महज 8 दिनों में अंतरिक्ष से धरती पर गिरा दूसरा रॉकेट, चीन के स्पेस मिशन को लगा धक्का
7 मई को रूस का एक रॉकेट हिंद महासागर में टुकड़ों के रूप में गिरा था। अब चीन का रॉकेट भी बिखकर अटलांटिक सागर में जा गिरा है। ...
वाशिंगटन। स्पेस में कुछ दिनों के अंतराल में दूसरी बड़ी घटना सामने आई है। ये घटना चीन के लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट के खराब होकर कई टुकड़ों में बंटजाने और फिर पृथ्वी पर गिरने की है। इससे पहले रूस का एक रॉकेट फ्रेगैट-एसबी (Fregat-SB) 8 मई को स्पेस में 65 टुकड़ों में बिखर गया था। इसके कुछ टुकड़े संभावित तौर पर हिंद महासागर में गिरे थे जिनकी तलाश का काम अमेरिका की US18 स्पेस कंट्रोल स्क्वाड्रन कर रही है। आपको बता दें कि इस रॉकेट का संपर्क कंट्रोल रूम से वर्ष 2019 में ही टूट गया था।
अब चीन के रॉकेट के इस तरह से टूटकर बिखर जाने की घटना ने स्पेस से जुड़े वैज्ञानिकों के मन में कहीं न कहीं चिंता की लकीर जरूर खींच दी है। वहीं इसकी वजह चीन के स्पेस प्रोग्राम को भी धक्का लगा है। फ्रेगैट-एसबी और लॉन्ग मार्च 5बी के टूटने की घटनाओं में एक चीज समानतौर पर दिखाई दी। फ्रेगैट-एसबी के टूटकर बिखरने का पता भी वैज्ञानिकों को अंतिम समय में लगा था वहीं चीन के रॉकेट के टूटकर बिखरने और इसके अमेरिका के ऊपर से गुजरने की भी जानकारी वैज्ञानिकों को आखिरी समय में ही लग सकी।
आपको बता दें कि चीन ने इस रॉकेट को 5 मई को दक्षिणी चीन के हैनान द्वीप पर वेनचांग सेंटर से लॉन्च किया था। ये उस वक्त लॉन्च किया गया था जब पूरी दुनिया कोरोना के प्रकोप से जकड़ी हुई थी। इस लॉन्च को अंजाम देकर चीन ने पूरी दुनिय को अपनी उस ताकत का अहसास करवाने की कोशिश की थी जिसके जरिए वह बताना चाहता था कि कोरोना से मुक्ति के बाद अब वो तेजी से अपने कदम विकास की तरफ बढ़ा रहा है। ये इस बात का भी संकेत था कि चीन दुनिया के दूसरे विकसित देशों से कहीं आगे है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन ने इस लॉन्च के आसपास ही अपने यहां पर लगे लॉकड़ाउन को खोलने की कवायद भी शुरू की थी।
लेकिन ये रॉकेट अपने मिशन में नाकाम रहा है। इसके इस तरह से क्रैश होने के पीछे इसमें आई तकनीकी खराबी बताया जा रहा है। कहा ये भी गया है कि ये रॉकेट अनियंत्रित हो गया था और इसके बाद ये पृथ्वी के वायुमंडल में तेजी से गिर रहा था। स्पेसफ्लाइट नाऊ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन दशकों में यह पृथ्वी के वायुमंडल में लौटने वाला सबसे बड़ा स्पेस जंक था। 11 मई को इस रॉकेट ने सुबह करीब 11:33 बजे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया था। अमेरिका की स्पेस फोर्स 18वीं स्पेस कंट्रोल स्क्वाड्रन के मुताबिक उस वक्त यह अफ्रीका के पश्चिमी तट से अटलांटिक सागर के ऊपर से गुजर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया कि अनियंत्रित री-एंट्री का अनुमान लगाना मुश्किल है।
स्पेस फ्लाइट नाऊ के मुताबिक री-एंट्री के 15 मिनट बाद ही इस रॉकेट के टुकड़े न्यूयॉर्क शहर के ऊपर देखे गए थे। यह चीन के अगली पीढ़ी के क्रू कैप्सूल को कक्षा में स्थापित करने के लिए लेकर गया था। इसको चीन के भारी-भरकम लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट के नए कंफिग्रेशन की शुरुआत भी बताया गया था। चीनी डिजाइनरों ने इस रॉकेट के दूसरे चरण को हटा दिया और इसे पेलोड के लिए एक लंबे वॉल्यूम में बदल दिया था।
आपको बता दें कि चीन का ये शक्तिशाली रॉकेट लंबाई में करीब 100 फीट या 30 मीटर था और चौड़ाई में करीब 16 फीट या 5 मीटर था। इसका वजन करीब 20 मैट्रिक टन था। री-एंट्री के बाद ज्यादातर ऑब्जेक्ट जलकर खाक हो जाते हैं। लेकिन इस तरह के रॉकेट के इंजन धरती पर गिरते समय बच भी जाते हैं। इस तरह के ऑब्जेक्ट को ऑर्बिट में ट्रैक करने वाले प्रमुख हार्वर्ड खगोल वैज्ञानिक जोनाथन मैकडॉवेल ने ट्वीट कर बताया कि इससे पहले 1991 में 39-टन का Salyut-7 भी इसी तरह से अनियंत्रित होकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया था। ये चीन के iangong-1 स्पेस स्टेशन की तुलना में कहीं अधिक बड़ा और भारी था।
गौरतलब है कि चीन अंतरिक्ष में एक मल्टी-मोड्यूल स्पेस स्टेशन तैयार करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत 2021 और 2022 में इस तरह के तीन और लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट लॉन्च करने की योजना है।