WHO एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयरमैन होंगे डॉ. हर्षवर्धन, 22 मई को संभालेंगे नई जिम्मेदारी

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Dr. Harshvardhan) के नाम पर 94 देशों की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में निर्विरोध फैसला हुआ. इससे पहले WHO के साउथ-ईस्ट एशिया ग्रुप ने तीन साल के लिए भारत को बोर्ड मेंबर्स में शामिल करने पर सहमति जताई थी.

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नई दिल्ली. देश में कोरोना संकट (Coronavirus Crisis) बीच विश्व में भारत का मान बढ़ा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Dr. Harshvardhan) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयरमैन चुने गए हैं. हर्षवर्धन 22 मई को नई जिम्मेदारियां संभालेंगे. वे जापान के डॉ. हिरोकी नकतानी की जगह लेंगे.

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, मंगलवार को भारत की ओर से दाखिल हर्षवर्धन के नाम पर 94 देशों की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में निर्विरोध फैसला हुआ. इससे पहले WHO के साउथ-ईस्ट एशिया ग्रुप ने तीन साल के लिए भारत को बोर्ड मेंबर्स में शामिल करने पर सहमति जताई थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन का पद कई देशों के अलग-अलग ग्रुप में एक-एक साल के हिसाब से दिया जाता है. पिछले साल तय हुआ था कि अगले एक साल के लिए यह पद भारत के पास रहेगा. चैयरमैन बनने के बाद डॉ. हर्षवर्धन एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे. बता दें कि यह मीटिंग साल में दो बार जनवरी और मई के आखिर में होती है.

1993 में पहली बार बने विधायक
बचपन से ही दक्षिणपंथी हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे डॉ. हर्षवर्धन अपनी ईमानदार छवि के लिए भारतीय जनता पार्टी की पसंद हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 1993 में कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए और दिल्ली की पहली विधानसभा के सदस्य बने.

पोलियो कार्यक्रम की सफलता के लिए बराक ओबामा ने की थी तारीफ
इन्हें दिल्ली की सरकार में कानून और स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया. राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अक्टूबर 1994 में पोलियो उन्मूलन योजना का शुभारंभ किया. ये कार्यक्रम सफल रहा, जिसके बाद इसे भारत सरकार द्वारा पूरे देश में अपनाया गया. पोलियो कार्यक्रम की कामयाबी पर हर्षवर्धन को विश्व स्वस्थ्य संगठन से भी सम्मान प्राप्त हो चुका है. इसी उपलब्धि के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी हर्षवर्धन की तारीफ कर चुके हैं.

फिलहाल हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं और कोरोना संकट से निपटने में पूरी लगन के साथ जुटे हुए हैं.

नाक, कान और गले के रोगों के स्पेशलिस्ट हैं डॉ. हर्षवर्धन
डॉ. हर्षवर्धन मूल रूप से दिल्ली के निवासी हैं. इन्होंने एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दरियागंज से 1971 में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की. एमबीबीएस, एमएस, डॉ. हर्षवर्धन पेशे से एक नाक, कान और गले के रोगों के डॉक्टर हैं. उनकी पत्नी का नाम नूतन है और तीन बच्चे हैं. बेटों के नाम मयंकभरत, सचिन और एक बेटी इनाक्षी है. बड़े बेटे डॉ. मयंक भारत ने भी एमबीबीएस किया है.

 

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