एक हाथ से बच्चे को दबोच, ट्रक पर चढ़ाता आदमी : ये है इस दुखद तस्वीर के पीछे की पूरी कहानी

कोरोना वायरस (Coronavirus) लॉकडाउन (Lockdown) के चलते प्रवासी मजदूर (Migrant Labours) बेरोजगार हो गए हैं. वे मार्च से ही बड़े शहरों को छोड़कर अपने गांवों की ओर वापस जा रहे हैं.

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नई दिल्ली. पुरुष, महिलाएं और बच्चे पहले से ही भीड़-भाड़ वाले ट्रक (Truck) पर चढ़ जाते हैं, एक आदमी एक बच्चे को हाथ से पकड़कर उठाता है और उसे उसकी मां को सौंप देता है. छत्तीसगढ़  की इस तस्वीर ने एक बार फिर प्रवासियों और उनके परिवारों की त्रासदी को हमारे सामने रखा है. लंबे समय से लागू कोरोनो वायरस लॉकडाउन ने जिस तरह से नौकरियों, घर और खाना इनसे छीन लिया है, वे अब घर लौटने के लिए बेताब हैं.

तस्वीर में अपने बच्चों के साथ ट्रक पर जाने के लिए प्रवासियों (migrants) के एक बड़े समूह को देखा जा सकता है. बच्चे को पकड़े हुए आदमी अपने दूसरे हाथ का इस्तेमाल ट्रक (Truck) से जुड़ी रस्सी पकड़ने के लिए करता है. फिर यह आदमी बच्चे को ट्रक पर एक मजदूर को सौंप देता है.

ट्रक पर सवार हो झारखंड जा रहे हैं ये प्रवासी मजदूर
साड़ी में एक महिला चढ़ने के लिए संघर्ष कर रही है. एक अन्य व्यक्ति सड़क पर खड़े एक मजदूर से एक और शिशु को लेता है. टीवी चैनल NDTV से बात करते हुए, कुछ मजदूर जिन्होंने तेलंगाना से अपनी यात्रा शुरू की थी बताया कि उन्हें घर पहुंचने का कोई और रास्ता नहीं मिला. एक बूढ़े व्यक्ति ने कहा, “हम क्या करते… हम असहाय हैं. हमें झारखंड जाना है. कोई दूसरा रास्ता नहीं है.”

केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में मजदूरों के लिए जो विशेष ट्रेनें शुरू की हैं, उनके बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिससे हम यात्रा में मदद कर सकें.”

अधिकारी बोले, ‘अपने स्तर पर नहीं कर सकते बसों की व्यवस्था’
राज्य परिवहन विभाग के एक अधिकारी, जो ट्रक के करीब खड़े थे, इस भीड़भाड़ को देख रहे थे, उन्होंने कहा, “परिवहन का कोई अन्य साधन नहीं है. प्रशासन को उनके लिए विशेष बसों की सुविधा देनी है. मैं परिवहन विभाग से हूं लेकिन मैं अपने स्तर पर बसों के लिए व्यवस्था नहीं कर सकता. ”

कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूर (Migrant Labours) बेरोजगार हो गए हैं. वे मार्च से ही बड़े शहरों को छोड़कर अपने गांवों की ओर वापस जा रहे हैं. इनमें से कई लोग सैकड़ों किमी चलकर अपने घरों को पहुंचे. इनमें से कई लोग अपने घरों तक पहुंचने से पहले ही दुर्घटना या थकान से मौत का शिकार भी बन गए.

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