सस्ता किराया, कम समय और बेहतर सुविधाएं, जानिए एविएशन सेक्टर के लिए क्या ऐलान हुए

सिविल एविएशन सेक्टर (Civil Aviation Sector) को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चौथे प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई ऐलान किये हैं. विमानन कंपनियों की लागत को कम करने के लिए सरकार कई कदम उठाएगी. साथ एयरपोर्ट्स के मैनेजमेंट में पीपीपी मॉडल का सहारा लिया जाएगा.

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नई दिल्ली. इकोनॉमिक पैकेज (Economic Package 2.0) के ऐलान के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सिविल एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) में भी कई बड़े बदलाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार कुछ ऐसे कदम उठाने जा रही है, जिससे विमानन कंपनियों को सहूलियते मिल सकेंगी, हवाई किराया कम हो सकेगा और कुल मिलाकर इस सेक्टर में भारत अन्य देशों के मुकाबले आगे बढ़ सकेगा.

एयरस्पेस की उपलब्धता बढ़ाकर 1 हजार करोड़ रुपये बचाने की योजना
वित्त मंत्री ने बताया कि इससे विमानों के फ्लाइंग कॉस्ट में 1,000 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी. वर्तमान में भारत के कुल एयरस्पेस (Available Airspace in India) का 60 फीसदी हिस्सा ही आम विमान कंपनियों के ​उपलब्ध है. लेकिन, अब इंडियन आर्मी (Indian Army) से बातचीत करने के बाद कुछ प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी. इससे एविशन सेक्टर को हर साल 1,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिलेगी. साथ ईंधन की खपत कम होगी और हवाई किराया भी कम होगा. इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा

बढ़ेगी AAI की कमाई
बीडिंग किए गए 5 एयरपोर्ट्स में तीन को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के आधार पर ऑपरेशन और मेंटेनेंस की मंजूरी दे दी है. पहले राउंड में इन 6 एयरपोर्ट्स से अब 1,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी. वर्तमान में यह 540 करोड़ रुपये है. AAI को 2,300 करोड़ रुपये का डाउनपेमेंट भी मिलेगा.

6 नए एयरपोर्ट् की बिडिंग
वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि दूसरे चरण के तहत 6 नए एयरपोर्ट्स को ​पीपीपी मॉडल के तहत चिह्नित किया है. इसके लिए बिडिंग प्रक्रिया बहुत जल्द ही शुरू की जाएगी. सरकार ने बताया कि प्राइवेट कंपनियों द्वारा 12 एयरपोर्ट्स से पहले और दूसरे चरण के तहत 13,000 करोड़ रुपये रेवेन्यू की उम्मीद है.

भारत में एयरक्राफ्ट् का मेंटेनेंस हो सकेगा
केंद्र सरकार अब भारत में एयरक्राफ्ट्स की मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) इकोसिस्टम को बढ़ावा देने की तैयारी में है. वित्त मंत्री ने बताया कि इसके लिए टैक्स को भी तार्किक बनाया जाएगा. अगले ​तीन साल में एयरक्राफ्ट्स के कंपोनेन्ट रिपेयर, एयरफ्रेम मेंटेनेंस के बाजार में 800 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2000 करोड़ रुपये तक किया जाएगा. आने वाले सालों में दुनियाभर के कुछ प्रमुख इंजन मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत में रिपेयरिंग फैसिलिटी शुरू कर सकेंगी. इससे विमान कंपनियों का मेंटेनेंस कॉस्ट भी कम हो सकेगा.

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