली नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से सवाल कि वह बताएं कि अवैध शराब का कारखाना चलाने के दोषी कांग्रेसी विधायकों मदन लाल जलालपुर तथा हरदयाल सिंह कंबोज पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? इसके अलावा पिछले 3 साल में राज्य को आबकारी आय में पड़े घाटों के बारे में ईमानदारी से बताएं। दुख की बात है कि मदन लाल जलालपुर ने खुद स्वीकारा है कि नकली शराब का कारखाना चला रहा सरपंच उसका सहयोगी है और हरदयाल कंबोज का विश्वासपात्र है। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नही की गई।