चीन के वैज्ञानिक का दावा-बिना वैक्सीन खत्म हो सकेगी कोरोना वायरस की महामारी

चीन (China) में एक लैबोरेट्री में ऐसी दवा विकसित की जा रही है जिसके बारे में दावा किया है कि कोरोनावायरस महामारी को बिना किसी वैक्सीन के रोक सकती है.

0 1,000,303

बीजिंग. चीन (China) में एक लैबोरेट्री में ऐसी दवा विकसित की जा रही है जिसके बारे में दावा किया है कि कोरोनावायरस महामारी को रोक सकती है.  वैज्ञानिकों को दावा है कि बिना वैक्सीन के कोरोना का इलाज संभव हो सकता है. दुनिया भर में फैलने से पहले पिछले साल के अंत में चीन में इसका प्रकोप सामने आया था, जिसके बाद इसके इलाज और वैक्सीन खोजने के लिए दुनिया भर के देश लग गए. शोधकर्ताओं का कहना है चीन के प्रतिष्ठित पेकिंग विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों द्वारा ट्रायल की जा रही एक दवा न केवल संक्रमित लोगों के लिए रिवकरिंग समय को कम कर सकती है, बल्कि वायरस से शॉर्ट टर्म इम्यूनिटी भी दे सकती है.

यूनिवर्सिटी के बीजिंग एडवांस्ड इनोवेशन सेंटर फॉर जीनोमिक्स के निदेशक सुनीनी झी ने एएफपी को बताया कि ट्रायल फेज में दवा पशु पर सफल रही है. झी ने बताया कि ‘जब हमने संक्रमित चूहों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज को इंजेक्ट किया, तो पांच दिनों के बाद वायरल लोड 2,500 के कारक से कम हो गया.’ इसका मतलब है कि इस संभावित दवा का चिकित्सीय प्रभाव है.’

 बीमारी का संभावित ‘इलाज’ और रिकवर होने का समय कम

दवा वायरस को संक्रमित करने वाली कोशिकाओं को रोकने के लिए मानव प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एंटीबॉडीज को बेअसर करने वाले एंटीबॉडी का उपयोग करती है – जिसे झी की टीम ने 60 मरीजों के ब्लड से अलग किया. साइंटिस्ट जर्नल सेल में रविवार को प्रकाशित टीम के शोध पर एक अध्ययन में बताया गया है कि कि एंटीबॉडी का उपयोग करने से बीमारी का संभावित ‘इलाज’ होता है और रिकवर होने का समय कम हो जाता है.

झी ने कहा कि उनकी टीम एंटीबॉडी के लिए ‘दिन और रात’ काम कर रही थी. कहा कि ‘हमारी विशेषज्ञता इम्यूनिटी साइंट या वायरस साइंस के बजाय सिंगल सेल जीनोमिक्स है. जब हमने महसूस किया कि सिंगल सेल जीनोमिक प्रभावी हो सकता है तो हम रोमांच से भर उठे.’  उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दवा इस साल के अंत में और किसी भी ठंड के मौसम में वायरस के संभावित प्रकोप का सामना करने के लिए तैयार हो जाएगी.

दवा वायरस को संक्रमित करने वाली कोशिकाओं को रोकने के लिए मानव प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एंटीबॉडीज को बेअसर करने वाले एंटीबॉडी का उपयोग करती है – जिसे झी की टीम ने 60 मरीजों के ब्लड से अलग किया. साइंटिस्ट जर्नल सेल में रविवार को प्रकाशित टीम के शोध पर एक अध्ययन में बताया गया है कि कि एंटीबॉडी का उपयोग करने से बीमारी का संभावित ‘इलाज’ होता है और रिकवर होने का समय कम हो जाता है.

झी ने कहा कि उनकी टीम एंटीबॉडी के लिए ‘दिन और रात’ काम कर रही थी. कहा कि ‘हमारी विशेषज्ञता इम्यूनिटी साइंट या वायरस साइंस के बजाय सिंगल सेल जीनोमिक्स है. जब हमने महसूस किया कि सिंगल सेल जीनोमिक प्रभावी हो सकता है तो हम रोमांच से भर उठे.’  उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दवा इस साल के अंत में और किसी भी ठंड के मौसम में वायरस के संभावित प्रकोप का सामना करने के लिए तैयार हो जाएगी.

झी ने कहा ‘ट्रायल के लिए क्लिनिकल टेस्टिंग की योजना चल रही है. इसे ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में किया जाएगा क्योंकि चीन में मामले कम हो गए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि ये न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज एक विशेष दवा बन सकती है, जो महामारी को रोक सकती है.’ एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि चीन में पहले से ही ह्यूमन ट्रायल में पांच संभावित कोरोनावायरस टीके हैं. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि एक टीका विकसित करने में 12 से 18 महीने लग सकते हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.