योगी vs प्रियंका: बसों को लेकर क्यों भिड़ी हुईं हैं BJP-कांग्रेस, जानिए पूरा विवाद क्या है

योगी vs प्रियंका: प्रियंका गांधी के निजी सचिव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई नेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया गया. जानें आखिरी ये पूरा विवाद क्या है?

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लखनऊदेश में कोरोना वायरस के प्रकोप और जारी लॉकडाउन के बीच सबसे ज्यादा मुसीबतें प्रवासी मजदूर झेल रहे हैं. प्रवासी मजदूरों को बसों से उनके घर पहुंचाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच पिछले कई दिनों से खूब राजनीति हो रही है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आपस में भिड़ी हुई हैं. विवाद इतना बढ़ा कि प्रियंका गांधी के निजी सचिव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई नेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया गया. जानें आखिरी ये पूरा विवाद क्या है?

 

प्रियंका ने की पेशकश, यूपी सरकार ने स्वीकार की

 

दरअसल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 16 मई को पेशकश की थी कि अपने घरों को पैदल और साइकिल से जा रहे प्रवासी मजदूरों और कामगारों के लिए उत्तर प्रदेश की सीमा पर कांग्रेस 1000 बसें मुहैया कराएगी. प्रियंका गांधी की इस पेशकश को योगी सरकार ने स्वीकार कर लिया और कांग्रेस से कहा कि वह बसों, उसके ड्राइवरों और कंडक्टरों की सूची सौंपे.

 

खाली बसें लखनऊ भेजना अमानवीय- कांग्रेस

 

इसके बाद विवाद बढ़ा और कांग्रेस ने दावा किया कि प्रियंका गांधी के निजी सचिव द्वारा सोमवार रात 11 बजकर 40 मिनट पर रिसीव किए गए ईमेल में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि वह मंगलवार दस बजे तक बसों को लखनऊ भेज दें. इसके बाद कांग्रेस ने यूपी सरकार से कहा, ‘’जब हजारों श्रमिक यूपी की सीमाओं पर एकत्र हैं, तो ऐसे में खाली बसें लखनऊ भेजना अमानवीय है और यह गरीब विरोधी मानसिकता का परिचायक है. आपकी सरकार की ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है.’’ कांग्रेस ने कहा कि बसें राजस्थान-यूपी सीमा पर खड़ी हैं और आगरा जिले में प्रवेश की अनुमति का इंतजार कर रही हैं.

 

सरकार ने कांग्रेस से 500 बस गाजियाबाद-500 बस नोएडा में देने को कहा

 

इस पर उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने जवाब दिया कि बसों को सीमा पर ही लाने की अनुमति दी जाती है. उन्होंने कांग्रेस से कहा, ‘’19 मई के पत्र में आपने लखनऊ में बसें मुहैया कराने में असमर्थता जतायी है और आप उन्हें गाजियाबाद और नोएडा में देना चाहते हैं. 500 बसें कौशाम्बी और साहिबाबाद बस स्टैंड पर पहुंचा दें, जहां गाजियाबाद के जिलाधिकारी उन्हें अपने पास ले लेंगे और बाकी बसें गौतम बुद्ध नगर में एक्सपो मार्ट के निकट लगवा दें और वहां के जिलाधिकारी को सौंप दें.

 

इसके बाद यूपी सरकार ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों और कामगारों को ले जाने के लिए जिन 1000 बसों की पेशकश की है, उनमें से कई पंजीकरण नंबर दोपहिया, तीन पहिया और कारों के हैं. इसके बाद बसों को लेकर विवाद उठ खडा हुआ.

 

इस बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने टवीट कर कहा कि झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करना कांग्रेस पार्टी के डीएनए में है और बस घोटाला कांग्रेस के घोटालों में नयी कड़ी है. कांग्रेस बसों के नाम पर आटो रिक्शा और मोटरसाइकिलों का ब्यौरा देकर मजदूरों का मजाक बना रही है. कांग्रेस अपनी ही चाल में फंस गयी है. बसों की सूची में भी घोटाला है.

 

विवाद में अखिलेश-मायावती भी कूदे

 

बीजेपी-कांग्रेस के इस विवाद में सपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी कूद गए. अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आम जनता हैरत में है कि राज्य सरकार फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए हजारों बसों का उपयोग क्यों नहीं कर रही है. वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि अगर कांग्रेस के पास 1000 बसें हैं तो उसे उन्हें लखनउ भेज देना चाहिए, जहां बड़ी संख्या में लोग घर जाने का इंतजार कर रहे हैं.

 

प्रियंका के निजी सचिव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर मामला दर्ज

 

सरकार ने बसों के गलत नम्बरों के मामले में देर शाम प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में परिवहन अधिकारी आरपी त्रिवेदी की शिकायत पर राजधानी स्थित हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया.

 

कांग्रेस ने देर शाम एक बयान में बताया कि कल ही बसों को अनुमति देने वाली राज्य सरकार ने सीमा पर पहुंचने के बाद बसों को आगे नहीं ले जाने दिया. इसे लेकर दिन भरी चली तनातनी के बाद आगरा पुलिस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं प्रदीप माथुर और विवेक बंसल को हिरासत में ले लिया. मजदूरों को ले जाने के लिये लगभग 700 बसें राजस्थान से लायी गयी थीं. ये बसें गाजियाबाद और नोएडा जानी थीं, मगर अनुमति नहीं मिलने पर वे वापस चली गयीं.

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