बठिंडा-रोजी रोटी व घर वापसी की मांग को लेकर एम्स में मजदूरों का हंगामा

-पुलिस टीम पर भी कर दिया हमला, भागकर बचाई जान,

  • बठिंडा में शनिवार को प्रदर्शन पर उतरे एम्स अस्पताल में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में लगे 600 के करीब प्रवासी मजदूर
  • आरोप-3 महीने से मजदूरी नहीं मिल रही, ऊपर से पुलिस लाठियां भांज रही है
  • पुलिस बल के साथ झड़प के बाद लेबर ने पत्थर बरसाए, भीड़ को देख गाड़ी भगाई तो किया पीछा

बठिंडा. लाकडाउन व कर्फ्यू के कारण जहां एम्स में निर्माण काम काफी समय से लटका पड़ा है वही वहां काम कर रहे हजारों मजदूर अब रोटी रोजी के साथ घरों में वापसी की मांग को लेकर सड़कों में उतरने लगे हैं। इसी आक्रोश के चलते शनिवार को मजदूरों ने एम्स की बिल्डिंग में जमकर हंगामा किया। वही मजदूरों को रोकने के लिए पहुंची पुलिस टीम पर भी पत्थरों से हमला कर दिया।

हालांकि इस पत्थरबाजी में किसी के घायल होने की खबर नहीं है लेकिन घटना की दौरान पुलिस कर्मचारी जान बचाकर भागते नजर आए। वही भागते हुए एक पुलिस अधिकारी मजदूरों के बीच ही फंस जाता है जिसे कुछ मजदूर दूसरे मजदूरों के गुस्से से बचाकर एक तरफ ले जाते हैं व बातचीत करते हैं। इसके बाद वहां से भागे पुलिस कर्मचारी वापिस आते हैं व मजदूरों को समझाने की कोशिश करते हैं। मजदूर प्रशासन से जहां उन्हें घर वापिस भेजने की मांग कर रहे हैं वही ठेकेदार से पिछले दो महीने का वेतन व मजदूरी देने की मांग कर रहे हैं। मजदूरों का आरोप है कि पिछले दो माह से एम्स में काम पूरी तरह से बंद है जिसमें मजदूरों को भी मजबूरी में अंदर रखा गया है। इसमें ठेकेदार उन्हें किसी तरह की मजदूरी व खान पान जैसी सुविधा प्रदान नहीं कर रहा है।

बठिंडा के एम्स अस्पताल में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में लगे 600 के करीब प्रवासी मजदूर शनिवार को प्रदर्शन पर उतर आए। पिछले 3 महीने से मजदूरी नहीं मिलने के चलते इन लोगों ने हंगामा किया। इन लोगों का कहना है कि पहले तो उनको तनख्वाह नहीं मिल रही है और ऊपर से आज पुलिस ने इन पर लाठियां भांजी। इन लोगों में ज्यादातर पश्चिमी बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं और ये अपने घर जाना चाहते हैं। प्रदर्शन की खबर पाकर पुलिस बल मौके पर पहुंचा तो वहां पुलिस और लेबर के बीच झड़प हो गई। लेबर ने पुलिस पर पत्थर भी बरसाए। भीड़ को देखते हुए पुलिस ने अपनी गाड़ी भगाई तो मजदूर पुलिस के पीछे भागते नजर आए।

मिली जानकारी के अनुसार बिहार व झारखंड के मजदूरों के घर लौटने के बाद एम्स में काम कर रहे पश्चिम बंगाल के मजदूरों ने शनिवार को एम्स परिसर में घर जाने को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। आरोप है कि 600 के करीब मजदूरों ने एम्स में काम कंट्रोल कर रही फर्म से बंगाल के लिए ट्रेन की मांग रखी थी जिसके लिए कंपनी द्वारा 16 मई का समय दिया गया, लेकिन हालात बिगड़ते देख करीब 8-10 पुलिस कर्मियों ने जब भीड़ में कुछ लोगों को सख्ती से समझाने को हल्का लाठीचार्ज किया तो कई मजदूरों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके चलते बचाव में पुलिस को मौके से भागना पड़ा।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस वाहन को भगाने पर कुछ पुलिसकर्मी उसमें चढ़ने में कामयाब हो गए, लेकिन कुछ पुलिसकर्मी उसमें चढ़ नहीं सके, जिन्हें गुस्साई लेबर ने घेर लिया तथा उनसे हाथापाई भी की। इसमें पुलिस की एक प्राइवेट कार का शीशा भी पत्थरबाजी में टूट गया। इसके बाद सीनियर अधिकारी एम्स पहुंचे तथा मजदूरों को शांत किया। एम्स का निर्माण देख रही कंपनी प्रबंधन क्लांइट के अनुसार ट्रेन के अभाव में मजदूरों को बस से पश्चिम बंगाल भेजने की योजना है जिसके लिए मजदूर तैयार हैं। वहीं मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें मार्च से सैलरी नहीं मिली है। बड़ी संख्या में मजदूरों के घरों को लौटने के बाद करीब 80 फीसदी कंस्ट्रक्शन का काम ठप हो चुका है, जिसमें बाहर से मैटीरियल नहीं पहुंचने के कारण भी काम रुका हुआ है।

वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार एम्स के काम को जरूरी वर्किंग लिस्ट में शामिल रखने के चलते इसे 20 अप्रैल के आसपास पुन: शुरू करवा दिया गया था। वहीं कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों के अनुसार मजदूरों का 1 माह का वेतन ही बकाया है तथा घर जाने की जिद के चलते मजदूर गलत जानकारी दे रहे हैं।

सोमवार को बसों से मजदूरों को बंगाल भेजने की तैयारी

हंगामे के बाद एम्स प्रबंधन ने जिला प्रशासन से मदद को संपर्क किया और बसों के जरिए मजदूरों को करीब 1800 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल भेजने की बात कही। हालांकि ट्रेन चलने को लेकर कोई भी जानकारी नहीं होने तथा मजदूरों के घर जाने की जिद पर अड़ने के बाद अब बस कंपनियों से एम्स की कंपनी बात कर रही है। करीब 500 से 600 की संख्या में मजदूरों के बंगाल जाने को लेकर एम्स में कार्यरत कंपनी किराये को लेकर बातचीत में जुटी है।

वर्तमान में जमा पूंजी भी समाप्त हो गई है व उन्हें घर वापिस भेजने की भी व्यवस्था नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि जिले में स्थित तीन बड़े निर्माण कार्य चल रहे हैं जिसमें रामा रिफायनरी में पैट्रोकेमिकल प्लाट के काम में हजारों मजदूर काम करते हैं तो तलवंडी साबों थर्मंल प्लाट के बाद एम्स में हजारों की तादाद में लेबर का काम चल रहा था। लाकडाउन व कर्फ्यू के कारण इन स्थानों में पिछले दो माह से काम पूरी तरह से बंद पड़ा था। इससे पहले मजदूर किसी तरह वहां टिककर बैठे थे लेकिन ज्यूं की लाकडाउन में ढिलाई देकर काम शुरू करने की इजाजत दी गई है मजदूर दो माह पहले का वेतन देने की मांग कर रहे हैं जिसमें अधिकतर ठेकेदार पूरा वेतन व दिहाड़ी नहीं दे रहे हैं जिसके चलते लेबर काम करने से मना कर रही है।

इसी आक्रोश में पांच हजार से अधिक मजदूर गाड़ियों, बसों व अन्य साधनों से बिहार व उत्तरप्रदेश वापिस लौट चुके हैं जबकि रहती लेबर भी अब वापिस जाने की जिद्द कर रही है। दूसरी तरफ सरकार के साथ इंडस्ट्रियल व चल रहे प्रोजेक्टों के प्रबंधकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती लेबर को लेकर आ रही है। जिले में आधी से ज्यादा लेबर घर वापसी कर चुकी है व रहती लेबर भी बिहार व यूपी वापिस जाना चाहती है। इस स्थिति में चल रहे प्रोजेक्ट जहां लटक रहे हैं वही कई इंडस्ट्री को चालू रखने में काफी दिक्कत पेश आ रही है। इसी कशमाकश के बीच अब लेबर, प्रबंधकों व ठेकेदारों के बीच तनाव की स्थिति पैदा होने लगी है।

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