1500 भारतीयों पर किया जाएगा कोरोना की दवाओं का परीक्षण, WHO की ट्रायल में होंगे शामिल

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसको लेकर मरीजों की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है. अब तक भारत के 9 हॉस्पिटल को इस खास प्रोग्राम के लिए चुना गया है. ICMR ने कहा है कि ये संख्या अभी और बढ़ाई जाएगी.

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नई दिल्ली.  कोरोना वायरस (Coronavirus) से अभी तक दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो गई. लेकिन अभी तक न तो कोई वैक्सीन और न ही कोई दवा इसके लिए बनाई गई है. करीब सौ से ज्यादा वैक्सीन पर इन दिनों काम चल रह है. इसके अलावा दवाईओं पर भी युद्धस्तर पर काम चल रहा है. लेकिन किसी को अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है. इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से कुछ दवाओं का ट्रायल (Solidarity Trial) किया जाने वाला है. इसमें ये पता लगाया जाएगा कि कोई दवाई कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कितनी असरदार है.

1500 मरीज होंगे शामिल

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक WHO की इस ट्रायल प्रोग्राम में भारत के भी कम से कम 1500 कोरोना के मरीज शामिल होंगे. इस प्रोगाम में करीब 100 देशों के मरीजों को शामिल किया जाएगा. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसको लेकर मरीजों की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है. अब तक भारत के 9 हॉस्पिटल को इस खास प्रोग्राम के लिए चुना गया है. ICMR ने कहा है कि ये संख्या अभी और बढ़ाई जाएगी.

इन दवाओं का होगा ट्रायल
ट्रायल के दौरान मरीजों को एंटी वायरल ड्रग दिए जाएंगे. ये हैं- रेमेडिसविर, क्लोरोक्वीन / हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, लोपिनवीर-रीटोनवीर . मरीज पर इन दवाओं का परीक्षण किया जाएगा. ट्रायल के दौरान ये पता लगाया जाएगा कि क्या इनमें से किसी दवा का असर कोरोना के मरीज पर हो रहा है या नहीं. फिलहाल जिन हॉस्पिटल के मरीजों को इसके लिए चुना गया है वो हैं-जोधपुर में एम्स, चेन्नई में अपोलो अस्पताल, अहमदाबाद बी जे मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल, और भोपाल में चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल.

और भी मरीज हो सकते हैं शामिल
आईसीएमआर-नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनएआरआई) में डॉक्टर शीला गोडबोले, ने कहा, ‘अभी, हम वास्तव में संख्याओं का पालन कर रहे हैं, इसलिए परीक्षण स्थल उन क्षेत्रों में होंगे जहां से अधिकांश मामलों की सूचना दी जा रही है. 9 हॉस्पिटल को पहले ही परमिशन दी जा चुकी है. 4 और को भी जल्द ही हरी झंडी दे देंगे. इसमें मरीजों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं है. हम और भी ज्यादा मरीज को इस प्रोग्राम में शामिल कर सकते हैं.

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